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गुजरात में जाति जनगणना के लिए पिछड़ों का आंदोलन शुरू

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गांधीनगर। 2024 लोकसभा चुनाव को 8 महीनों से भी कम का समय है। कांग्रेस का परंपरागत पिछड़ा वोट बीजेपी के साथ है।  ऐसे में कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने ओबीसी जन अधिकार समिति के बैनर तले पिछड़ों के मुद्दे पर हुंकार भरी है। समिति द्वारा गांधीनगर की सत्याग्रह छावनी में एक दिवसीय स्वाभिमान धरने का आयोजन किया गया। आयोजन तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा किया गया था लेकिन दल की राजनीति को अलग रखते हुए ओबीसी जन अधिकार मंच ने पिछड़ा वर्ग के धार्मिक व सामाजिक संगठनों को भी पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की लड़ाई के लिए आमंत्रित किया था।

अमित चावड़ा ने खुला पत्र लिखकर सरकार के मंत्रियों और बीजेपी के बड़े नेताओं को भी स्वाभिमान धरने में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। परंतु कोई भी मंत्री और बीजेपी नेता धरने में शामिल नहीं हुआ।

अमित चावड़ा ने अपने संबोधन में कहा, “गुजरात में SC, ST, OBC और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 82 प्रतिशत है। इन समाज के कल्याण के लिए जो निगम-बोर्ड बनाए गए हैं, सरकार उन्हें केवल 166 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आवंटित करती है। जबकि बची हुई 18% प्रतिशत आबादी को सरकार 500 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आवंटित करती है। ये अन्याय क्यों?”

चावड़ा ने आगे कहा, “स्थानिक स्वराज चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण समाप्त कर ये सरकार राजनैतिक आरक्षण समाप्त करने के लिए परीक्षण कर रही है। आने वाले दिनों में सरकार शिक्षा और नौकरियों से भी पिछड़ों का आरक्षण समाप्त करना चाहती है। इसीलिए सरकार स्वराज से आरक्षण समाप्त कर पछड़ों की प्रतिक्रिया को चेक कर रही है। डबल इंजन का राग अलापने वाली सरकार पिछड़ों के साथ डबल अन्याय कर रही है।”

ओबीसी जन अधिकार समिति ने सरकार के सामने चार मांगे रखी हैं। ये मांगे पूरी न होने पर सरकार के खिलाफ पिछड़ा वर्ग द्वारा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है। मांगें इस प्रकार हैं-

1)  जाति आधारित जनगणना की जाए।

2)  सरकार पिछड़ा वर्ग को लेकर बने जवेरी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करे। सरकार सभी स्थानिक स्वराज संस्थाओं में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लागू करे।

3) ओबीसी वर्ग के लिए राज्य सरकार 27% बजट की व्यवस्था अलग से करे। एससी-एसटी सब प्लान की तरह ओबीसी सब प्लान समिति बनाई जाए।

4) सहकारी मंडलियों में एससी-एसटी-ओबीसी और माइनॉरिटी के लिए आरक्षण की व्यवस्था हो।

2017 गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले अल्पेश ठाकोर के नेतृत्व में पिछड़ा वर्ग, जिग्नेश मेवाणी के नेतृत्व में अनुसूचित जाति और हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार समाज गोलबंद हुए थे। जिसका लाभ कांग्रेस को भी मिला था। लेकिन हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर बीजेपी में चले गए और अब बीजेपी से ही विधायक हैं।

अमित चावड़ा ने सरकार के सामने रखी गई मांगें न मानी जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। ओबीसी जन अधिकार मंच ने जल्द ही एक और महापंचायत बुलाने का आह्वान किया है।

इस सम्मेलन में पीसीसी अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल, पूर्व अध्यक्ष जगदीश ठाकोर, विधायक अर्जुन मोढ़वाड़िया, जिग्नेश मेवानी सहित बड़ी संख्या में पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेता शामिल हुए। इस सम्मेलन को 2024 लोकसभा से पहले कांग्रेस की पिछड़ा वर्ग गोलबंदी के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन जगदीश ठाकोर ने इसे सामाजिक आंदोलन बताते हुए कहा, “इस समय गुजरात में कोई चुनाव नहीं है। चुनाव की दृष्टि से आंदोलन को देखना गलत है।”

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