अग्नि आलोक
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क्या सरकार के इशारे पर लिखे जा रहे हैं अदालतों के फैसले ?

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 देश की न्यायविद् वृन्दा ग्रोवर जी से बातचित के अनुसार ….. !*

दो दिन पहले दिल्ली के पटियाला हाऊस कोर्ट में अभियोजन के वकील और मोहम्मद जुबैर की वकील वृन्दा ग्रोवर के बीच जुबैर के जमानत के लिए जमकर बहस हुई, बहस के बाद माननीय जज महोदय तकरीबन 1 बजे अपने कक्ष मे चले गये। सभी *बेल ऑर्डर* का इन्तजार कर रहे थे. तभी लगभग ढ़ाई बजे *आईएफएसओ* ( इंटेलीजेंस फ्यूजन एण्ड स्ट्रेटेजी ऑपरेशन ) के डीएसपी केपीएस मल्होत्रा कोर्ट के बरामदे मे यह कहने लगे कि जुबैर की जमानत खा़रिज कर दी गयीं और जुबैर की न्यायिक अभिरक्षा 14 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया हैं।

डीएसपी मल्होत्रा के इतना कहने के बाद सारे चैनलों मे इस खबर की शोर मचने लगी सुश्री वृन्दा ग्रोवर सहित सारे वकीलगण अवाक् रह गए कि ऐसे कैसे मुमकीन है ? जज ने अभी फैसला लिखा ही नही अपने चैम्बर से बाहर नही आयें हैं, फिर डीएसपी ( दिल्ली पुलिस ) मल्होत्रा को यह जानकारी कैसे मिली ? 

जज साहब जब कोर्ट मे बैठे तो मोहम्मद जुबैर की वकील वृन्दा ग्रोवर ने आपत्ति प्रकट करते हुए कोर्ट को चैनलों पर चल रही खबरों की जानकारी दिया, उसके बाद करीब शाम 7 बजे कोर्ट ने वहीं आदेश दिया जो डीएसपी मल्होत्रा ने टीवी चैनलों को बताया था। *मोहम्मद जुबैर की वकील इस अनापेक्षित कार्यवाही के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।*

*चारो ओर मोहम्मद जुबैर की गैरकानूनी गिरफ्तारी की निन्दा और रिहाई की मांग उठ रही हैं।*

*संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में पिछले मंगलवार को सवालों के जवाब में अल्ट न्यूज़ के सहसंस्थापक मोहम्मद जुबैर को तत्काल रिहा करने की मांग उठायीं*

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने मंगलवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान पूछे गए सवालो के जवाब में  कहा कि दुनिया भर में किसी भी स्थान पर यह बहुत महत्वपूर्ण हैं, कि लोगों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति  की अनुमति दी जायें। पत्रकारों को तो स्वतंत्र रूप से और बिना किसी उत्पीड़न की धमकी के अपनी बात रखने रिपोर्टिंग करने की आज़ादी दी जायें।

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में सीपीजे (Committee to Protect Journalists ) के एशिया कार्यक्रम के समन्वयक स्टीवन बटलर ने कहा है कि पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी से भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का स्तर और नीचे चला गया है। साम्प्रदायिक मुद्दों से जुडी खबरें प्रकाशित करने वाले प्रेस के सदस्यों के लिए असुरक्षित शत्रुतापूर्ण माहौल बना दिया गया है। स्टीवन बटलर ने आगे कहा कि अधिकारियों को तत्काल और बिना किसी शर्त के जुबैर को रिहा करना चाहिए और उन्हें बिना किसी दखलअंदाजी के पत्रकारिता करने देनी चाहिए हैं।

मोहम्मद जुबैर के समर्थन में हमारे देश मे भी कुछ कम नही हो रहा हैं। लोकतंत्र और संविधान पर भरोसा रखने वाले आम देशप्रेमी, विभिन्न जनवादी आन्दोलन के आन्दोलनकारी, मानवाधिकार संगठनों के कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता, वकील, लेखक ईमानदार पत्रकारगण सभी के सभी समवेत स्वर में मुक्तकंठ से रिहाई की मांग कर रहे हैं। मोहम्मद जुबैर की वकील एडवोकेट वृन्दा ग्रोवर बता रही हैं, कि दिल्ली पुलिस ने लैपटॉप और मोबाईल फोन जप्त किया हैं, लेकिन इसमें जुबैर के खिलाफ कोई सबूत नही मिले, इस मामले मे दिल्ली पुलिस अपराध सिद्ध करने में भी पूरी तरह नाकाम रही हैं।

*राणा अय्यूब को अमेरिका में स्वतंत्र पत्रकारिता का सबसे प्रतिष्ठित ‘प्रेस फ्रीडम अवार्ड’ मिला है। राणा अय्यूब इस अवार्ड को जेलो बंद पत्रकारों को समर्पित किया हैं, अय्यूब का प्यारा और निराला तरीका हैं मोहम्मद जुबैर की रिहाई के मांग करने का …. !*

*सलाम – ए – सुबह ...*

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