चुनाव चटखारे/कीर्तिराणा
विधानसभा चुनाव में ओबीसी वर्ग को रिझाने के लिए दोनों दलों ने इस वर्ग की पहचान चेहरों को काम पर लगा ही रखा है। अब ओबीसी के साथ ओपीसी पर भी फोकस करना शुरु कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी भले ही शासकीय कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने के पक्ष में नहीं हों लेकिन मप्र में कांग्रेस को तो ये ओपीसी ही सत्ता की चाबी लग रही है। वैसे इस स्कीम का लाभ देने की घोषणा करने का उचित अवसर तो मुख्यमंत्री भी तलाश रहे हैं, बस चिंता है तो केंद्रीय नेतृत्व कहीं अड़ंगा न लगा दे।
प्रदेश का कर्मचारी वर्ग तो चाहता है सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दे।जो इस मामले में कर्मचारियों के मन की बात करेगा कर्मचारी भी उसकी मुंहमांगी मुराद पूरी करने के लिए उधार बैठे हैं।
कांग्रेस को ओपीसी इसलिए सत्ता की चाबी लग रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ के बाद हिमाचल प्रदेश में भी उसे ओपीसी ने सत्ता दिलवाई। हाल ही में कर्नाटक चुनाव में भी कांग्रेस की जीत में इस फेक्टर ने काम किया है। इन तीनों राज्यों में मिली हार की समीक्षा के बाद भाजपा भी यदि मप्र में ओपीसी का गुणगान करने लग जाए तो कर्मचारी संगठन क्यों आश्चर्य करेंगे, उन्हें तो अपने आर्थिक लाभ से मतलब है।
ये करप्शन नाथ हुए तो वो उनका घोटाला राज !
कांग्रेस नेताओं को भी यह पता है कि दिग्विजय सिंह की हार और उमा भारती के लिए सत्ता का तानाबाना बुनने वाले अनिल दवे सहित रणनीतिकारों ने दिग्विजय सिंह का नामकरण मिस्टर बंटाढार किया था-यह शब्द भी उमा भारती के राजतिलक का कुंकुम बन गया था।
अब ये पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को करप्शन नाथ का नाम किसने दे दिया ! राजधानी के प्रमुख चौराहों पर रातोंरात लगाए गए कमलनाथ वाले पोस्टर से खलबली मची ही थी कि कुछ घंटों बाद ही शिवराज सिंह के फोटो और घोटाले वाले पोस्टर भी चस्पा हो गए।कमलनाथ वाले पोस्टर में पंद्रह महीने की कमलनाथ सरकार को घोटालों वाली सरकार बताने के साथ ही उनके फोटो के साथ घोटालों को जानने के लिए क्यूआर कोड भी प्रिंट किया है, जिन्हें स्केम जानना हो वो हाथोंहाथ स्केन कर के देख लें।शिवराज के खिलाफ लगाए पोस्टर में
शिवराज नहीं घोटाला राज’ ‘शिवराज के 18 साल..घपले और घोटालों की भरमार’ जैसे टाइटल के साथ इस दौरान हुए घोटालों की जानकारी है।
अब दोनों दलों को एक दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना जरूरी तो हो गया है लेकिन लोगों का यह सवाल पूछना भी सही है कि राजधानी में जहां चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगे हैं पुलिस ने अपने स्तर पर तहकीकात की सजगता क्यों नहीं दिखाई ।
इन पोस्टरों की जांच में किसी दल का नाम आएगा या नहीं लेकिन नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने जैसे ही इस पोस्टर को भाजपा का षड़यंत्र बताया तुरंत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का जवाब आ गया कि ऐसी ओछी हरकत से भाजपा का लेनादेना नहीं है।अब भाजपा नेता भी शिवराज वाले इन पोस्टरों को लेकर आक्रामक हो सकते हैं।
अखंड प्रताप सिंह ‘आप’ के हुए
मौसम चुनाव का जरूर है, आयाराम-गयाराम की हवा भी चल पड़ी है।भाजपा, कांग्रेस में तो सिलसिला चल पड़ा है ऐसे में आप पार्टी ने भी दम दिखाना शुरु कर दिया है। पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह यादव को अब झाडू पसंद आ गई है।उन्होंने तो भविष्यवाणी भी कर दी है कि मध्य प्रदेश में आप पार्टी ही सरकार बनायेगी और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को जनता प्रधानमंत्री भी बनायेगी।एपीसिंह यादव का आप के प्रति प्रेम क्यों उमड़ा तो इसकी वजह है चालीस साल के राजनीतिक जीवन में वो जनता दल, कांग्रेस और भाजपा में तो वे पहले ही रह चुके हैं। ऐसे में आप के ही हो सकते थे।
संघ प्रेम हुआ उजागर
मंत्री के दौरे में साथ रहने वाले अधिकारियों को उनके निजी कार्यक्रमों-भोजन भंडारे में भी साथ रहना पड़ता है लेकिन वहां वे खानपान से दूरी बनाए रखते हैं। अब सतना के कलेक्टर अनुराग वर्मा और निगमायुक्त राजेश शाही एक ऐसे विवाद में उलझ गए हैं जिसमें एक दल में तो उनके नंबर बढ़ सकते हैं और दूसरे दल (कांग्रेस) में निशाने पर रहेंगे। सतना में आयोजित आरएसएस के शिक्षक वर्ग में शामिल होने मंत्री पहुंचे थे, साथ में इन अधिकारियों के जाने पर कांग्रेस को कोई एतराज नहीं है।उसकी आपत्ति यह है कि संघ की प्रार्थना और ध्वज प्रणाम में शामिल क्यों हुए। जाहिर है मंत्री ने भी इस तरह के निर्देश नहीं दिए होंगे।वैसे अधिकारी चिंता मुक्त इसलिए हैं कि सरकार ने 2006 में वो आदेश शिथिल कर दिया है कि शासकीय कर्मचारी संघ की गतिविधियों में शामिल होते हैं तो आपत्ति नहीं।
जैसी सोच, वैसी रणनीति
एक साल के अंतर में प्रदेश में पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव होना है। भाजपा ने तो अपना चुनाव कैंपन इस तरह से तैयार किया है कि विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं का मानस तैयार कर दिया जाए ताकि फिर प्रचार में कार्यकर्ताओं को भी थोड़ा आराम मिल जाए। इसके विपरीत कांग्रेस का सारा फोकस विधानसभा चुनाव आधारित आक्रामक प्रचार है। उसके रणनीतिकारों का मानना है विधानसभा में जीत मिलने पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं का मानस कांग्रेस के पक्ष में हो जाएगा।
इतनी महंगी महाकाल स्तुति
तेज आंधी-बारिश से महाकाल लोक में सप्त ऋषियों की मूर्तियां क्या उखड़ी यहां हुए कथित भ्रष्टाचार की परतें भी उखड़ने लगी है। याद है ना जब 11 अक्टूबर 22 को प्रधानमंत्री मोदी लोकार्पण करने आए थे तब अपने कैलासा बैंड के साथ गायक कैलाश खैर ने महाकाल स्तुति भी प्रस्तुत की थी।इस उछलकूद वाली महाकाल स्तुति के साथ कैलासा बैंड को कुल 50 लाख रु का भुगतान तय हुआ था। मूर्ति कांड होने के बाद से यह पेमेंट भी अटक गया है।लोग यह भी तलाश रहे हैं कि यह पेमेंट किस मद से कौनसा विभाग करेगा।
कालूगोलू की टीम लगी काम पर
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के आधार माने जाने वालों में एक नाम सुनील कालू गोलू का भी उभरा था। इनकी रणनीति से प्रभावित कांग्रेस आलाकमान ने सुनील और उनके 40 लोगों की टीम को मप्र में भी काम पर लगा दिया है।ये टीम अपने हिसाब से जिलों में नियुक्तियां तो कर ही रही है साथ ही कांग्रेस नेताओं को यह भी समझा रही है कि प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय मुद्दों को ना उछालें।सारा फोकस मुख्यमंत्री के अठारह साल में हुए भ्रष्टाचार पर ही करें। कर्नाटक में में भी कांग्रेस ने ‘चालीस परसेंट कमीशन वाली सरकार’ से भाजपा को घेरा था।
एक तीर से दो शिकार
छतरपुर जिले की एक डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने। गृह प्रवेश और पूजापाठ के पारिवारिक आयोजन पर अवकाश ना मिलने पर धार्मिक भावना आहत होने का हवाला देकर जीएडी प्रमुख सचिव को इस्तीफा ही भेज दिया।खबर तो यह भी है कि सर्वे कराने में मशहूर एक पार्टी के सर्वे में बैतूल जिले की आमला सीट से उनका नाम विनिंग केंडिडेट में उभरा है। टिकट मिल गया तो ये धार्मिक भावना आहत होने का मुद्दा वहां तो खूब मददगार साबित हो जाएगा।
*अब होने वाले हैं खाट के ठाठ *
प्रधानमंत्री मोदी ने जैकेट पहनी तो वह फैशन ब्रांड बन गई। उनके जैसा कुर्ता पहनने की हवा चल पड़ी।वैसे तो प्रधानमंत्री ने चरखा चलाते हुए फोटो सेशन भी कराया था लेकिन चरखा चलाने में उतना उत्साह शायद इसलिए नहीं दिखाया कि वह तो फोटो शूट के लिए था।
लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने लोगों से चाय पर चर्चा का कीर्तिमान बनाया था। अब यदि देश के शहरों में घर घर खाट वाला मौसम लौट आए और भक्त समाज इसका श्रेय मोदी को दें तो जरा भी गलत नहीं होगा।
शहडोल आने वाले प्रधानमंत्री 27 जून को आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ पोकरिया के खुले बगीचे में खाट पर बैठ कर चर्चा करेंगे।जिस बगीचे में वो चर्चा करेंगे वहां सिर्फ एक नहीं सौ खाट का इंतजाम करने में जुटा है प्रशासन।हालांकि कई अधिकारी खाट और पलंग में फर्क को लेकर असमंजस में हैं इस चक्कर में निवाड़ वाले पलंग का भी खाट की तरह इंतजाम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के साथ इन खाट कम पलंग पर स्थानीय लोग बैठेंगे।
मौसम की खराबी के चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बालाघाट गौरव रैली में नहीं पहुंच पाने से सबक लेते हुए प्रधानमंत्री के शहडोल कार्यक्रम को लेकर प्लान बी भी तैयार किया है।खाट चर्चा के चलते बारिश आ भी जाए तो कार्यक्रम स्थगित नहीं होगा क्यों कि वाटर प्रूफ डेम भी तैयार कराया जा रहा है। सारे इंतजाम का रिव्यू करने जेपी नड्डा भी आज पहुंच रहे हैं। इस दौरान इस क्षेत्र से निकलने वाली आदिवासी गौरव यात्राओं का भी शहडोल में समापन हो जाएगा।
*मोशा जी यूपी वाला चमत्कार मप्र में कर दिखाएं तो….! *
खुद गोरक्षनाथ पीठ के योगी आदित्यनाथ ने भी नहीं सोचा था कि उनके हाथों में पूरी यूपी की कमान होगी। विश्वास तो नहीं होता लेकिन ऐसा ही कुछ मप्र में हो जाए तो..? मोशाजी (मोदी-शाह की जोड़ी) तो ऐसे चौंकाने वाले फैसले लेकर अपनी रणनीति से पहले भी चौंकाते रहे हैं। हिंदुत्व की बात करने वाले एक युवा महाराज इस जोड़ी की नजर में चढ़ते जा रहे हैं। एक पखवाड़े योगी जी की शरण में रह कर वे हिंदुत्व के मामले में अपनी वाणी को और धारदार बनाना सीख चुके हैं।सरकार बनवाने में मददगार भी हो जाएंगे तो फिर भाजपा के नीति निर्धारकों से मनमाना पर्चा खुलवाना आसान हो जाएगा।
*सरकार भाजपा की, मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड जारी करेगी कांग्रेस *
मुख्यमंत्री ने अपने सहयोगी मंत्रियों से वन टू वन चर्चा में उनके रिपोर्ट कार्ड का क्या रिजल्ट बताया यह तो टिकट वितरण के वक्त ही पता चलेगा लेकिन उनके मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड कांग्रेस सार्वजनिक करने वाली है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने उन मंत्रियों का कच्चा चिट्ठा जुटा लिया है जो अन्यान्य कारणों से ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। जिन मंत्रियों का कच्चा चिट्ठा उजागर होने वाला है उनमें अब तक डॉ नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, कमल पटेल, विश्वास सारंग, महेंद्र सिसोदिया के नाम सामने आए हैं।वैसे कांग्रेस द्वारा जारी किए जाने वाले इस रिपोर्ट कार्ड से कोई मंत्री डरा हुआ इसलिए भी नहीं है कि ये कोई हनी ट्रेप वाली सीडी तो है नहीं।
*सिंधिया के खिलाफ साजिश है या स्वार्थ*
ग्वालियर-चंबल संभाग में तो जैसे सिंधिया के नाम-काम को बट्टा लगाने में होड़ सी लग गई है।भाजपा प्रदेश कार्यसमिति से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले बैजनाथ सिंह के बाद सिंधिया के एक अन्य समर्थक-भाजपा जिला उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता का भी उनसे मोहभंग हो गया है।उन्हें भी फिर से कांग्रेस अच्छी लगने लगी है और लगता है स्थानीय नेताओँ से पूछ कर फैसला लेंगे वाली तख्ती भी कमलनाथ ने कहीं छुपा कर रख दी है।
*अक्टूबर में आ सकती हैं प्रियंका गांधी *
कांग्रेस ने अक्टूबर में मेगा शो के साथ अपना वचन पत्र जारी करने की प्लानिंग की है। प्रदेश के 6 प्रमुख संभाग-शहर इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवां मे रैली और सभा के बीच ये वचन पत्र जनता की अदालत में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कर्नाटक चुनाव से प्रियंका अम्मा के नाम से फेमस और , भारत जोड़ो जन नायक राहुल गांधी की मौजूदगी में घोषित किए जाएंगे।इंदौर में रैली-आमसभा में प्रियंका वाड्रा को लाने की कोशिश की जा रही है।
*हिंदू राष्ट्र का आह्वान और भक्ति दिवस पर उत्तम ज्ञान *
प्रदेश की चुनावी राजनीति में दोनों दलों के लिए आदिवासी मतदाता बेहद प्रिय हो जाते हैं।एक सप्ताह के बीच दो चर्चित संत पश्चिम निमाड़ क्षेत्र में थे।धर्म और राजनीति का घालमेल समझने वाले लोगों में दोनों ही संतों को लेकर आम धारणा है कि आरएसएस के अधिक समीप हैं।
इनमें एक तो हैं महामंडलेश्वर ईश्वरानंद (उत्तम स्वामी) जी वो कांग्रेस शासन नेताओं के जितने प्रिय थे उससे अधिक संघ-भाजपा के नजदीक और मार्गदर्शक हैं। बाकी दलों में भी उनके प्रति आस्था रखने वाले कम नहीं हैं।
दूसरे हैं बागेश्वरधाम वाले पं धीरेंद्र शास्त्री, जो बीते एक दशक से भी कम समय में अपने पर्चों के कारण प्रसिद्धि के शिखर पर जा पहुंचे हैं।हिंदू राष्ट्र को लेकर उनकी आक्रामक शैली ने एक तरह से उन्हें संघ विचारों का ब्रांड एंबेसेडर ही बना दिया है।
बात जब हिंदू राष्ट्र की चल रही हो और दोनों एक दूसरे से सहमत नहीं हो तो पश्चिम निमाड़ के लोगों को आश्चर्य ही तो होगा।बड़वानी में पं शास्त्री का दरबार लगा था।बाकी जगहों की तरह यहां भी उन्होंने दोबार हिंदू राष्ट्र बनाने की बात दोहराते हुए कहा कि तुम सब हमारा साथ दो, हम सब मिलकर हिंदू राष्ट्र बनाएंगे।
उनका आह्वान यहां के लोग भूले भी नहीं थे कि समीपस्थ खरगोन जिले में कांग्रेस नेता अरुण, सचिन यादव ने उप मुख्यमंत्री रहे पिता सुभाष यादव की पुण्यतिथि को भक्ति दिवस के रूप में मनाया।इस समारोह में संत-महात्मा तो खूब थे लेकिन महामंडलेश्वर ईश्वरानंद (उत्तम स्वामी) मुख्य आकर्षण थे।उन्होंने पं धीरेंद्र शास्त्री के हिंदू राष्ट्र वाले आह्वान को एक तरह से नासमझी करार देते हुए कह दिया उनको पता नहीं है हिंदू राष्ट्र समाप्त नहीं हुआ है। दुनिया में हिंदुस्तान था और रहेगा। वे (पं धीरेंद्र शास्त्री कुछ लोगों को संतुष्ट करने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं।
यादव बंधुओं द्वारा हर वर्ष भक्ति दिवस मनाने की घोषणा भी की गई है। इस आयोजन में जिस तरह से संघ विचारों के नजदीकी संतों की मौजूदगी रही है उसे देख कर कांग्रेस चौकन्नी हो गई है कि कहीं यादव बंधुओं की भक्ति भाजपा के रंग में एकाकार होने के लिए तो नहीं मचल रही है।वैसे भी एक पखवाड़े से मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, गृहमंत्री अरुण यादव पर डोरे डालने में लगे हुए हैं।
*सेटिंग वाली सीटों पर अब शाह की नजर*
भाजपा नेतृत्व ने प्रदेश की हर सीट की समीक्षा में पाया है कि कुछ सीटें ऐसी हैं जहां प्रदेश भाजपा के नेता कमजोर प्रत्याशी उतार कर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत में अदृश्य मदद करते रहे हैं।राघोगढ़ में दिग्विजय या जयवर्द्धन सिंह, लहार में डॉ गोविंद सिंह, पिछोर में केपी सिंह, भीतरवार (ग्वालियर) में लाखन सिंह यादव, डबरा में सुरेश राजे हर चुनाव में कैसे जीत जाते हैं ? समीक्षा में सारे तथ्य सामने आने के बाद इन सीटों पर प्रत्याशी चयन का अंतिम फैसला अमित शाह की मर्जी से होगा।इसके साथ कमलनाथ का छिंदवाड़ा। इस संसदीय क्षेत्र से लंबे समय से कमलनाख जीते हैं।अभी जब कमलनाथ सीएम बने थे तब यहां से नकुलनाथ सांसद बने थे। वैसे कमलनाथ एक बार 1997 में हुए उपचुनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा से हार गए थे लेकिन अगले साल (1998 में) फिर हुए चुनाव में पटवा भी कमलनाथ से हार गए थे।
*चुनाव मैदान में निपटने की धमकी*
इंदौर स्थित गोम्मटगिरि तीर्थ क्षेत्र से अपने मंदिर के लिए रास्ता मांग रहे गुर्जर समाज वाला विवाद हल नहीं होने से अब जैन समाज चुनाव मैदान में सरकार को सबक सिखाने का दंभ भर रहा है। संतों के वीडियो संदेश, ज्ञापन आदि का भी सरकार पर असर ना होने के बाद प्रदेश के जैन मतदाता बहुल क्षेत्रों से समाज द्वारा पचास प्रत्याशी उतारे जाएंगे।महावीर जयंती पर हर साल अलग अलग जुलूस निकालने वाले दोनों समाज प्रत्याशियों को जिताने में कितनी एकजुटता दिखाएंगे ये तो वक्त बताएगा।
*जयकारा लगाइये आ रही हैं शौर्य यात्राएं*
धर्मांतरण के मुद्दे पर तो विहिप और बजरंग दल बोलते ही रहे हैं। केंद्रीय प्रबंध समिति की रायपुर में हुई बैठक में शौर्य यात्राओं का निर्णय लिया गया है। चुनाव से एक-दो महीने पहले पूरे देश में शौर्य यात्राएं निकालने का निर्णय किया है तो आश्चर्य क्यों होना चाहिए।जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं वहां तो ऐतिहासिक स्वागत होना ही ताज्जुब तो तब होना चाहिए जब बजरंग दल पर प्रतिबंध की मानसिकता वाले कांग्रेस नेता और कर्नाटक में भी धर्मांतरण और परिवारों में विघटन का कारण बन रहे ओटीटी प्लेटफार्म के विरुद्ध इन शौर्य यात्राओं के लिए पलक-पावड़े बिछाए जाएं।
साहित्यकारों की भी चिंता है
प्रदेश सरकार को चुनावी साल में साहित्यकारों-कलाकारों की भी चिंता हो गई है।अब दैवीय विपत्ति, बीमारी दुर्घटना का शिकार होने पर उन्हें भी 50 हजार तक की वित्तीय सहायता मिलेगी। सरकार ने कलाकार-साहित्यकार कल्याण कोष तो पहले से गठित कर रखा है अब उसमें इस प्राववधान को जोड़ने के साथ दिव्यांगता के उपचार या मौत पर परिवार को हर माह एक हजार की सहायता भी मिलेगी।