,मुनेश त्यागी
पिछले दिनों वेनेजुएला की जनता ने अपने जनतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए, पिछले तेरह साल से चले आ रहे, अपने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को फिर से अपना राष्ट्रपति चुन लिया है। वेनेजुएला की जनता की इस आवाज और इन जनतांत्रिक चुनाव का सम्मान और आदर करने की जरूरत है। वहां की जनता ने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए, अपने स्वतंत्र आत्मनिर्णय का इस्तेमाल करके, अपने नए राष्ट्रपति का चुनाव किया है। हमें इस अवसर पर उनके साथ वैश्विक एकजुटता और मजबूत समर्थन के साथ खड़ा होने की जरूरत है।
हमें वेनेजुएला के आंतरिक मामलों में विदेशी ताकतों के दबाव और हस्तक्षेप की खुलकर निंदा करनी चाहिए और वहां की जनता और नव नियुक्त राष्ट्रपति के साथ मजबूती के साथ खड़ा होना चाहिए तभी जाकर जनतांत्रिक व्यवस्था के बुनियादी मूल्यों की हिफाजत की जा सकेगी, वरना जनतांत्रिक व्यवस्था पूरी दुनिया में एक मजाक बनकर रह जाएगी।
वेनेजुएला की सरकार ने अपने पिछले दो कार्यकालों में अपने संविधान के तहत अपनी जनता के बुनियादी अधिकारों की रक्षा करने की हर जरूरी कोशिश की है। वहां हुए चुनाव में वहां की राष्ट्रीय चुनाव कौंसिल ने राष्ट्रपति के उम्मीदवार निकोलस मादुरो को विजयी घोषित किया था। इसके तुरंत बाद ही अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के कई मुल्कों और सांसदों ने इसका खुल्लम-खुल्ला विरोध करना शुरू कर दिया और राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को इस्तीफा देने की मांग कर डाली और आज भी यह मनमाना और गैरलोकतांत्रिक विवाद जारी है।
अमेरिका और यूरोप के तथाकथित जनतांत्रिक मूल्यों का ढोल पीटने वाले देशों का यह रवैया बिल्कुल मनमाना, एकतरफा, हस्तक्षेपकारी और जनतांत्रिक व्यवस्था के बुनियादी उसूलों के बिलकुल खिलाफ है। जब किसी देश की जनता ने खुले रूप से आजाद और निष्पक्ष चुनाव में, अपने मत का प्रयोग करके, किसी उम्मीदवार को अपना राष्ट्रपति चुन लिया है और चुनाव आयोग द्वारा उसे विजयी घोषित कर दिया गया है तो फिर उसमें बाहरी देशों के वहां किये जा रहे आंतरिक हस्ताक्षेप को कैसे उचित कराया जा सकता है?
इन बाहरी देश की यह कार्य प्रणाली एकदम एकतरफा, मनमानी, अवैधानिक, एकदम गैरलोकतांत्रिक और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में विघटन करने वाली और हस्तक्षेपकारी है। उनकी ये सब हरकतें जनतांत्रिक व्यवस्था और सोच के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ और निराधार हैं। इन्हें किसी भी दिशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह बाहरी हस्तक्षेप दुनिया में एक ध्रुवीय प्रभुत्व की राजनीति का हिस्सा है।
वैनेजुएला का यह घटनाक्रम बता रहा है कि ये तथाकथित पूंजीवादी देश नहीं चाहते कि किसी भी देश की जनता, अपने मतों से अपनी आजाद सरकार चुने। अगर चुनाव के बाद कोई भी उम्मीदवार जो इन तथाकथित जनतांत्रिक समूह के मन माफिक नहीं है और वह चुनकर आता है तो ये सब मिलकर इसका विरोध करेंगे और उस देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेंगे, तो इसे किसी भी दशा में जायज नहीं ठहराया जा सकता।
राष्ट्रपति मादुरो के चुनावों को ब्राज़ील, बोलिविया, क्यूबा, चीन, रूस, नॉर्थ कोरिया, ईरान और दुनिया के बहुत से देशों ने जायज ठहराया है और राष्ट्रपति मादुरो को अपनी मुबारकबाद भी भेज दी है और इन चुनाव को वैधानिक और जायज करार दिया है। जब इस खुल्लम खुल्ला हस्तक्षेपकारी रवैये के बारे में राष्ट्रपति मादुरो से पूछा गया कि ये तथाकथित जनतांत्रिक मुल्क ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके चुनाव का विरोध क्यों कर रहे हैं? और उनके देश में आंतरिक हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं? तो उन्होंने बेखौफ होकर इसका खुलासा किया।
उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि “ये देश हमें गुलाम बनाना चाहते हैं, हमें बांटना और हम पर अपना नियंत्रण और प्रभुत्व कायम करना चाहते हैं। ये हमारे तेल, गैस, सोने, लोहे, एल्यूमिनियम और 25 मिलियन हेक्टेयर जोतने वाली जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। वे हमारी भौगोलिक स्थिति पर कब्जा करना चाहते हैं। हम अमेरिकी महाद्वीप के “मुक्तिदाताओं का पालना” हैं। वे इस पालने पर नियंत्रण करना चाहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि”हम आजादी, संप्रभुता और क्रांति के सच्चे वाहक हैं। वे लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों को जीतना और उन्हें अपना उपनिवेश बनाना चाहते हैं। वेनेजुएला की जनता यह सब जानती है। वह अपनी हिफाजत कर रही है और वह अपने लक्ष्य के प्रति जागरुक है। यही कारण है कि उन देशों के पूंजीपतियों के दिमाग में हमारे प्रति दुश्मनी और नफ़रत कायम हो गई है। वेनेजुएला अपने मार्ग पर चलेगा। यह वैश्विक वास्तविकता है और यही कारण है की दुनिया अब एक-ध्रुवीय दुनिया से, बहु-ध्रुवीय दुनिया की तरफ जा रही है।”
राष्ट्रपति मादुरो ने अमेरिका को “हस्तक्षेपकारी साम्राज्यवादी” बताया है। उन्होंने अमेरिका से स्पष्ट रूप से कहा है कि वह वेनेजुएला की संप्रभुता का सम्मान करें और वेनेजुएला की सरकार को धमकियां देना बंद करे। वेनेजुएला के विदेश मंत्री ने अमेरिका की इस कार्रवाई को सत्ता पलट की कार्रवाई बताया है। उनका कहना है कि इसे किसी भी दिशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता और वेनेजुएला की जनता अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगी।
वेनेजुएला में अमेरिका की यह दादागिरी जनतांत्रिक मूल्यों के मार्ग में एक बहुत बड़ी बाधा है। इससे तथाकथित जनतांत्रिक व्यवस्था के मूल्यों की पोल खुल रही है। पूरी दुनिया में उसकी हंसी उड़ रही है और उनकी यह हरकत बता रही है कि यह चंद साम्राजी पूंजीपतियों की सरकार और सत्ता जनता के असली जनतंत्र से डरती है, इससे खौफ खाती है और अमेरिका के तथाकथित जनतंत्र की यह कार्रवाई संप्रभुता, आजादी और जनतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के मूल्यों के बिलकुल खिलाफ है। इसे किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता।