भोपाल
पीएम मोदी को आदिवासियों के हाथों से बनी कलाकृतियां गिफ्ट की जाएंगी। इसमें कोटि (जैकेट) झाबुआ से बुलवाई गई है, जिसे भीलों ने बनाया है। साफा और बीरन माला डिंडौरी के बैगाओं की तरफ से और जोबट के भीलों का तीर-धनुष होगा। मप्र में गौंड, भील और बैगा समुदाय ही बड़ी संख्या में है। आदिम जाति विभाग की ओर से यह उपहार एसपीजी के सुपुर्द कर दिया गया है। पद्मश्री सम्मान पाने वाले 2 आदिवासी गौंड चित्रकार भूरी बाई और भज्जु सिंह श्याम की पेंटिंग भी मोदी को भेंट की जाएगी। जनजातीय संग्रहालय ने 14 पेंटिंग में से दो चित्रकारों की दो पेंटिंग चुनी हैं।
भज्जु सिंह श्याम की ‘छांव’ पेंटिंग
गोंड चित्रकार पद्मश्री भज्जु सिंह श्याम की पेंटिंग ‘छांव’ है। इसमें एक घने पेड़ के नीचे बहुत से जानवरों को दिखाया गया है। वहीं पर पक्षियों का चित्रांकन किया गया है। संग्रहालय अध्यक्ष अशोक मिश्रा ने बताया कि पेंटिंग पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही हैं। उन्होंने पेंटिंग के माध्यम से लोगों को पौधरोपण का संदेश दिया है ताकि वे बड़े होकर छांव देने के साथ ऑक्सीजन भी दे।
शिवपुरी से भी आई है मोदी जैकेट
शिवपुरी के विकासखंड बदरवास की महिला स्व सहायता समूह प्रगति ने मोदी जैकेट बनाया है। राधा व समूह इस जैकेट को लेकर भोपाल आए हैं। महिला समूह यह जैकेट प्रधानमंत्री को भेंट करेगा। बदरवास में 2500 महिलाएं खादी से जैकेट बनाने का काम करती हैं। इन्हीं ने मोदी के लिए विशेष जैकेट बनाई है। इसकी अभी यूपी और बिहार में डिमांड है। इसके साथ ही जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें 24 प्रोडक्ट हैं, जिनका अवलोकन मोदी करेंगे।
22 साल पहले मोदी का पता था ई/2 अरेरा कॉलोनी
22 साल पहले, नरेंद्र मोदी का पता पंडित दीनदयाल परिसर ई/2 अरेरा कॉलोनी भोपाल 462016 हुआ करता था। वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी होने के नाते यहां रहे। उस दौरान वे पं. दीनदयाल परिसर के जिस कमरे में रहते थे, अब उसे वीआईपी रूम कहा जाता है। इस कक्ष को बाहरी तौर पर नई शक्ल दी गई है। अब यह आदिवासी संस्कृति के रंग में रंगा दिखाई देता है। वजह भी है, 15 नवंबर को भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन।
नई दिल्ली जाने के पहले भाजपा के पितृपुरुष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे ने भी काफी वक्त यहां गुजारा। मोदी वर्ष 1998 में भोपाल आए थे। परिसर में स्थित मुख्य कार्यालय के पास ही भूतल पर उनका कमरा था। इस कमरे में चार साधारण कुर्सियां, एक सोफा, एक टेबल, एक तख्त, एक छोटी आलमारी थी। कमरे का पर्दे से पार्टिशन करके मोदी ने तख्त को भीतर करवा दिया था ताकि वे वहां नींद ले सके।
वे भोपाल में रहने के दौरान सुबह 5 बजे उठ जाते थे। इसके बाद योग-ध्यान का सिलसिला करीब डेढ़ घंटे तक चलता। सुबह सात बजे उनके कक्ष का दरवाजा खुल जाता। इस दौरान प्रदेश कार्यालय में आने वाले तमाम अखबार उनके कक्ष में पहुंचा दिए जाते। इनको वे काफी देर तक पढ़ते।
विजयव्रति कार्यकर्ता बनाए
मोदी के प्रदेश प्रभारी कार्यकाल के दौरान विधानसभा चुनाव हुए थे। तब मध्य प्रदेश अविभाजित था। चुनाव की खातिर उन्होंने 200 विजयव्रति कार्यकर्ता तैयार किए थे। इनमें से कुछ कार्यकर्ताओं को दो-दो विधानसभा क्षेत्र का जिम्मा भी सौंपा। भाजपा संगठन में देशभर में ये पहला प्रयोग था।
वही कक्ष अब वीआईपी रूम
मोदी जिस कक्ष में रहे अब उसे वीआईपी रूप कहा जाता है। व्यवस्थाएं चकाचक हैं। सीएम, प्रदेशाध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी सरीखे नेता जब आते हैं तो यहीं बैठते हैं। इसी कक्ष से 7 नवंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति से सीएम, प्रदेशाध्यक्ष समेत अन्य नेता वर्चुअल तरीके से जुड़े थे।