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राम के बाद अब भारतीय राजनीति में हनुमान की एंट्री,हनुमान की शरण में राजनीतिक दल

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Devotees of Lord Hanuman

नई दिल्ली: जय श्री राम का उद्घोष केवल भक्तों के द्वारा ही नहीं सुना जाता बल्कि लंबे अरसे से राजनीति में भी यह नारा खूब लगता है। भारतीय जनता पार्टी के राम मंदिर निर्माण की मुहिम के समय से यह नारा पार्टी का प्रतीक बन गया। इस बीच पिछले कुछ समय से जय हनुमान की गूंज सुनाई पड़ रही है। हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ कोई नई बात नहीं है लेकिन राजनीति में इन दिनों जय हनुमान की गूंज जोरों से सुनाई पड़ रही है। पहले भी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की ओर से उनकी जाति का जिक्र किया। आज हनुमान जयंती के मौके पर देश के अलग- अलग हिस्सों से भक्ति के अलग-अलग रंग दिखाई दिए साथ ही राजनीति भी। बीजेपी के साथ ही दूसरे राजनीतिक दल भी इस रंग में रंगते नजर आए। अजान के वक्त हनुमान चालीसा का पाठ यह विवाद भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या जय श्री राम की जगह जय हनुमान के नाम की सियासत शुरू हो गई है। खास बात यह भी है कि इसमें कोई दल पीछे नहीं है।

महाराष्ट्र से लेकर काशी तक… अजान के वक्त हनुमान चालीसा का पाठ

लाउडस्पीकर से अजान को लेकर सियासत जोरों पर है और विवाद बढ़ता ही जा रहा है। महाराष्ट्र से शुरू विवाद काशी तक जा पहुंचा है। मराठी मानुस की राजनीति करने वाले राज ठाकरे अब कट्टर हिंदुत्व की राह पकड़ चुके हैं। राज ठाकरे ने सार्वजनिक रूप से मस्जिदों पर लगाए गए लाउडस्पीकर को लेकर अल्टीमेटम दिया। साथ ही कहा कि लाउडस्पीकर को हटाया जाए। यदि इनके जरिए लोगों को अजान सुनाई जाएगी तो मनसे कार्यकर्ता भी मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। मनसे प्रमुख राज ठाकरे पुणे में हनुमान जयंती के मौके पर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे और महाआरती में शामिल होंगे। महाराष्ट्र ही नहीं गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में भी यह विवाद बढ़ता जा रहा है।

महाराष्ट्र से शुरू हुआ अजान के बदले हनुमान चालीसा का पाठ विवाद अब काशी भी पहुंच गया है। पहले लोगों ने घरों पर लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया तो वहीं इस विवाद में साधु- संत भी कूद गए हैं। महंत बालकदास ने कहा कि लाउडस्पीकर पर अजान देना सही है तो हनुमान चालीसा का पाठ क्यों नहीं किया जा सकता। यदि दिन में पांच बार अजान होती है तो हम दिन में 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। मथुरा में इसको लेकर आज एक नया विवाद सामने आया।

कांग्रेस भी बन गई हनुमान भक्त, पार्टी कार्यकर्ताओं को खास निर्देश
सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस काफी समय से है लेकिन मध्यप्रदेश पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए जो आदेश जारी हुआ उसकी इनदिनों काफी चर्चा है। अगले साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने रामनवमी और हनुमान जयंती पर अपने पदाधिकारियों, विधायकों व कार्यकर्ताओं को रामलीला, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ करने के निर्देश दिए ताकि जनता में अपनी पैठ और मजबूत कर सके।

भाजपा ने कांग्रेस के इस कदम को पाखंड बताया और कहा कि कांग्रेसी नेताओं ने भगवान राम एवं रामसेतु को काल्पनिक बताया था। वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस महासचिव केके मिश्रा ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के निर्देश जारी किए गए हैं। कमलनाथ भगवान हनुमान के भक्त हैं और पिछले कई सालों से छिंदवाड़ा में इस तरह के कार्यक्रम कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने पिछले साल इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए थे। हालांकि कांग्रेस के भीतर भी इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है लेकिन कांग्रेस भी जय हनुमान का जाप करना शुरू कर दी है और पार्टी को इसमें फायदा भी नजर आ रहा है।

चारों दिशाओं में भगवान हनुमान की मूर्ति, पीएम मोदी ने किया प्रतिमा का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोगों को हनुमान जयंती की बधाई दी। उन्होंने भगवान हनुमान को शक्ति, साहस और संयम का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमान जयंती के अवसर पर वीडियो लिंक के जरिए गुजरात के मोरबी में भगवान हनुमान की 105 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। भगवान हनुमान से संबंधित चार धाम परियोजना के तहत देश के चारों दिशाओं में हनुमान की मूर्ति स्थापित की जानी है। इस कड़ी में यह हनुमान की दूसरी मूर्ति है जो पश्चिम दिशा में हो। इसकी स्थापना मोरबी के बापू केशवानंद आश्रम में की गई है। इस श्रृंखला की पहली मूर्ति वर्ष 2010 में उत्तर दिशा में यानी शिमला में स्थापित की गई है। पीएमओ की ओर से कहा गया है कि दक्षिण दिशा में यह मूर्ति रामेश्वरम में स्थापित की जानी है और इसका काम भी आरंभ हो गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब स्थिर नहीं बना रह सकता हम जहां है, वहीं बने नहीं रह सकते। वैश्विक स्थिति ऐसी है कि पूरी दुनिया यह सोच रही है कि आत्मनिर्भर कैसे बनना है।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य जोरों पर शुरू है और बीजेपी की ओर से वर्षों पहले किया गया वादा भी पूरा होने वाला है। यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि आने वाले वक्त में बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से जय हनुमान का उद्घोष लगाया जाएगा। बंगाल और दूसरे राज्यों में इसकी झलक भी दिख चुकी है।

अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल… हनुमान की शरण में सभी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हनुमान भक्ति भी खूब देखने को मिली है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी वह हनुमान जी की शरण में पहुंचे थे और मतदान के दिन पहले भी कनॉट प्लेस के मंदिर में जाकर दर्शन किए थे। ‘राम भक्त’ बीजेपी से टक्कर लेने के लिए केजरीवाल ने हनुमान भक्ति का उपयोग किया था। भाषणों के दौरान भी वह हनुमान चालीसा पढ़ते नजर आए थे।

यूपी चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने बीजेपी पर पलटवार करने के लिए भगवान हनुमान का सहारा लिया था। लाल रंग और लाल टोपी को लेकर जब समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा गया तो अखिलेश यादव ने कहा कि लाल रंग तो भगवान हनुमान का भी है। रॉबर्ट वाड्रा भी शनिवार हनुमा जयंती के मौके पर दिल्ली के आईटीओ स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे और यहां लोगों को प्रसाद वितरित किए।

इस भक्ति में नहीं चूकना चाहते कोई भी राजनीतिक दल

भगवान श्री राम का नाम दूसरे राजनीतिक दलों के लेते ही भारतीय जनता पार्टी उन पर वार शुरू कर देती है। राम मंदिर आंदोलन और उसके बाद के घटनाक्रम को लेकर पार्टी की ओर से विरोधी दलों पर निशाना साधा जाता है। दूसरे दल भी इसमें थोड़ा असहज नजर आते हैं। वैसे तो प्रभु श्री राम सबके हैं लेकिन विपक्षी दलों को लगता है कि इस मामले में वो बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकते। हालांकि बदले राजनीतिक घटनाक्रम में हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान भक्ति में वो कहीं भी बीजेपी से पीछे नजर नहीं आना चाहतेऔर महाबली हनुमान के लिए सभी अपना महाबल लगा रहे हैं।

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