मुनेश त्यागी
आजकल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। मोदी के इस दौरे को लेकर जहां बाइडेन प्रशासन उनकी अगुवाई कर रहा है, वहीं अमेरिका के कुछ सांसद और बहुत सारे लोग, मोदी सरकार की कई नीतियों को लेकर उनका खुलेआम विरोध कर रहे हैं, सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भी दिखाया गया है कि जैसे भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों को अमेरिका जाने पर, वहां के राष्ट्रपति सम्मानित करते थे, रिसीव करते थे, इस बार भारत के प्रधानमंत्री मोदी को, वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रिसीव नहीं किया है। इस तरह की खबरें छन छन कर आ रही हैं।
मगर भारत का गोदी मीडिया इन सारी खबरों को छुपा रहा है और वह इन खबरों से भारत की जनता को अवगत नहीं करा रहा है। मगर फिर भी इंटरनेशनल मीडिया का जमाना है, मोदी विरोध की कुछ खबरें छन छन कर आ रही हैं। इन खबरों और वीडियो के अनुसार, अमेरिका के 75 सांसदों ने, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को एक सार्वजनिक पत्र लिखा है जिसमें मोदी सरकार की कई सारी नीतियों का विरोध किया गया है। वहां पर मोदी को लेकर बवाल मचा हुआ है।
इन सांसदों ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत में धार्मिक उन्माद और कट्टरता बढ़ रही है, धार्मिक नफरत में इजाफा हो रहा है, पत्रकारों पर हमले बढ़ रहे हैं, प्रेस फ्रीडम का गला घोटा जा रहा है, उस पर लगातार हमले जारी है, सिविल सोसाइटी पर बंदिशें लगाई जा रही हैं।
सांसदों के पत्र में आगे कहा गया है कि भारत में कई क्षेत्रों में इंटरनेट शटडाउन किया जाता रहा है, धार्मिक सहनशक्ति लगातार कम हो रही है और धार्मिक उन्माद बढ़ रहे हैं, धार्मिक अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले जारी हैं और वहां पर हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है, पोलिटिकल स्पेस कम होता जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति को दिए गए पत्र में आगे कहा गया है कि भारत में आज जो कुछ हो रहा है वह सब पहले नहीं होता था, हिंसा का ऐसा खुला नाच नहीं होता था। यह महात्मा गांधी का देश है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया है कि यह सब क्या हो रहा है? यह सब चिंता का विषय है।
इन सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति पर दबाव बनाया हुआ है कि इन सब बातों को लेकर मोदी के साथ चर्चा होनी चाहिए। अमेरिका के सांसदों द्वारा और जनता द्वारा मोदी को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं, जैसे मोदी को पूर्व का हिटलर बताया जा रहा है, बीबीसी डॉक्युमेंट्री को दिखाया जा रहा है।
वहां की प्रेस और कई सारे वीडियोज के माध्यम से अमेरिका के लोग, मोदी का विरोध करते दिखाए गए हैं, जिनमें वे प्ले कार्ड्स लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन लोगों के हाथ में जो प्लेकार्ड हैं, उन पर लिखे नारों को देख कर बहुत अचंभा और आश्चर्य हो रहा है। इन प्ले कार्डस पर लिखा हुआ है,,,, मोदी अल्पसंख्यक को मारना बंद करो,,,,,, मोदी वापस जाओ,,,, मोदी पूरब में उगता हुआ हिटलर है,,,, मोदी के फासीवाद को रोको।
दूसरे प्ले कार्डस पर लिखा हुआ है ,,,,,किसान विरोधी कानून वापस लो,,,,, किसानों पर पुलिस अत्याचार बंद करो,,,,, मोदी भारतीय आतंकवाद का चेहरा है,,,,, मोदी हत्यारा है,,,, मोदी क्राइम मिनिस्टर है,,,,,फासीवादी मोदी का स्वागत नहीं है,,,,, हम मोदी के नफरत के एजेंडे का विरोध करते हैं।
कई दूसरे प्ले कार्ड्स पर लिखा हुआ है,,,, एडोल्फ मोदी, नाजी मोदी ,,,,,हिटलर और मोदी दो बदन में एक आत्मा हैं,,,,,, हिटलर अभी जिंदा है ,,,,,जातिवादी नफरत और अपारथीड को खत्म करो,,,, जन हत्यारे मोदी को रोको,,,, भारत को फासीवाद से बचाओ,,,,, प्राइम मिनिस्टर, क्राइम मिनिस्टर।
भारत के अधिकांश टीवी चैनल तो इन खबरों को नहीं दिखा रहे हैं और उन्होंने इन सारी खबरों को सिरे से ही खारिज और गायब कर दिया है। कल उम्मीद बनी थी कि आज के अखबार, मोदी के विरुद्ध हो रहे इन प्रदर्शनों और खबरों की जानकारी देंगे और देश की जनता को, इन विरोध प्रदर्शनों से अवगत कराएंगे, मगर आज जब अखबार पढ़ कर देखें तो उनमें से मोदी विरोध की ये सारी खबरें नदारद हैं, गायब हैं।
यहां पर सवाल उठता है कि आखिर मोदी विरोध की खबरों को जनता से क्यों छुपाया जा रहा है? और भारत का लगभग सारा मीडिया इन को लेकर चुप क्यों है? इस सारे प्रकरण को देखकर यह बात हकीकत बन गई है कि अब भारत का मीडिया आजाद मीडिया नहीं रह गया है, अब वह केवल और केवल पूंजीपतियों का और सरकार का दलाल बन गया है, उनका पिट्ठू बन गया है, अब वह सरकार विरोधी कोई खबर ना दिखाने पर तुल गया है।
भारतीय मीडिया का यह अवांछित रवैया खुलेआम दिखा रहा है कि अब उसे अपनी अहमियत का, अपनी ख्याति और प्रतिबद्धता का, अपनी आजादी का और अपने स्वतंत्र अस्तित्व का, कोई ख्याल नहीं रह गया है और अब वह भारत का सिद्धांतहीन, मर्यादा विहीन, पक्षपाती, बेईमान, जनविरोधी और पूंजीपतियों का गुलाम मीडिया बन गया है।
अब वह भारतीय जनतंत्र का चौथा खंबा नहीं रह गया है, अब वह देश और दुनिया के धनवान लोगों का सर्वोच्च हित साधक बन बैठा है, जिसे सच्चाई और हकीकत से कुछ लेना देना नहीं है, भले ही सारी दुनिया की जनता की नजरों में, वह गड्ढे में गिर जाए। अब वह मुकम्मल तौर से अपने मालिकान और सरकार का गुलाम बन गया है। कुछ भी हो वह सरकार विरोधी प्रदर्शनों को सिरे से ही गायब कर देगा। अमेरिका में मोदी विरोधी प्रदर्शनों को ना दिखाकर, वह अपनी इसी नीति, सोच और रवैए का परिचय दे रहा है।