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अनुराधा सिंघई को निलंबित,सेडमैप पर  लगा ग्रहण  खत्म 

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सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग (एमएसएमई) के अधीन उद्यमिता विकास केंद्र मध्यप्रदेश (द सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट मध्यप्रदेश) यानि सेडमैप की एक्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर (कार्यकारी संचालक) भ्रष्टाचार के कुंड में गले-गले तक डूबी मैडम अनुराधा सिंघई को निलंबित कर ही दिया गया… सेडमैप के आदेश क्रमांक सेडमैप अ.निक/२०२४/०७ दिनांक ०३/०९/२०२४ द्वारा मैडम को हटाने के बाद अम्बरीष अधिकारी ने बतौर कार्यकारी संचालक एकतरफा कार्यभार ग्रहण कर लिया है… इसके साथ ही सेडमैप पर  अभी तक लगा ग्रहण भी खत्म हो गया…

गौरतलब है कि संझा लोकस्वामी ने मैडम अनुराधा सिंघई के भ्रष्टाचार की पोल दस्तावेजी सबूतों के साथ प्रमुखता से खोलते हुए प्रकाशित की थी…. मैडम ने सेडमैप में अपना रुतबा इतना जबरदस्त कर लिया था कि साहिबा को ‘अनंत बुद्धि’ की अपार कृपा से प्रशासनिक चिकित्सा 12वां नक्षत्र (चमकता सितारा) होने का सौभाग्य तो प्राप्त हुआ, लेकिन उन्होंने इस चमक को कलकित कर दिया… यूं तो लंबे समय से मैडम द्वारा किए गए घोटाले एक के बाद एक सामने आ रहे थे, लेकिन वह सिर्फ चर्चाओं के केंद्र बिंदु में थे… संझा लोकस्वामी ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल करते हुए दस्तावेजी सबूत जुटाए तो ‘सरकार’ की नजरें भी फैल गईं… अच्छी तरह समझ में आ गया कि मैडम कुछ साहबानों की सरपरस्ती में जमकर आर्थिक रूप से सेडमैप को चूना लगा रही हैं, जिससे कितने ही बेरोजगारों का भविष्य भी खराब हो रहा है… ऑडिट रिपोर्ट में भी घोटाले की कुछ औरभ्रष्टाचारी करतूतें सामने आई हैं, जो इस प्रकार हैं-

ध्यान रहे कि तमाम कानून-कायदों को दरकिनार कर ‘साहब बहादुरों’ की पहली पसंद अनुराधा सिंघई के सर कार्यकारी संचालक की ताजपोशी होते ही सेडमैप खराबी-ओ-गुमराही की हालत में आ गया… नित-नए विवादों के साये में बगावत की आवाजें उठने लगीं… बागियों का सर कलम करने के चलने लगी ‘मैम’ की धारदार कलम… इसी तीखी कलम ने ‘टेंडर सिस्टम’ पर क्रासेस लगाते हुए अपने बलन की ऑडिटर फर्म ‘सोनम सुनील जैन एंड कम्पनी’ को ‘राइट च्वाइस’ की फेहरिस्त में शामिल कर लिया… जिसके पीछेईडी साहिबा की दूरदृष्टि काम कर रही थी… काबिलेगौर है कि सेडमैप द्वारा एसीएबीसी (एग्री क्लीनिक्स एंड एग्री बिज़नेस सेंटर) स्कीम के तहत किसानों को कृषि में पैदावार बढ़ाने की जानकारी देने वाली ट्रेनिंग कराई जाती है…

एसीएबीसी ट्रेनिंग को बंद कराने के लिए संस्था की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुराधा सिंघई द्वारा इस पूरे कार्यक्रम का ही स्पेशल ऑडिट कराया गया। पहले पूरी हो चुकीं सभी एसीएबीसी ट्रेनिंग प्रोग्राम जिनके ऑडिट पहले ही वार्षिक साधारण सभा द्वारा स्वीकृत किए जा चुके थे, उनके फिर से ऑडिट कराए गए। इन विशेष ऑडिट को कराने के पहले न तो संस्था के अध्यक्ष और न ही संचालक मंडल से किसी तरह की अनुमति ली गई। खास बात यह है कि इस ऑडिट को कराने के लिए न तो सेडमैप द्वारा खली निविदा निकाली गई और न ही किसी

को जानकारी दी गई। जिस ऑडिटर से ट्रेनिंग प्रोग्राम का ऑडिट कराया गया, उसकी रिपोर्ट में कई तरह की विसंगतियां हैं। बाद में इस रिपोर्ट को आधार बनाकर मैनेज के एसीएबीसी ट्रेनिंग को बंद कराया गया और इससे जुड़े हुए कर्मचारियों को संस्था से बाहर कर दिया गया। इस ऑडिट को कराने के लिए एमपी नगर स्थित ‘सोनम सुनील जैन एंड कंपनी’ नामक चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म को पूरा काम सौंप दिया गया।

सेडमैप द्वारा तय नियमों के दायरे में ही ऑडिटर की नियुक्ति हो सकती है…

निर्धारित नियमों के दायरे में ही ऑडिटर की नियुक्ति होती है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि जिस अवधि में एसीएबीसी की सभी ट्रेनिंग आयोजित की गईं, उसका पहले वैधानिक ऑडिट किया जा चुका था। इतना ही नहीं, सेडमैप द्वारा इसे वार्षिक साधारण सभा में प्रस्तुत कर इसे पास भी कराया जा चुका था। साधारण सभा की मुहर के बाद यदि भविष्य में किसी तरह की गड़बड़ी नजर आती है तो इसका स्पेशल ऑडिट कराया जाता है और इसके लिए खुली निविदा निकालकर नियमानुसार ऑडिटर फर्म को ऑडिट का काम दिया जाता है, लेकिन इस दौरान ऐसे किसी नियम का पालन नहीं किया गया और काम सीधे-सीधे सोनम सुनील जैन एंड कंपनी को दे दिया गया। खास बात यह है कि किसी भी ऑडिटर का चयन करने का अधिकार केवल सेडमैप के संचालक मंडल के पास ही होता है। इतना ही नहीं, इसका अनुमोदन वार्षिक साधारण सभा में होता है।

विसंगतियों से ओतप्रोत अजब- गजब 7 ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर बाहर किए गए 20 अधिकारी-कर्मचारी…

संस्था द्वारा एसीएबीसी स्कीम के अलावा विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम और कार्यक्रमों के 7 अन्य स्पेशल ऑडिट भी कराए गए हैं। सबसे पहले एसीएबीसी स्कीम के ऑडिट को आधार बनाकर संस्था के दो अधिकारियों को परमानेंट रिटायरमेंट दे दिया गया, जबकि यह दोनों संस्था के साथ 30 सालों से काम कर रहे थे। इसके बाद अन्य रिपोर्टों के आधार पर फरवरी 2024 में भी चार अधिकारियों को पद से हटा दिया गया। इनके अलावा भी 12 अन्य कर्मचारियों को हटा दिया गया।

गौरतलब है कि सेडमैप द्वारा एसीएबीसी स्कीम के तहत किसानों को कृषि में पैदावार बढ़ाने की जानकारी देने वाली ट्रेनिंग कराई जाती है। इस ट्रेनिंग के सभी नोडल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट कार्यकारी संचालक अनुराधा सिंघई की ‘तिरछी नज़र’ पड़ने से सितंबर 2021 से बंद हैं। इस कारण किसानों और खाद बीज व्यापारियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग सितंबर 2021 के बाद नहीं हो सकी है। दूसरी ओर सेडमैप की मौजूदा एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ईडी) अनुराधा सिंघई के एनजीओ ‘इंडो यूरोपियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (आईईसीसीआई) 2021 के बाद से लगातार इस ट्रेनिंग को आयोजित करवाता जा रहा है। बता दें, कि 35 लोगों की बैच के लिए की जाने वाली इस निःशुल्क ट्रेनिंग के प्रति बैच सेडमैप को लगभग 9 लाख रुपए की ग्रांट जारी होती थी। पूर्व में यह ट्रेनिंग सेडमैप के भोपाल और रायपुर स्थित नोडल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में आयोजित की जाती थी, लेकिन 2021 के बाद ट्रेनिंग के न होने से सेडमैप के भोपाल इंस्टीट्यूट को ही 1.26 करोड़ का घाटा हुआ। रायपुर इंस्टीट्‌यूट के बंद हो जाने से भी वहां भी सालाना तीन ट्रेनिंग के हिसाब से 81 लाख रुपए की हानि हुई। इसके अलावा सेडमैप द्वारा इस ट्रेनिंग के लिए ग्वालियर और बिलासपुर में भी इंस्टीट्यूट खोलने की तैयारी की गई थी। इसके लिए उन्होंने ट्रेनिंग कंडक्ट कराने वाली संस्था राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) के साथ 2021 में पत्राचार भी किया गया, जिसके बाद दोनों ही शहरों में इंस्टीट्यूट खोलने की अनुमति भी मिल गई, लेकिन मगरूर और भ्रष्ट ईडी सिंघई की मंजूरी न मिलने से दोनों जगहों पर ट्रेनिंग शुरू नहीं

सेडमैप के इंस्टीट्यूट शुरू होने से कार्यकारी संचालक की तिजोरी में होता घाटा....

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) द्वारा कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए देश भर में एग्री क्लीनिक्स एंड एग्री बिजनेस सेंटर (एसीएबीसी) के तहत नोडल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोले जाते हैं। इसी एसीएबीसी स्कीम में सेडमैप ने भोपाल और रायपुर में इंस्टीट्यूट खोल रखे थे। सेडमैप की ईडी सिंघई का एनजीओ आईईसीसीआई ने भी इसी स्कीम के तहत भोपाल में इंस्टीट्यूट खोल रखा था। ऐसे में यदि सेडमैप पूरे प्रदेश में योजना के तहत इंस्टीट्यूट खोलता तो इससे कहीं न कहीं सिंघई का एनजीओ भी प्रभावित होता। ऐसे में जानबूझकर सेडमैप के भोपाल और रायपुर इंस्टीट्यूट को बंद किया गया। साथ ही मैनेज से अनुमति मिल्ने के बाद बिलासपुर और ग्वालियर इंस्टीट्यूट शुरू नहीं होने दिए गए। पड़ताल में सामने आया है कि सेडमैप ने इसी के साथ इंदौर और जबलपुर इंस्टीट्यूट खोलने की भी तैयारी कर ली थी। मैनेज द्वारा एसएबीसी स्कीम के लिए खोले गए हर इंस्टीट्यूट को 35 किसान बच्चों के बेच की ट्रेनिंग के लिए 9 लाख रुपए की ग्रांट दी जाती है। सालभर में हर इंस्टीट्यूट 4 से 5 ट्रेनिंग आयोजित करवा देता है, लेकिन सेडमैप के पास सभी संसाधन होने के बाद भी मैनेज ट्रेनिंग बंद करवा दी गई।

अनुराधा सिंघई पर यह भी हैं आरोप

अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाली ऑथोरिटी थी। इतना ही नहीं 12 नवंबर 2021 को वे अपनी संस्थान के प्रेसिडेंट पद पर थी और सेडमैप की ईडी भी थी। इस तरह दोनों ही संस्थानों को अधिकृत हस्ताक्षकर्ता थीं।

अनुराधा सिंघई सेडमैप की ईडी रहते हुए भी अपने एनजीओ ‘इंडो यूरोपियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (आईईसीसीआई) की प्रेसिडेंट आज दिनांक तक बनी हुई है। सिंघई ने 27 जुलाई 2021 को सेडमैप इडी के रूप में कार्यभार संभाला था, लेकिन वे इसके बाद भी अपने एनजीओ आईईसीसीआई के प्रेसिडेंट के रूप में लगातार हैदराबाद की मैनेज संस्था के साथ पत्राचार करती रही। सिंघई ने 7 अगस्त 2021 को अपनी संस्था के प्रेसिडेंट बतौर मैनेज के एसीएबीसी स्कीम प्रमुख डॉ. सहाजी संभाजी को एक मेल किया, जिसमें उन्होंने एसीएबीसी स्कीम के लिए आईईसीसीआई के नोडल ऑफिसर के रूप में अपनी जगह राहुल सोनी को नियुक्त करने की बात कही। (देखें ई-मेल की कॉपी) इसके बाद 31 अक्टूबर 2021 को भी वे आईईसीसीआई की ओर से मैनेज संस्था के साथ हुए

इतना ही नहीं, उनका एनजीओ हैदराबाद स्थित मैनेज संस्था (राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान) में एसएबीसी स्कीम के लिए नोडल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बना रहा। गौरतलब है कि नोडल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की नोडल ऑफिसर रहते हुए ट्रेनिंग देने का कार्य करती रही। इसी दौरान, शिकायतों के चलते सिंघई मैडम को दिनांक 7 अगस्त 2021 को नोडल ऑफिसर पद से मजबूरीवश इस्तीफा देना पड़ा, किंतु आईईसीसीआई की डायरेक्टर बनी रही। वह भी उस स्थिति में जबकि सेडमैप के नियमों के अनुसार, सिंघई उनके परिवार का कोई भी सदस्य और उनके माता-पिता या भाई सहित कोई भी रिश्तेदार उल्लेखित एनजीओ जो सेडमैप से जुड़ा हुआ है, समेंअलग-अलग समय पर नौकरी से काल दिया गया…

1. दिनेश खरे (डिसमिस)

2. राजीव सिंघई (डिसमिस)

3. आरडी मांडवकर (डिसमिस)

4. शरद के मिश्रा (डिसमिस)

5. रविकांत मिश्रा (कंपल्सरी रिटायरमेंट)

6. मनोज सक्सेना (कंपल्सरी रिटायरमेंट)

7. एस के आचार्य (इस्तीफा लिया)

. रविकांत टंडन (इस्तीफा लिया)

8 9 . सत्यवती थेनुआ (वीआरएस भरवाया)

10. विनोद दुराफे (वीआरएस भरवाया)

11. अजय निमोंकर (वीआरएस भरवाया)

. राजेन्द्र त्रिपाठी (रिमूव कर दिया, कोर्ट से स्टे है) 12

ये सभी कर्मचारी रेगुलर पोस्ट पर 27 से 33 सालों

से कार्यरत थे, लेकिन आज इनके पास कोई काम नहीं है… इसके अलावा निम्नलिखित कर्मचारी लगभग 15 से अधिक वर्षों से कार्यरत थे, इन्हें भी मैडम की नादिरशाही के चलते बिना वजह शिकार होना पड़ा…बिनक़सूर इनके पेट पर लात मार दी गई…

13. मनोज शर्मा

18. सुधाकर पंडाग्रे

14. शरद सिंह

19. राजीव शर्मा

15. लवकुश निरपुरे

20. अभिषेक मिश्रा

16. अनिल शर्मा

21. डीके श्रीवास्तव

17. एन के पचौरी

22. ओ पी यादव

पदाधिकारी नहीं रह सकता।

बावजूद इसके, मैडम अनुराधा नियमों को धत्ता बताती हुई प्रेसिडेंट पद का बिल्ला जड़े तमाम गतिविधियां संचालित कर रही है, इतना ही नहीं पति अभिषेक सिंघई एवं उनका भाई स्वप्निल शर्मा एवं एक अन्य करीबी विवेकानंद पांडे उक्त एनजीओ में विभिन्न पदों पर कुंडली मारे बैठे हुए हैं।

मैडम की करतूतों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच

मैडम अनुराधा सिंघई के खिलाफ राज्य शासन ने निलंबन के पहले जांच भी बैठा दी है… जांच के लिए औद्योगिक विकास निगम भोपाल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सीएस ध्रुव को नियुक्त किया गया है… जांच के बिंदु भी तय कर दिए गए हैं… जो इस प्रकार है.. सेडमैप से कितने लोगों को सेवा से निकाला… कितने लोगों को भर्ती किया… कितने नए भर्ती वाले कर्मचारी नौकरी छोड़ कर चले गए… आदि विषयों पर जांच की जानी है..

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