अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अली जावेद का जाना

Share

सुसंस्कृति परिहार

अली जावेद का जाना प्रगतिशील आंदोलन के लिए गहरा सदमा है वे बहुत सक्रियता से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे और इस समय वे तमाम मोर्चों पर पूरी मज़बूती से शामिल हो रहे थे। जिनमें किसान आंदोलन में शामिल होकर लेखकों को जनांदोलनों से जुड़ने का ज़रूरी संदेश दिया था। प्रगतिशील लेखक संघ के मंच पर अध्यक्ष पुन्ननीलन, महासचिव सिरसा जी के साथ कार्यकारी अध्यक्ष अली जावेद जी एक साथ सुखद अहसास कराते थे ।सारा भारत प्रतिनिधित्व करता नज़र आता था। उन्होंने महासचिव पद भी जिस मज़बूती से संभाला था उसे कमला प्रसाद के जाने का ग़म कम हुआ था।
एक उर्दू के मशहूर लेखक होने के साथ हिंदी लेखकों में उनका दिलचस्पी लेना उन्हें प्रोत्साहित करना उनका शगल था । हैदराबाद राष्ट्रीय सम्मेलन में हिंदी उर्दू कविता पाठ के दौरान अली जावेद और खगेन्द्र जी ने मेरी कविता खपरेले घर से उठता धुंआ को जिस तरह सराहा और मार्गदर्शन दिया उससे मेरे प्रगतिशील लेखन को गति मिली। उनसे काफी देर बैठकर आत्मीय बातचीत सदैव स्मृति पटल पर रहेगी।आज उनके अलविदा होने की ग़मनाक ख़बर से आहत हूं।
उम्मीद करती हूं प्रलेसं अपने इस प्रमुख स्तंभ को सदैव याद रहेगा।हिंदी उर्दू की इस कड़ी को बिखरने नहीं देगा।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें