जेपी सिंह
दिल्ली विधानसभा के आसन्न चुनाव हों या अन्य राज्यों के महिलाओं के वोट की ताकत को सभी राजनतिक दल मान्यता देते दिखाई दे रहे हैं और उन्हें लुभाने में सभी दल लग गए हैं। पिछले कुछ चुनावों से महिलाएं एक वोट बैंक बन गई हैं, जिन्हें कोई भी पार्टी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और यह बात महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और उससे पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्पष्ट रूप से देखी गई।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस दोनों ने सत्ता में आने पर महिलाओं को मासिक भत्ता देने का वादा किया है- अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने महिला सम्मान योजना के तहत 2,100 रुपये और वहीं कांग्रेस ने प्यारी दीदी योजना के तहत 2,500 रुपये देने का वादा किया है। इस समय देश के 10 राज्य महिलाओं को नकद राशि दे रहे हैं और दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल एवं पंजाब जैसे राज्यों में महिलाएं सरकारी बसों में मुफ्त सफर कर सकती हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 6 जनवरी 25 को ‘मैया सम्मान योजना’ के तहत 56.61 लाख से ज्यादा महिलाओं के बैंक खातों में ढाई-ढाई हजार रुपये की राशि हस्तांतरित कर अपना सबसे बड़ा चुनावी वादा निभाया। इस योजना के तहत सीएम सोरेन ने आज कुल 1,415.44 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में हस्तांतरित किया। इस अवसर पर आज रांची के नामकुम खोजाटोली ग्राउंड में एक वृहद् कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें पूरे राज्य से करीब दो लाख महिलाएं मौजूद रहीं। कांग्रेस ने भी इसकी तारीफ करते हुए कहा कि हमने जो वादा किया, वो निभाया।
कई महिलाओं के लिए, पैसा प्राप्त करना सशक्तीकरण है, उनकी आर्थिक कीमत बढ़ाता है और स्वायत्तता की भावना को मजबूत करता है। नतीजतन, ये महिलाएं अपने पतियों से अलग तरीके से भी वोट देने के लिए तैयार हैं। राजनीतिक दल महिलाओं को “लाभार्थी” के रूप में देखते हैं, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएँ हैं।
आने वाले चुनाव, दिल्ली और साल के अंत में बिहार में होने वाले चुनावों में महिलाएं निर्णायक भूमिका में होंगी। पिछले कुछ चुनावों में अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार दोनों की जीत में महिलाओं ने निर्णायक भूमिका निभाई। राजनितिक पंडित माँ रहे हैं कि महिलाएं अपने पतियों की छाया से निकल कर स्वतंत्र रूप से मतदान करने निकल रही हैं ।
पिछले महीने हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के गठबंधन महायुति को शानदार जीत मिली। इस साल (2024) जून में शुरू हुई ‘लाडकी बहिण’ योजना को भी इस जीत की एक बड़ी वजह माना गया।साल 2023 में भी भारतीय जनता पार्टी ने जब मध्य प्रदेश विधानसभा का एक ऐसा चुनाव जीता, जिसे जीतना उसके लिए मुश्किल माना जा रहा था तो बड़ी चर्चा इस बात की हुई कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ‘लाडली बहना’ और ‘लाडली लक्ष्मी’ योजनाओं ने पार्टी को एक हारा हुआ चुनाव जिता दिया।
भारत के चुनाव आयोग के मुताबिक़, देश में हुए पहले चुनाव में महिलाओं की भागीदारी 7.8 करोड़ यानी 45 फ़ीसदी थी। सात दशक और 17 राष्ट्रीय चुनावों के बाद, साल 2019 में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज़्यादा हो गई। ये अंतर न केवल कम हुआ बल्कि 2019 में महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों से 0.17 फ़ीसदी ज़्यादा हो गई।
चुनाव आयोग का कहना है कि भारत में 1971 के चुनाव के बाद से महिला मतदाताओं की तादाद में 235.72 फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। साल 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद जारी किए गए डेटा में चुनाव आयोग ने कहा है कि 2024 में प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या 946 थी, जो कि साल 2019 लोकसभा चुनाव के 926 के आंकड़े से भी ज़्यादा है।
इस डेटा के मुताबिक़, साल 2024 में 65.78 फ़ीसदी महिला मतदाताओं ने मतदान किया, जबकि पुरुष मतदाताओं ने 65.55 फ़ीसदी मतदान किया।चुनाव आयोग का कहना है कि साल 2019 की तरह, 2024 में भी महिला वोटरों की संख्या पुरुषों से अधिक रही और लोकसभा चुनावों के इतिहास में ये केवल दूसरी बार हुआ है।
साल 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की थी कि अगर वो सत्ता में आई तो गृह-लक्ष्मी योजना के तहत परिवार की महिला मुखिया को हर महीने 2,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। जब चुनाव के नतीजे आए तो कुल 224 सीटों में से 135 सीटें जीतकर कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने अगली सरकार बनाई। सरकार बनाने के कुछ ही दिन बाद गृह-लक्ष्मी योजना की शुरुआत कर दी गई। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2024 तक इस योजना के तहत 1.25 करोड़ लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है।
जनवरी 2023 में मध्य प्रदेश सरकार ने ‘लाडली बहना’ योजना की घोषणा की, जिसके तहत आने वाली महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाने लगी। मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में चुनाव होने थे, और चुनाव से करीब छह महीने पहले कांग्रेस पार्टी ने नारी सम्मान योजना की घोषणा की और कहा कि अगर वो सत्ता में आई तो हर महिला को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे। साथ ही घरेलू गैस सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके जवाब में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने ‘लाडली बहना’ की राशि को 1000 रुपये से बढ़ाकर 1250 रुपये प्रति माह कर दिया था।
जब दिसंबर 2023 में चुनाव का नतीजा आया तो शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को कुल 230 सीटों में से 163 सीटों पर जीत मिली और फिर एक बार भाजपा मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रही। ये भी माना जाता है कि मध्य प्रदेश में ‘लाडली लक्ष्मी’ योजना का फ़ायदा भी भारतीय जनता पार्टी को मिला। इस योजना के तहत बालिका के नाम पर पंजीकरण के वक़्त से लगातार पांच सालों तक हर साल 6 हजार रुपये जमा किए जाते हैं और लाभार्थी को पांच साल बाद 30 हजार रुपये मिलते हैं।
फिर आया महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव ।अगस्त के महीने में महाराष्ट्र सरकार ने लाडकी बहन योजना की शुरुआत की, जिसके तहत राज्य की 21 से 65 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाने लगे।चुनाव प्रचार के दौरान महायुति गठबंधन ने इस राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये महीना करने का वादा किया था। नवंबर में जब चुनाव का नतीजा आया, तो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने कुल 288 सीटों में से 231 सीटें जीतीं और राज्य में फिर से सरकार बनाई।उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़, ‘लाडकी बहिण’ योजना में करीब 2.4 करोड़ महिलाओं का पंजीकरण हुआ है। महाराष्ट्र में महिला वोटरों की कुल संख्या करीब 4.5 करोड़ है।
अगस्त 2024 में झारखंड सरकार ने ‘मैया सम्मान’ योजना शुरू की, जिसके तहत महिला लाभार्थियों को हर महीने 1000 रुपये देने का प्रावधान है। झारखंड में नवंबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने थे और चुनावों से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एलान किया कि अगर दोबारा उनकी सरकार बनी तो इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि को 1000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह कर दिया जाएगा। नवंबर 2024 में झारखंड चुनाव का नतीजा आया और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा विधान सभा की कुल 81 सीटों में से 34 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और फिर एक बार सरकार बनाई ।इससे यह स्पष्ट है कि महिला वोटरों को अब कोई भी राजनीतिक दल नज़रअंदाज नहीं कर सकता है।
पश्चिम बंगाल ने ‘लक्ष्मीर भंडार’ योजना के तहत 14,400 करोड़ रुपये तथा गुजरात ने ‘नमो श्री योजना’ के तहत 12,000 करोड़ रुपये, और ओडिशा ने ‘सुभद्रा योजना’ के तहत 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने विवाहित महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये की सहायता देने के लिए ‘महतारी वंदना योजना’ शुरू की है। पश्चिम बंगाल की ‘लक्ष्मीर भंडार’ योजना के तहत समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं को एकमुश्त 1,000 रुपये का अनुदान देने का प्रावधान है।
ओडिशा में ‘सुभद्रा’ योजना के तहत 21-60 वर्ष की आयु की सभी पात्र महिलाओं को 5 वर्षों में 50,000 रुपये देने का प्रावधान है।गुजरात में ‘नमो श्री’ योजना में एससी, एसटी और बीपीएल श्रेणियों से संबंधित गर्भवती महिलाओं को 12,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है।हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी 2024 में घोषणा की कि 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह दिया जाएंगे।
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो… बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
इसके सबूत भी हैं, जिन्हें अनदेखा करना मुश्किल है। बिहार में नीतीश कुमार को पिछले कई सालों से महिलाओं खास तौर पर निम्न आय वर्ग की महिलाओं के खूब वोट मिले हैं। 2005-06 में उन्होंने लड़कियों को मुफ्त साइकल देने की योजना शुरू की, जिसने चुनाव में उन्हें खूब सफलता दिलाई। उनकी सरकार ने 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दे दिया।
दूसरी पार्टियां भी जल्दी समझ गईं कि महिलाएं भारी वोट बैंक हैं और उन्होंने भी इस वोट बैंक को लुभाना शुरू कर दिया। उज्ज्वला योजना देश भर की महिलाओं तक पहुंचने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कोशिश थी। आम आदमी पार्टी (आप) ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़ा अभियान शुरू किया और दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर ज्यादा रोशनी की बात कही।
सभी आय वर्गों की महिलाओं को नकद देने की ममता बनर्जी की 2002 की घोषणा सत्ता में उनकी वापसी का अहम कारण हो सकती है। कांग्रेस ने 2022 में हिमाचल प्रदेश और 2023 में कर्नाटक में विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं को नकद राशि देने का वादा किया। भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें भी पीछे नहीं रहीं। मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली बहना, महाराष्ट्र सरकार की लाड़की बहन और हरियाणा सरकार की लाडो लक्ष्मी योजना के पीछे एक ही विचार था – महिलाओं को सीधे नकद भेजना।
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