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बाबा के बुलडोजर के बाद मामा का बुलडोजर … कुछ खास लोगों पर प्रहार या दंगाइयों को सबक सिखाने का हथियार?

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बाबा के बुलडोजर के बाद मामा का बुलडोजर चल पड़ा है। दंगाइयों, अपराधियों, बाहुबलियों से निपटने के लिए उत्‍तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश की सरकारों ने बुलडोजर को हथियार बनाया है। हिस्‍ट्रीशीटरों की लिस्‍ट बनाकर उनके मकानों और दुकानों को जमींदोज किया जा रहा है। बाबा योगी और मामा शिवराज उपद्रवियों को सबक सिखाने के लिए ऐक्‍शन बुलडोजर को जायज बताते हैं। इसने देश की सियासत गरमा दी है। इसने मजहबी रंग लेना शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी के बुलडोजर पर नफरत और दहशत सवार है। इनके जरिये मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि किस हक से सरकार आरोपियों के घर पर बुलडोजर चला रही है। ऐसा करने का अधिकार किस संविधान में है। उन्‍होंने इसे अत्‍याचार और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों का उल्‍लंघन बताया है। इस पूरे मामले को समझते हैं।

Politics on Bulldozer

हाल में यूपी चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के लिए ‘बुलडोजर बाबा’ शब्‍द का इस्‍तेमाल किया था। तब उन्‍होंने यही भी आरोप लगाया था कि सीएम का बुलडोजर सिर्फ मुसलमानों के लिए है। इसकी मंशा अल्‍पसंख्‍यक समुदाय में डर और दहशत फैलाना है। यूपी विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था एक अहम मुद्दा था। योगी सरकार ने कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पुरानी सरकारों को कठघरे में खड़ा किया था। माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर चलाकर योगी ने कड़ा मैसेज दिया था।

बिकरू में पुलिसकर्मियों की हत्‍या के बाद माफिया विकास दुबे की संपत्तियों पर बुलडोजर चलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो फ‍िर थमा नहीं। इसके बाद बाबा के बुलडोजर ने मुख्‍तार अंसारी, अतीक अहमद, खान मुबारक, ओमप्रकाश उर्फ बबलू समेह कई गैंगस्‍टरों की अवैध संपत्तियों को कुचल दिया। लोगों ने योगी के इस ऐक्‍शन को काफी पसंद किया। सत्‍ता में उनकी वापसी में यह एक बड़ा फैक्‍टर बना।

मध्‍यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान भी उनकी राह पर निकल पड़े हैं। खरगोन में रामनवमी शोभायात्रा पर पथराव करने वालों के खिलाफ चौहान ने सख्‍त रुख अख्तियार किया है। इनके घरों को मैदान बनाया जा रहा है। पत्‍थरबाजों को जेल में हवा खिलाई जाएगी। एमपी के सीएम ने खरगोन में हुई घटना को दुर्भाग्‍यपूर्ण बताया था। साथ ही कह दिया था कि दंगाइयों की पहचान कर ली गई है। इनमें से किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। एमपी की धरती पर दंगाइयों के लिए कोई जगह नहीं है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले पर दो-टूक कहा था कि खरगोन के गुनहगारों से सख्ती से निपटा जाएगा। वहां जिन घरों से पत्थर आए हैं, उन घरों को पत्थर का ढेर बनाएंगे।

खरगोन पर सियासत गरम
रविवार को रामनवमी के जुलूस पर पथराव और आगजनी की हिंसक घटनाओं के बाद खरगोन शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। अब इस पर सियासत गरम हो गई है। इसने साम्‍प्रदाय‍िक रंग ले लिया है। एमपी के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘क्या खरगोन प्रशासन ने लाठी, तलवार जैसे हथियारों को लेकर जुलूस निकालने की इजाजत दी थी? क्या जिन्होंने पत्थर फेंके चाहे जिस धर्म के हों सभी के घर पर बुलडोजर चलेगा? शिवराज जी, मत भूलिए आपने निष्पक्ष हो कर सरकार चलाने की शपथ ली है।’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को बीजेपी पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर बुलडोजर चलाना चाहिए। लेकिन, बीजेपी के बुलडोजर पर तो नफरत और दहशत सवार है। खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा के आरोपियों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए जाने की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने यह टिप्पणी की।

AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एमपी सरकार के इस ऐक्‍शन को गैर-कानूनी करार दिया। उन्‍होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से राज्य की मिलीभगत हिंसा है। यह जिनेवा कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन है। मध्य प्रदेश सरकार ने किस कानून के तहत मुस्लिम समुदाय के घरों को ध्वस्त कर दिया है?

क्‍या इसलिए पंसद आ रहा है लोगों को बाबा-मामा का जस्टिस?
योगी और शिवराज के तरीकों पर सवाल उठना लाजिमी है। हिंसा होने पर कोर्ट का आदेश आने से पहले किसी का घर गिरा देना कितना सही है? यह जस्टिस सिस्‍टम के सामने भी एक बड़ा सवाल है। कोर्ट में मामलों को निपटने में जिस तरह सालों-साल लग जाते हैं, उससे लोग परेशान हो चुके हैं। वो तुरत-फुरत फैसला चाहते हैं। यूपी में गैंगस्‍टरों के खिलाफ बुलडोजर ऐक्‍शन होना लोगों को पसंद आया। विकास दुबे, ध्रुव कुमार सिंह, सुंदर भाटी, अन‍िल भाटी, अमित कसाना, उमेश राय, त्रिभुवन सिंह… फेहरिस्‍त लंबी है। ये मुसलमान नहीं थे। हालांकि, इन सभी गैगस्‍टरों की यूपी में बुलडोजर चलाकर कमर तोड़ी गई। शायद शिवराज सिंह चौहान भी इसी ट्रेंड को अपने राज्‍य में फॉलो करना चाहते हें।

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