यह सिर्फ मोदीराज में ही हो सकता है कि जिसे डिफेंस की एबीसीडी नहीं मालूम उसे राफाएल डिफेंस डील में 30 हज़ार करोड़ का कॉनट्रैक्ट दे दिया जाता है.
जिसने किसी पुल के रखरखाव का क,ख,ग, घ भी नहीं मालूम उसके हवाले मोरबी का सस्पेंशन पुल कर दिया जाता है जिसका अंजाम करीब 150 लोगों की मौत में होता है.
हैरान मत होइए.
यह सचमुच मोदी राज में ही मुमकिन है कि अजंता घड़ी बनाने वाली कंपनी ओरेवा को मोरबी पुल के देखरेख और संचालन का ठेका दे दिया गया.
ठेका इसी साल मार्च में दिया गया. वह भी एक दो या पांच साल के लिए नहीं बल्कि 15 साल के लिए. उस पुल में जाने के लिए जनता को फीस चुकानी पड़ती है. शायद एक आदमी को 15-17 रुपए देना पड़ता है. हिसाब लगा लीजिए अगर एक दिन में 200 लोग भी जा रहे तो 15 साल में कितना होगा.
बिना कुछ किए धरे 15 सालों तक बेइंतहा कमाई का रास्ता मोदी जी की कृपा से खुल गया.
घड़ी बनाने वाली कंपनी को मोरबी पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका क्यूं दिया गया? ग्रुप के मालिकान पिछले तीस सालों से मोदी जी के सबसे करीबी लोगों में से एक हैं–क्या इसलिए?
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