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जलगांव मे एक अभूतपूर्व साहित्य संम्मेलन

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मध्यप्रदेश के दो वरिष्ठ कलमकारों के संयोजन मे महाराष्ट्र मे अखिल भारतीय मराठी साहित्य संम्मेलन सफल

# 2000 एकड की हरियाली से घिरी मनोहारी पहाडी पर स्थित जैन हिल्स पर हुआ संम्मेलन

जलगांव से लौटकर अनिलकुमार धडवईवाले

#इंदोर के  वरिष्ठ और नामचीन कवी-कहानीकार डॉ.श्रीकांत तारे और बुहरानपूर की लेखिका तथा ,शासकीय मध्यप्रदेश मराठी साहित्य अकादमी ( भोपाल ) की पूर्व निदेशक पूर्णिमा हुंडीवाले ने हाल ही जलगांव के डाॅ. संजय दहाड़ और ख्यात अधिवक्ता सुशील अत्रे और कुछ सक्रिय साहित्यकार व कार्यकर्ताओं साथ लेकर वहां साहित्य संस्कृति मंच के बैनर तले दो दिवसीय अखिल भारतीय मराठी साहित्य संम्मेलन का आयोजन किया था। उन्हे मराठी साहित्य और संस्कृति प्रेमी प्रसिद्ध उद्योगपति अशोक भाऊ जैन ने अपने जैन उद्योग समूह के दो हजार एकड की प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पहाडी पर बनाये गया  सर्वसुविधायुक्त रिसॉर्ट / टाऊनशिप निशुल्क प्रदान की था।जिससे संम्मेलन मे शरीक हुए मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,राजस्थान, गुजराथ, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के  कोई चार सौ साहित्यकर्मी औरसाहित्य प्रेमी स्वप्नवत/ कल्पना से परे योजनाबद्ध इंतजाम से गदगद हो गये थे।

भोपाल के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता शरद भोकरदनकर ,बडोदा के साहित्यकार – समाज सेवी सुधीर जोशी, इंदोर के राजेंद्र पंडित भी खास तौर पर शामिल हुए1 थे।आरंभ में कुमारी कश्मीरा हुंडीवाले ने नृत्य की एकल प्रस्तुति दी तथा जलगांव की सखी माऊली महिला मंडल की प्रतिभावान कलाकारों ने अवसर के अनुरूप अत्यंत सुंदर और नेत्र सुखद समूह नृत्य प्रस्तुत कर बढीया माहौल बना दिया था। उदघाटन की रस्म अदायगी महाराष्ट्र विधान सभा के पूर्वाध्यक्ष और ओजस्वी वक्ता अरुणभाई गुजराथी , आगामी 97 वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र शोभने, प्रसिद्ध कवि अशोक नायगांवकर अरुण म्हात्रे,

संयोजक द्वय श्रीकांत तारे और पूर्णिमा हुंडीवाले ने पुरी की। उदघाटन सत्र में अशोक भाऊ और अरुणभाई के निजी अनुभवों पर आधारित बहुत ही रोचक और विद्वतापूर्ण भाषणों से श्रोता बहुत खुश हुए। अशोक भाऊ ने अपने मार्मिक संबोधन में कहा,’यह एक अभिनव और अभूतपूर्व सुनियोजित मराठी साहित्य सम्मेलन है । जिसमें इतनी बडी तादाद मे कलमकार साहित्य के साथ-साथ एक-दूसरे के सुख-दुख  एक-दूसरे के साथ साझा करने के लिए बड़े स्नेह के साथ एकजुट हुए है। इस अवसर पर अरुण भाई गुजराती ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मराठी भाषा-साहित्य और संवर्धन के लिए ऐसे आयोजन होते रहना। यह  समय की तकाजा है. उन्होंने अपने अनोखे अंदाज में कई किस्से कहानियां सुनायीं और श्रोताओं को खूब हंसाया. इसके बाद साहित्य -संस्कृति -पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले नाटककार शम्भू पाटिल (जलगाँव) सामाजिक कार्यकर्ता शिरीष चिटनीस (सातारा), वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार धडवईवाले (इंदौर), संपादक अश्विन खरे (इंदौर) और लेखिका उमा कंपूवाले (ग्वालियर) का  सम्मान किया गया। इस अवसर पर कुछ पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया।

दूसरे सत्र में कवि अशोक नायगांवकर ने अध्यक्षता तथा कवि अरुण म्हात्रे के सूत्र संचालन मे कवी संम्मेलन यादगार बना।

शाम को कवि नायगांवकर और म्हात्रे का लोकप्रिय- मूड-फ्रेश कार्नेवाला कार्यक्रम “कविता ते मिश्कीली एक प्रवास ” काफी सराहा गया। कार्यक्रम दौरान अनवरत तालियां बजती रही और खुशी का इजहार होता रहा। अंत में दर्शकों ने स्वयंस्फूर्त खड़े होकर जोरदार तालियों से दोनों दिग्गज रचनाकारों का अभिनंदन किया। यह वास्तव में  मातृभाषा के प्रति बढती उपेक्षा व अनदेखी के दर्द को उजागर और  सजग करनेवाला यादगार कार्यक्रम था। प्रो.संजय बारी ने सटीक – प्रभावी संचालन और संजय दहाड ने आभार प्रदर्शन किया।

दूसरे दिन भी कवि गोष्ठी हुई।

दोनों काव्य गोष्ठी मे लगभग सौ कवि-कवयित्रींयो ने रचनाऐ प्रस्तुत की। महाराष्ट्र के कवि राजा धर्माधिकारी की  गझल को श्रोताओं बहुत रास आई । इन दो दिनों के दौरान ” लेखन से प्रकाशन तक एक कठिनाईभरा रस्ता ” और कई सवाल अनेक जवाब ” विषय पर रोचक चर्चा / परिसंवाद भी आयोजित हुए। विशेष उल्लेखनीय बात यह भी है कि उद्योगपती अशोक भाऊ अपनी बेहद व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर इसमें शरिक हुए थे,और सभी से आत्मीयता व सहजता से बातचित की। जिससे हर कोई उत्साहित- आनंदित हो गया. संम्मेलन के दौरांन पांच सितारा होटल की भांति आवास-भोजन-नाश्ता-चाय-कॉफी की व्यवस्था शानदार थी।पहाड़ियों पर ई-रिक्शा की सुविधा भी उपलब्ध थी। कुलमिलाकर यह  अविस्मरणीय साहित्य संम्मेलन रहा।

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