जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे को गोली मारी गई है। आबे, जिस समय स्टेज पर भाषण दे रहे थे, उन पर उसी समय हमला किया गया। आबे इस समय अस्पताल में हैं और उनका इलाज चल रहा है। उनकी हालत फिलहाल बेहद गंभीर बताई जा रही है। इस घटना ने दुनिया भर के नेताओं को हिला दिया है। पब्लिक ब्रॉडकास्टर एनएचके और क्योदो की तरफ से आबे की स्थिति बताने के लिए कार्डियो रेस्पेरेटरी शब्द का प्रयोग किया गया है। देश में इस शब्द का प्रयोग तब तक होता है जब तक डॉक्टर की तरफ से मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो जाती है। वैसे जापान में साल 1932 में ऐसी घटना हुई थी जिसमें एक नेवी ऑफिसर ने जापान के पीएम को मार डाला था।
तख्तापलट की कोशिशों का नतीजा
15 मई 1932 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इनुकाई सुयोशी पर एक युवा नेवी ऑफिसर ने हमला किया था। आज भी जापान और दुनिया के इतिहास में इस घटना को 5.15 घटना के नाम से जाना जाता है। ये हमला जापान में तख्तापलट की कोशिशों का नतीजा था। इस हमले में इम्पीरियल जापानी आर्मी के कैडेट्स भी शामिल थे। हमले में लीग ऑफ ब्लड नाम के चरमपंथी संगठन के लोग भी थे।
पीएम सुयोशी पर 11 नेवी ऑफिसर्स ने हमला किया था। इस हमले को जापान की जनता ने काफी सपोर्ट किया और ट्रायल बहुत ही कमजोर रहा। इसका नतीजा था कि हत्यारों को बहुत कम सजा मिली। यहां से जापान में सेना का दबाव भी बढ़ा और लोकतंत्र कमजोर होता गया। इस घटना को जापान की राजशाही को कमजोर करने वाला भी माना जाता है।
सुयोशी की हत्या के बाद 22 मई 1932 को नेवी एडमिरल साइतो मकोतो को देश का अगल पीएम बनाया गया। साइतो ने नेशनल यूनिटी कैबिनेट को एक साथ कर दिया। इसमें ब्यूरोक्रेट्स के अलावा दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। इसके बाद से ही जापान में कभी भी पूरी तरह से एक पार्टी पर आधारित कैबिनेट व्यवस्था नहीं देखी गई। हालांकि युद्ध के बाद इस व्यवस्था में बदलाव हुआ था।
सबसे सख्त गन लॉ
जापान जहां पर ये घटना हुई है, वहां गन लॉ दुनिया में सबसे सख्त हैं। हर साल गोलीबारी की घटनाओं में मरने वालों की संख्या सिर्फ इकाई के आंकड़ें तक ही रहती है। आबे पर हमले के लिए स्टेनगन का प्रयोग किया गया है। वो एक चुनावी रैली में थे जब ये घटना हुई। आंकड़ों के मुताबिक जापान में हर साल में गोलीबारी की बस 10 घटनाएं ही होती हैं। ऐसे में आबे पर हमला अपने आप में चौंकाने वाली बात है।
उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी अब सवाल खड़े किए जा रहे हैं। शिंजो आबे जापान के सबसे ज्यादा समय तक पद पर रहने वाले पीएम रहे हैं। वो 52 वर्ष की उम्र में देश के पीएम चुने गए थे। उनके नाम पर सबसे कम उम्र का पीएम होने का रिकॉर्ड भी है। साल 2020 में कोलाइटिस बीमारी के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।