एस पी मित्तल, अजमेर
मुंबई में हो रहे विधायकों के राष्ट्रीय सम्मेलन को 17 जून को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्चुअल तकनीक से संबोधित किया । गहलोत ने कहा कि लोभ लालच में विधायकों को दल बदल नहीं करना चाहिए। विधायकों की खरीद कर सरकार गिराना देश के लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। गहलोत ने कहा कि जो विधायक जिस पार्टी के सिंबल से चुनाव जीता है उसे उसी पार्टी में रहना चाहिए । सीएम गहलोत विधायकों को यह ज्ञान तब बांट रहे हैं, जब स्वयं वे दो बार बसपा के विधायकों को हड़प चुके हैं। गहलोत दूसरी बार 2008 तथा तीसरी बार 2018 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। गहलोत ने दोनों ही कार्यकाल में बसपा के टिकट पर चुने जीतने वाले सभी 6 विधायकों को रातों रात दलबदल करवा दिया। अपनी सरकार को मजबूती देने के लिए गहलोत ने दोनों बार बसपा वाले विधायकों को कांग्रेस के विधायक में तब्दील कर दिया। गहलोत ने यह सब तब किया जब बहुजन समाज पार्टी ने अपने विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का विरोध किया। तीसरी बार के कार्यकाल में बसपा विधायकों के हड़पने का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। अशोक गहलोत विधायकों का कैसे दलबदल करवाते हैं, यह बात बसपा सुप्रीमो बहन मायावती अच्छी तरह बता सकती हैं। हालांकि विधायक को खरीदने की ज्यादा जानकारी खुद गहलोत को भी है। गहलोत ने अपनी ही कांग्रेस पार्टी के विधायकों के 20-20 करोड़ रुपए में बिकने के आरोप भी लगाए हैं। गहलोत ने तो यहां तक कहा है कि हमारे विधायकों ने तो भाजपा से पैसे तक ले लिए हैं। यह बात अलग है कि गहलोत ने पैसे लेने का सबूत आज तक नहीं दिया है। जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए तब भी गहलोत ने जयपुर में 100 विधायकों का बहुमत बनाए रखा। निर्दलीय और अन्य छोटे दलों के विधायक भी शामिल रहे। तब खुद गहलोत ने कहा था कि आज जो विधायक मेरे साथ हैं, उन्हें ब्याज सहित भुगतान करूंगा। जो मुख्यमंत्री समर्थन की एवज में विधायकों को ब्याज सहित भुगतान की बात कह चुका हो वे मुख्यमंत्री अब विधायकों के दल बदल का विरोध कर रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनीति में कितना झूठ बोला जाता है। सीएम गहलोत तो झूठ बोलने के बादशाह साबित हो रहे हैं।