एशियाई महानगर लंबे समय से अमीर देशों के आप्रवासियों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। पिछले साल एशिया में अमीर देशों के संगठन ओसीईडी देशों के तीस लाख लोग रह रहे थे। लेकिन, कोरोना वायरस महामारी और अन्य कारणों से अपने देश लौटने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इससे मेजबान और दूसरे देश को नुकसान है। कनाडा में एक स्टडी में पाया गया कि किसी देश से लोगों के आने की संख्या में 10% बढ़ोतरी से उस देश को निर्यात 1% और वहां से आयात 3 % बढ़ता है। कोविड-19 महामारी के कारण कई अमीर देशों के लोग अब बाहर नहीं रहना चाहते हैं।
एशिया से लोगों की आवाजाही के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। जून तक अमेरिका अपने 15 हजार लोगों को यहां से वापस बुला चुका था। संपत्ति के बहुराष्ट्रीय कारोबारी नाइट फ्रेंक का कहना है कि अपने देश में संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। कंपनी के एजेंटों से संपर्क करने वाले 30% लोग स्थायी तौर पर आना चाहते हैं और 60 % लोग अपने मूल देश और दूसरे देश के बीच थोड़ा-थोड़ा समय बिताना चाहते हैं। महामारी की वजह से एशिया में महंगे पश्चिमी कर्मचारी रखने में भी नुकसान है। कर्मचारियों की नियुक्त में मदद करने वाली कंपननी इसीए इंटरनेशनल के एक सर्वे के अनुसार 50% से अधिक कंपनियों ने विदेशों में काम करने वाले कर्मचारी वापस बुला लिए हैं। इनमें से केवल आधे लोगों के ही एक साल बाद लौटने की संभावना है।
बेरोजगारी बढ़ने की कल्पना के कारण मेजबान सरकारों ने भी विदेशियों की नियुक्ति को मुश्किल बनाया है। मलेशिया में कंपनियां विदेशियों को उस स्थिति में ही नौकरी दे सकती हैं जब कोई स्थानीय व्यक्ति न मिले। सिंगापुर सरकार ने 47 कंपनियों के खिलाफ स्थानीय लोगों को अवसर न देने के आरोप में जांच शुरू की है। कई एशियाई देशों का कहना है कि विशेष अनुमति के बिना देश छोड़ने वाले विदेशियों के रहवासी परमिट रद्द कर दिए जाएंगे।
पहले से चल रहा था ट्रेंड
रिक्रूटिंग कंपनी रॉबर्ट वाल्टर्स के टोबी फोलस्टोन का कहना है, कोविड-19 ने ऐसे ट्रेंड को तेज किया है जो पहले से चल रहा था। पिछले कुछ सालों में एशियाई देशों में शिक्षा, भाषा और हुनर की स्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ है। हांगकांग में चीन के बढ़ते प्रभाव का अर्थ है कि कंपनियों को अब मंदारिन बोलने वालों की अधिक जरूरत है। शहर में इनवेस्टमेंट बैंकों में ग्राहकों को निपटाने वाले लोगों में विदेशियों की संख्या केवल 20% है। यह पांच साल पहले लगभग 35% थी।