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नर्मदा घाटी में गांधी समाधि पर गांधी के सपनों को उजागर किया ….बाला बच्चन , लक्ष्मण चौहान भी पहुंचे समाधि पर!

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मेधा पाटकर सहित घाटी के भाई बहनों ने मनायी गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी।

घाटी के गांव गांव के, बड़वानी और धार जिले के प्रतिनिधियों ने गांधी जी के विचारों की याद दिलाते हुए उनके पथपर चलते आए हैं और चलेंगे यह संकल्प  दोहराया। आज गोडसेवादी बन कर हिंसा पर उतर आये  सत्ताधीशों को धिक्कारा।


गांधी समाधि, जो 1948 से महात्मा जी, महादेव भाई देसाई एवं कस्तूरबा की रक्षा के कलश रखकर स्थापित की गई थी, उसे जुलाई 2017 में रात 2:30 बजे केंद्र की आपदा प्रबंधन टीम ने उखाड़ कर फेका था। उस वक्त पूर्ण विरोध, पुलिसों का बल प्रयोग आदि होकर कलशों को राजघाट की पुनर्वसाहट में स्थापित किया गया। उस स्थान पर 1 वर्ष  तो जयंती के दिन भी शासन कर्ताओं ने पहुंचने नहीं दिया था, किसान – मजदूर बहनों – भाइयों ने! उखाड़ने वालों को नैतिक हक नहीं है, यह चेतावनी देने के बाद आखिर स्मारक बनाया गया।
 आज कार्यक्रम स्थल पर भूतपूर्व गृहमंत्री बाला बच्चनजी, बड़वानी के नगराध्यक्ष लक्ष्मण चौहान जी, व्यापारी संघ के प्रमुख जितेंद्र जैन, कापड़िया जी, राजन मंडलोई, जिला अध्यक्ष आदि भी पहुंच गए थे। घाटी की ओर से मेधा पाटकर ने गांधी जी के सत्य, अहिंसा, करुणा के साथ निडरता से सांप्रदायिक दंगों में किए हस्तक्षेप की याद दिलाई जो आज की देश की परिस्थिति में हमें भी करना है। साथ ही ग्राम स्वराज तभी आएगा जबकी हमही  प्राकृतिक संसाधनों के ट्रस्टीज याने विश्वस्त मानेंगे और स्वयं उन्हें बचाने सक्रिय होंगे, यह भी कहा ।
बाला बच्चन जी ने गांधी जी ने अंग्रेज हुकूमत के साथ किया और जीता संघर्ष याद किया तथा उनकी शहादत के बाद हमें भी परिवर्तन लाने में आत्मविश्वास से चलना होगा, यह चेतावनी दी। उन्होंने कहा, लाल बहादुर शास्त्री जैसे ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा ही नहीं दिया, उनका स्थान सम्मान बढ़ाया ।


 बड़वानी के जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता गुरमीत गांधीजी,कापड़िया जी आदि ने भी गांधीजी, पटेल, नेहरू और शास्त्री जी की महत्ता बयां की। मुकेश भगोरिया ने “वैष्णव जन तो तेने जे कहिए रे” के साथ “कहां राम है,  क्या रहीम है” कि प्रार्थनाओं से भावभीनी माहौल पैदा किया।
 कमला यादव, रेखा केवट, हरिओम बहन और सभी महिलाओं ने फूल चढ़ाते हुए नारों के साथ आवाज उठाई।  अंत में मुकेश रुखड़िया, जगदीश पटेल, हरि ओम कुमावत, संगीता कनेरा, कैलाश यादव आदि ने आदि ने किसान आंदोलन और नर्मदा घाटी में नव- निर्माण रोजगार, वृक्षारोपण जैविक खेती – आदि पर चर्चा की और तय किया कि कार्यकारिणी के नेतृत्व में बचे हुए पुनर्वास कार्यों के साथ नव निर्माण अभियान को आगे बढ़ाएंगे। किसानों को और मजदूरों को सही दाम मिलने के लिए जंग छोड़ेंगे।
 गौरी शंकर कुमावत , कैलाश यादव, जगदीश पटेल, पवन यादव , गेंदालाल भाई।

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