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अरुण पुरी को उनके पूर्व छात्रों ने दिखाया आइना

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भारतीय मीडिया उद्योग में मीडिया मुगल का रूतबा रखने वाले टीवी-टुडे ग्रुप के मालिक अरुण पुरी को उनके द्वारा संचालित एक स्कूल के पूर्व छात्रों ने आइना दिखाया है। पूर्व छात्रों ने अरुण पुरी समेत इंडिया टुडे ग्रुप की पत्रकारिता पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें नैतिकता का सबक भी पढ़ाया। पूर्व छात्रों ने एक पत्र लिखकर न्यूज चैनल ‘आज तक’ पर चलने वाले समाचार कार्यक्रमों को लेकर सख्त टिप्पणी की है।

वसंत वैली स्कूल के 192 अलुमिनी (पूर्व छात्रों) ने 18 सितंबर को वसंत वैली स्कूल और इंडिया टुडे ग्रुप के मालिक अरुण पुरी के नाम एक पत्र लिखा था। सोशल मीडिया पर पत्र के वायरल हो जाने के बाद यह चर्चा का विषय बना हुआ था। अपने इस पत्र के माध्यम से वसंत वैली स्कूल के पूर्व छात्रों, जो वर्तमान में कई प्रमुख संस्थानों में या तो कार्यरत हैं या देश-विदेश में महत्वपूर्ण पदों पर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, ने स्कूल के संस्थापक और देश के सबसे बड़े मीडिया समूह के प्रमुख को शिक्षा और पत्रकारिता की नैतिकता की याद दिलाते हुए हाल के दिनों में आज तक न्यूज़ चैनल और विशेषकर ‘ब्लैक एंड वाइट’ कार्यक्रम को लेकर कड़ी टिप्पणियां की थीं।

तब इस खबर को अनेकों मीडिया चैनलों ने अपनी खबर बनाया था। संभवतः अगर यही सवाल मीडिया जगत से उठता या नागरिक संगठनों द्वारा उठाया जाता तो इस बात की पूरी-पूरी संभावना थी कि अरुण पुरी इसका कोई जवाब भी नहीं देते। देश में सरकार का सबसे प्रिय गोदी मीडिया बनकर कृपापात्र बनने की होड़ में इंडिया टुडे ग्रुप का कोई सानी नहीं है। हालत तो यह हो गई है कि घृणा और मुस्लिम विरोधी कुत्सित प्रचार को हवा देने वाले जिन एंकरों को उनके पिछले संस्थानों ने किन्हीं वजहों से हटा दिया, उनको भी आज तक न्यूज़ चैनल ने झट अपनी झोली में डाल कहीं न कहीं मोदी सरकार और अंधभक्तों की जमात को भी संदेश दे दिया था कि हम वो चैनल हैं, जो आपके लिए पलक पांवड़े बिछाए हुए हैं।

बात आई गई हो गई थी, लेकिन वसंत वैली स्कूल दिल्ली ही नहीं देश में अभिजात्य वर्ग के बीच में सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक है। वसंत विहार में स्थित इस स्कूल में प्रवेश के लिए जैसी होड़ रहती है, शायद ही कहीं अन्य स्कूल में ऐसा हो। स्कूल अपने आप में एक स्टेटस सिंबल है। ऐसे में उसके 192 पूर्व छात्रों द्वारा स्कूल में सिखाई गई नैतिक शिक्षा की दुहाई देते हुए संस्थान के संस्थापक को ही नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाना कुलीन वर्ग के बीच में अरुण पुरी को लगता है, काफी अखरा। इसलिए इसके जवाब में आज उन्होंने ट्विटर (X) पर अपना जवाब लिखा है, जिसके जवाब में काफी तीखी प्रतिक्रिया आ रही है।

अपने जवाब में अरुण पुरी लिखते हैं:

My response to VVS Alumni Dear 192 Vasant Valley School Alumni,  Thank you for taking the time to share your concerns with me. It is good to know that in this day and age when everybody is constrained for time, you are watching and reading our work and deeply invested in our multiple brands. I have read and duly taken note of your concerns, as we do with all feedback we receive.  As the Chairman of the India Today Group, I have always believed that everyone is entitled to an opinion. Diverse perspectives are critical for civic discourse in a democracy, and no one group represents all of it. The India Today brands represent all points of view across the nation. Presenting these and being able to deal with them is the sign of a robust democracy, and I believe we do this very successfully. The viewer must determine which media most closely tracks their beliefs. After all, the ultimate arbiter of our work is our 500 million viewers and followers.

Best wishes,

Aroon Purie


“वीवीएस अलुमिनी को मेरा जवाब,
प्यारे 192 वसंत वैली स्कूल के भूतपूर्व छात्रों,
मेरे साथ अपनी चिंताओं को साझा करने के लिए समय निकालने के लिए आप सबका धन्यवाद।

यह जानकर अच्छा लगा कि आज की भागदौड़ की जिंदगी में जब किसी के पास दो पल का समय निकालने की फुर्सत नहीं है, आप लोग हमारे विभिन्न ब्रांड्स के उत्पादों को देख और पढ़ रहे हैं और समय का निवेश कर रहे हैं। मैंने आपकी लिखी बातों को पढ़ा और चिंताओं का संज्ञान लिया है, जैसा कि हम सभी फीडबैक को लेकर करते हैं।

इंडिया टुडे ग्रुप का चेयरमैन होने के नाते, मेरा हमेशा से इस बात पर विश्वास रहा है की प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राय बनाने का हक है। एक लोकतंत्र के भीतर नागरिक चर्चा के लिए विविध दृष्टिकोण का होना बेहद आवश्यक है, और कोई एक समूह इन सभी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। इंडिया टुडे ब्रांड्स समूचे देश के भीतर सभी प्रकार के दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है। इन्हें प्रस्तुत करना और इनसे कार्य-व्यवहार में सक्षम होना, एक मजबूत लोकतंत्र की निशानी है, और मेरा विश्वास है कि हम इसे बेहद सफलतापूर्वक संपन्न कर सकते हैं।

दर्शक को स्वयं तय करना होगा कि वह कौन सा मीडिया है जो उनके विश्वासों के सबसे करीब खुद को बनाये रखता है। आखिरकार, हमारे काम के निर्णायक पंच-परमेश्वर तो हमारे 50 करोड़ दर्शक और अनुयायी हैं।
शुभकामनाओं सहित,
अरुण पुरी”


अरुण पुरी की ओर से इस जवाब के दो अर्थ निकलते हैं। एक, उन्हें इस बात की चिंता है कि प्रभु वर्ग से आने वाले लोगों के बीच में भी नफ़रत की आग एक हद के बाद असहनीय हो उठी है, और वे भी कहीं न कहीं देख रहे हैं कि इस आग में कहीं न कहीं उनका आशियाना भी आज नहीं तो कल ख़ाक हो सकता है। हाल के दिनों में हरियाणा के नूह जिले में सांप्रदायिकता की आग के संबंध में अलुमिनी की चिंता बताती है कि कहीं न कहीं पिछले दिनों उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी गुरुग्राम और मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ा था।

विशेषकर दो दिन तो हालात ऐसे थे कि सड़क पर निकलने वाले हर वाहन और वाहन चालक के साथ कब क्या अनहोनी हो जाये, को लेकर दिल्ली-एनसीआर का अभिजात्य वर्ग भी सकते की स्थिति में था। अचानक से देश और विदेशों के तमाम व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने अपने कॉर्पोरेट कार्यालयों के संचालन को रिमोट रहकर चलाने का फैसला लिया था। लेकिन सबसे बुरी स्थिति तो उन औद्योगिक ईकाइयों को हुई थी, जिनके कार्यस्थल पर श्रमिकों की हाजिरी घटकर आधी हो गई थी। एक्सपोर्ट के आर्डर बुरी तरह से प्रभावित हो रहे थे, क्योंकि गुरुग्राम और आसपास के करीब 50 से अधिक गाँवों में पंचायत बुलाकर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के साथ किसी भी प्रकार के आर्थिक संबध का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया था। लेकिन इससे पहले ही शहरों और बस्तियों से मुस्लिम श्रमिकों को परिवार सहित किराए के मकानों को खाली करने का हुक्म सुना दिया गया था। हजारों की संख्या में इन गरीब लोगों को स्वदेश वापसी करनी पड़ी थी, जिसका खामियाजा उन व्यवसाइयों और उद्योगपतियों को भी अवश्य उठाना पड़ा, जिनका संबंध कहीं न कहीं वसंत वैली जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित स्कूलों के भूतपूर्व छात्रों से भी है।

यही वजह है कि पत्र में अपनी शिकायत में अलुमिनी द्वारा पंचायत में मुस्लिम बहिष्कार और हरियाणा सरकार द्वारा भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बद्ध 1200 से अधिक मकानों, झुग्गियों, व्यावसायिक एवं शैक्षिणक संस्थाओं को बुलडोज किये जाने पर सख्त आपत्ति जताई गई है।

कहना न होगा, अपने पत्र के माध्यम से अरुण पुरी ने न चाहते हुए भी अपने संस्थान के पूर्व-छात्रों की चिंताओं को संबोधित करते हुए भी अपने 50 करोड़ दर्शकों के सामने 192 लोगों की जमात बताकर कहीं न कहीं तुच्छता का अहसास दिलाने की हिमाकत भी की है।

अरुण पुरी के इस दंभ से भरे जवाब पर कई लोगों की तीखी प्रतिक्रिया भी आ रही है। अलुमिनी की ओर से इंडिया टुडे के 1984 से लेकर 2002 के दौर की प्रशंसा करते हुए उनसे लोकतंत्र के पक्ष में खड़े होने की उम्मीद जताई गई थी, लेकिन भारत का गोदी मीडिया वर्तमान में 1975 की संवैधानिक तानाशाही की मजबूरी में रेंगने की विवशता की बनिस्बत आज सिक्कों की खनक के पीछे खुद बिछने की होड़ में एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे हों, तो ऐसे में उससे उम्मीद लगाना वसंत वैली स्कूल के पूर्व छात्रों का दिवास्वप्न ही कहा जा सकता है।

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