नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की विकास यात्रा का जिक्र होता है तो राम मंदिर आंदोलन की छवि मानस पटल पर उभर आती है। हिंदुत्व के एजेंडे पर चलने वाली पार्टी को मंदिर आंदोलन से वो सब कुछ मिला जिसकी अपेक्षा राजनीतिक पार्टी को होती है। जब भी भाजपा के 2 सीटों से 300 पार करने का इतिहास पलटकर देखा जाएगा तो उसमें मंदिर चैप्टर सबसे पहले आएगा। शुरुआत में भले ही यह अयोध्या के रामलला मंदिर तक सीमित दिखाई दे, पर भाजपा ने खुद को एक मंदिर तक सीमित नहीं किया। 2014 में सत्ता में आने के बाद आडवाणी की रथयात्रा के ‘सारथी’ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव को फिर से स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया। उत्तराखंड में बाबा केदार धाम का विहंगम स्वरूप हो या काशी में विश्वनाथ धाम परियोजना… भाजपा और विशेष रूप से पीएम मोदी ने हिंदुत्व के एजेंडे में मंदिरों को भव्य और दिव्य रूप प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया। आज इसका जिक्र होने की वजह भी खास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पावागढ़ मंदिर के शिखर पर 500 साल बाद ध्वज फहराया गया है।
कल्पना कर सकते हैं कि 5 शताब्दी के बाद और आजादी के 75 साल बीतने के बाद मां काली के शिखर पर ध्वजा नहीं फहरी थी। आज मां काली के शिखर पर आज मां काली के शिखर पर ध्वजा फहरी है…आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं।
आज नया भारत प्राचीन पहचान को जी रहा
आपने इस बात पर गौर किया होगा कि देश के किसी भी कोने में प्राचीन और भारत के सांस्कृतिक इतिहास को समेटे मंदिर के पुनर्निर्माण का जब भी मौका आया, पीएम मोदी वहां जरूर पहुंचे हैं। अयोध्या में भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है। इस बीच, माथे पर तिलक लगाए मोदी ने गुजरात की धरती से देशवासियों को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने अयोध्या राम मंदिर, काशी, केदार धाम का जिक्र करते हुए कहा, ‘आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं। आज नया भारत अपनी आधुनिक आकांक्षाओं के साथ-साथ अपनी प्राचीन पहचान को भी जी रहा है, उन पर गर्व कर रहा है।’