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जमीन नहीं मिलने से बाकानेर घाट और मल्टी मॉडल हब अटका

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इंदौर । मालवा-निमाड़ के विकास से जुड़े दो अहम प्रोजेक्टों के निर्माण के लिए कांट्रेक्टर कंपनियां तो मिल गई हैं, लेकिन अब तक योजनाओं के लिए जरूरी पूरी जमीन नहीं मिल पाई है। मामला इंदौर-खलघाट फोर लेन रोड पर मौजूदा बाकानेर घाट (गणेश घाट) के नए बायपास और पीथमपुर में मल्टी मॉडल के निर्माण का है। दोनों योजनाओं के लिए नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर कंपनियों का चुनाव कर लिया है।

वर्तमान बाकानेर घाट की ढलान अब काफी खतरनाक हो चुकी है। खासतौर पर इंदौर से खलघाट की तरफ जाने वाले वाहन तीखी ढलान के कारण नियंत्रण खो बैठते हैं और एक-दूसरे से भिड़ जाते हैं। इससे कई लोग जान गवां चुके हैं। एनएचएआई ने इसके लिए नौ किलोमीटर लंबा बायपास मार्ग बनाने का फैसला लिया है, जिस पर 209 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए हरियाणा की कंपनी को ठेका दे दिया गया है। कंपनी को दो साल में काम पूरा करना है। योजना के लिए 36 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की जरूरत है, जिसमें से दो हेक्टेयर जमीन अब तक नहीं मिली है।

मुआवजा स्वीकृत हो गया, नहीं मिली जमीन
इसी तरह पीथमपुर में मल्टी मॉडल हब बनाने का ठेका भी 985 करोड़ रुपए में एक कंपनी को सौंपा जा चुका है। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए पीथमपुर सेक्टर-5 और 6 के पीछे स्थित 112.60 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। प्रोजेक्ट के लिए मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआईडीसी) धार जिला प्रशासन के माध्यम से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया कर रहा है, जबकि निजी-जनभागीदारी से इसके विकास की योजना नेशनल हाईवेज लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लि. (एनएचएलएमएल) ने तैयार की है। मल्टी मॉडल हब के लिए जरूरी जमीन अभी पूरी तरह नहीं मिल पाई है, जबकि राज्य सरकार ने किसानों और जमीन मालिकों के लिए करीब 65 करोड़ रुपए का मुआवजा स्वीकृत कर दिया है।

दो-ढाई महीने में शुरू होगा मैदानी काम
एनएचएआई अफसरों ने माना कि दोनों विकास कार्यों के लिए कंपनियां चुन ली गई हैं। उन्होंने बताया कि अभी अनुबंध और वर्कऑर्डर संबंधी औपचारिकताओं के अलावा मोबिलाइजेशन (मशीन-मजदूरों की व्यवस्था का समय) में दो-ढाई महीने का समय लगेगा। तब तक बाकानेर घाट और मल्टी मॉडल हब की जमीनें मिल जाएंगी। उसके बाद दोनों योजनाओं का मैदानी काम शुरू हो जाएगा।

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