अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अरुण पुरी द्वारा देश से माफी मांगनी चाहिये

Share

प्रवीण मल्होत्रा

इंडिया टुडे के प्रधान सम्पादक अरुण पुरी ने 19 जून के अंक में एक बड़ी सच्चाई को स्वीकार किया है जिसे विपक्ष बार-बार कह रहा था लेकिन अरुण पुरी जैसे मीडिया दिग्गज उस समय कानों में रुई ठूंस कर बैठे थे.अरुण पूरी के अनुसार मोदी-2 में लोग ड्राइंगरूम में फुसफुसाते हुए बात करते थे. सरकार के मंत्री बात करते वक्त फोन बन्द कर देते थे. यहां तक कि निजी बातचीत में भी अपना फोन बन्द कर देते थे और आगंतुक को भी अपना फोन बन्द करने को कहते थे ( पैगासस इफेक्ट यानी पैगासस से मंत्री भी डरे हुए थे कि उनकी बातचीत भी टेप हो सकती है ). व्यवसाई सरकार के खिलाफ जाने से डरते थे ( कहीं ED या CBI की रेड न पड़ जाये ).शिक्षाविद अपनी राय खुलकर जाहिर करने से घबराते थे ( कहीं यूनिवर्सिटी से बर्खास्त न हो जायें ). गैर सरकारी संगठनों (NGO) को दुश्मनी भरे माहौल का सामना करना पड़ता था ( उनकी फंडिंग बन्द करने के अलावा उन्हें शत्रु देशों का एजेंट बता कर जेलों में सड़ाया जा सकता था ) 

अरुण पूरी के अनुसार सभी एग्जिट पोल गलत होने का कारण यह है कि लोगों ने सरकार के डर से सही बात नहीं बताई. यानी वे इस बात से मुकर गए हैं कि एग्जिट पोल सिरे से झूठे और मेंन्युपुलेटेड थे. अब जाकर अरुण पूरी को यह अहसास हुआ है कि ”किसी भी जीवंत और धड़कते हुए लोकतंत्र के लिए एक स्वतंत्र प्रेस जरूरी है. अगर प्रेस पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, अनगिनत सरकारी घटनाओं को  कवर करने के लिए ‘निर्देशित’ किया जाता है और प्रतिशोध के डर से आलोचना को दबा दिया जाता है, तो हम सभी जमीनी हकीकत से बहुत दूर हो जाते हैं.” लेकिन अरुण पूरी ने यह नहीं लिखा कि इसके लिए वे और उनका पिट्ठू/गोदी मीडिया ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है जो 10 साल तक सरकार का दरबारी भांड बना रहा. 

भांडगिरी में अरुण पूरी का टीवी चैनल ‘आज तक’ ही सबसे आगे है, जिसके एंकर और एंकर्णियाँ केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के प्रवक्ता बनकर  विपक्ष के प्रवक्ताओं को बार-बार अपमानित कर रहे थे. एक निकृष्ट चैनल का मालिक रजत शर्मा जो कि निहायत घटिया और लीचड़ एंकर भी है, अभी भी भाजपा द्वारा बहुमत नहीं ला पाने को पचा नहीं पाया है. वह कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक को लाईव प्रसारण में अपशब्द और गाली बकने से खुद को रोक नहीं पाया. उसके भीतर का जहर उगल कर बाहर आ गया. लेकिन सत्ता पोषित राष्ट्रीय महिला आयोग को कुछ नहीं दिखा और न कुछ सुनाई दिया है. 

अरुण पूरी ने यह भी लिखा है कि “अगर पिछली सरकार ईको चेम्बर्स में नहीं रहती तो शायद उसे इस चुनावी नियति का सामना नहीं करना पड़ता. संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर किया गया है ( हमारे अनुसार नष्ट कर दिया गया है ). प्रवर्तन एजेंसियों का इस्तेमाल आतंकित करने के औजार के रूप में किया जा रहा है. पीएमएलए और राजद्रोह जैसे ढीले-ढाले ढंग से ड्राफ्ट किये गए कठोर कानूनों का लापरवाही से इस्तेमाल किया जा रहा है. अनगिनत नियम और कानूनों के साथ, बिना किसी ठोस सबूत के मामले दर्ज किये जा सकते हैं.” अरुण पूरी को यह सब अब याद आ रहा है जब प्रधानमंत्री का 400 पार का दावा हवा-हवाई हो गया और वे खुद कठोर जमीन पर आ गए. क्या अरुण पूरी और उनकी प्रतिष्ठित पत्रिका ने प्रवर्तन एजेंसी की मनमानी कार्रवाईयों पर कभी कोई स्टोरी की या उनके सबसे तेज चैनल ने इस पर कभी कोई डिबेट करवाई? आज यह सब उन्हें गलत लग रहा है. 

जब भारत को रूस बनाया जा रहा था तब अरुण पूरी जैसे मीडिया दिग्गज न सिर्फ चुप थे बल्कि सरकार  की हां में हां मिलाने में सबसे आगे थे. मोदीजी की इमेज़ को गढ़ने के लिए इंडिया टुडे द्वारा हर छः महीने में एक सर्वे कराया जाता है जिसमें मोदीजी को महामानव और अवतारी महापुरुष घोषित करने के पुरे प्रयास किये जाते हैं. अरुण पूरी जी आपने यदि यह सब प्रायश्चित स्वरूप नहीं भी लिखा है तब भी आपको मीडिया द्वारा सही जिम्मेदारी नहीं निभाने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिये.

#IndiaToday 

#arunpuri 

#aajtak 

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें