प्रोफे. श्रावण देवरे का उपमुख्यमंत्री फडणवीस से मांग !*
*चुनावी जुमले की आशंका!*
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री मा. ना. देवेंद्र फडणवीस ने 25 मार्च को विधानसभा में घोषित किया कि बिहार सरकार द्वारा हो रही ओबीसी जनगणना का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति भेजी जायेगी। यह विशेषज्ञ समिति माननीय विधायक कपिल पाटिल की अध्यक्षता में गठित की जाय, ऐसा आह्वान ओबीसी नेता *प्रोफे. श्रावण देवरे* ने एक पत्रक द्वारा किया है।
इसके बारे में अधिक स्पष्टीकरण करते हुए प्रोफे. देवरे ने कहा कि, ‘शिक्षक विधायक कपिल पाटिल ने 9 मार्च 2023 को विधानपरिषद में ओबीसी जनगणना व जाति आधारित जनगणना के विषय पर प्रश्न उपस्थित किया था।’ *‘बिहार सरकार यदि ओबीसी जाति आधारित जनगणना करा सकती है तो फुले, साहू, अंबेडकर के महाराष्ट्र में यह जनगणना क्यों नहीं हो सकती?’* विधायक कपिल पाटिल के इस सवाल का जबाब देने में सरकार को पूरे 17 दिन लग गए। 25 मार्च को उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने विधानसभा में उत्तर देते हुए कहा कि बिहार सरकार ने उनके राज्य में ओबीसी जाति आधारित जनगणना शुरू किया हुआ है , वह पूर्ण होने के बाद महाराष्ट्र से एक विशेषज्ञ समिति बिहार में अध्ययन करने के भेजी जाएगी ताकि उसकी कमियाँ और त्रुटियां दूर करके महाराष्ट्र में भी ओबीसी जाति आधारित जनगणना शुरू की जाएगी।
*ओबीसी जनगणना का अध्ययन करने वाली समिति मा. विधायक कपिल पाटिल की अध्यक्षता में नियुक्त की जाय,* यह आह्वान प्रोफे. देवरे ने किया है। विधायक कपिल पाटिल ओबीसी आंदोलन से आये हुए नेता हैं और उसी प्रकार वे किसी पार्टी से जुडे नहीं है इसलिए उनका किसी पार्टी से कोई दलीय पक्षधरता नहीं है इसलिए वे ओबीसी जनगणना के संबंध में गंभीरता पूर्वक अध्ययन करके अचूक रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं।
*इस समिति में महाराष्ट्र के सामाजिक आंदोलनों के इस विषय के जानकार व विशेषज्ञ लोगों की सदस्य के रूप में नियुक्ति की जाय, ऐसी मांग भी उन्होंने इस पत्रक में की है।*
*ना. फडणवीसजी का चुनावी जुमला?*
ओबीसी जनगणना की घोषणा चुनावी जुमला तो नहीं सिद्ध होगी, ऐसी आशंका प्रकट करते हुए प्रोफे. देवरे लिखते हैं कि-
*कांग्रेस व भाजपा ने सत्ता में रहते हुए इसके पहले भी ओबीसी जनगणना कराने का आश्वासन लोकसभा में दिया था किंतु प्रत्यक्ष में ओबीसी जाति आधारित जनगणना कभी कराई ही नहीं जाती।* पिछले पचहत्तर सालों से यही खेल चालू है। आज भी फडणवीस का दिया हुआ आश्वासन चुनावी जुमला होने की अधिक आशंका है। क्योंकि 16 विधायकों के निलंबन का सुप्रिम कोर्ट का निर्णय दो चार दिन में आ सकता है उसके बाद सरकार गिरने के अत्यधिक संभावना है, सरकार बचाने के लिये 16 विधायक खरीदने पड़ेंगे व हर एक को 100 खोके के हिसाब से अरबों रुपये खर्च करने पड़ेंगे. वह संभव नहीं हो पाया तो सरकार गिरेगी यह निश्चित है।
राष्ट्रपति शासन लगा तो छः महीने के अंदर मध्यावधि चुनाव की घोषणा हो सकती है. ऐसी परिस्थिति में *राज्य में दुबारा सत्ता पाने के लिए ओबीसी जनगणना के शिवा दूसरा कोई भरोसे का मुद्दा नहीं होगा.* ओबीसी केवल आश्वासन पर जीने वाली जाति है, ऐसी गैर समझ सभी राजनीतिक पार्टियों की बन चुकी है. कुछ हद तक वह सही भी है। *किन्तु अब ओबीसी जनता पूर्णतः जागृत होने के कारण फडणवीस के चुनावी जुमले का उत्तर देने के लिए कमर कसकर खड़ी है।*
इसलिए शीघ्रातिशीघ्र विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति करके बिहार भेजें और महाराष्ट्र में ओबीसी जाति आधारित जनगणना शुरू करें तभी लोग फडणवीस पर विश्वास करेंगे *अन्यथा चुनावी जुमले का खेल ओबीसी जनता से खेलेंगे तो चुनाव में उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी!*ऐसी प्रखर चेतावनी भी पत्रक में दी गई है।
– *प्रोफे. श्रावण देवरे*
ओबीसी नेता
*मोबाईलः* 9422788546