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*स्त्री के प्रति ईमानदार बनें : सेक्स प्यार नहीं है!*

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      ~ नीलम ज्योति 

किसी फ़िलोसफ़र ने कहा है : जब तक पुरुष के लिंग में तनाव है, तब तक वो स्त्री को प्रेम नही दे सकता. वह सिर्फ़ अपनी हवस के लिए उसके करीब होगा. अगर स्त्री के पास पुरुष जाता है और ये कहता है कि मैं करीब इस कारण हूं कि मैं प्यार करता : हूँ तो ये धोखा है, गलत है।

     सेक्स शरीर की जरूरत है, तो ये गलत नही है; पर सेक्स को प्यार कहने की भूल से बचें। ईमानदार होकर रहें. अगर सेक्स करना है तो सामने वाले को साफ शब्दों में कहे और साथी से पहले, खुद को स्पष्ट कर लें कि मैं प्यार में हूं या वासना में.

नारी फूल की तरह कोमल होती है. फूल को रगड़कर , नोचकर , उसके शरीर पर निशान बनाकर या बाहर भीतर घिसकर ,प्यार नही किया जाता।

     स्त्री का शरीर और उसकी योनि की नसें बेहद संवेदनशील होती हैं. बहुत ज्यादा बारीक होती हैं। महिलाएं डॉक्टर के पास जा रही है तो उसका एक कारण ये भी है कि उनको मिलने वाले शारीरिक सम्बन्धो में हिंसा है.

     वासना के वेग के चलते न तो पुरुष को होश रहता और न स्त्री इतनी हिम्मत कर पाती की पुरुष को ‘न’ कह सके। फिर बच्चादानी में हजारो बीमारी लग जाती है। महावारी में दर्द, OCD, POCD और पता नही क्या- क्या सहन करना पड़ रहा है।

     पुरुष एक्टिव है स्वभाव से और स्त्री पैसिव. पुरुष को समझना चाहिए कि पल भर की वासना के लिए किसी स्त्री का शरीर खराब न करें।

    वैसे भी अगर सेक्स को भी धर्य और तरीके से किया जाए और एक ठहराव हो भीतर तो उसके परिणाम दोनों व्यक्तियों के लिए सुखद होते है.  सन्तुष्टि मिलती है।

    मच्छर जैसे जोश में आकर अपनी शक्ति का पल भर का प्रदर्शन करने वाले पुरुष कभी भी स्त्री को सन्तुष्टि नहीं दे पाते। खुद भी कुछ नहीं पाते. तन मन जीवन से अतृप्त स्त्री पुरुष को प्यार तक नहीं दे पाती. बाकी कुछ भी उसका लेकर आप क्या खाक पाएंगे.

      जो विवाहित हैं उन्होंने अनुभव किया होगा कि सालो तक सेक्स करने पर भी उनके भीतर हवसी इच्छा ज्यों की तँयो है, पेनिस चाहे मुर्दा हो गया हो।

     इसका कारण यही है कि उन्हें गहराई ही नही जानी कभी इस चीज की। वस्तुतः 45 मिनेट से पहले तो स्त्री का शरीर खुलता ही नहीं की वो पुरुष को वास्तविक प्यार से अपनी बाहों में भरे या तुम्हे अनुमति दे कि आओ, मुझ में भीतर प्रवेश करो।

केवल क्षणिक पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले बलात्कारी हैं। अपने साथी का बल पूर्वक हरण करना, उसकी इंटर्नल मर्ज़ी के बिना उसे भोगना बलात्कार ही होता है ।

   आज जो 99%  महिला ऑर्गेज़्म से अनजान हैं, उसका कारण सेक्स की अज्ञानता कम नामर्दी अधिक है। इस बात को पुरुष साथी अपने अहंकार पर चोट न समझें, बल्की अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें।

  पौरुषयुक्त पुरुष बनें. यह क्षमता आप चेतना मिशन से निःशुल्क अर्जित कर सकते हैं. स्त्री की मनोस्थिति ऐसी बनाएं की वह खुद भूखी शेरनी बने आपके लिए. फिर उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करें. उसके प्रति अपनत्व और वास्तविक प्रेम का भाव रखें. इस बात का भी ध्यान रखें कि उसे दर्द न दें, अतृप्ति न दें, बस आनंद दें।

   अगर ऐसा नहीं करते हो तो भले आधे घण्टे का सेक्स कर लो, स्त्री अछूती ही रह जाती है आपके स्पर्श से.  आप भी अधूरे ही लौटकर आते हैं, बस अपना कचरे जैसा रोगी वीर्य निकालकर. 

    ये सब समझने और प्रयोग करने के लिए भीतर स्थिरता चाहिए। बिना मैडिटेशन के ये सम्भव नहीं। बिना मैडिटेशन जीवन उथला ही रहता है।अगर गहराई चाहिए जीवन मे ,तो ध्यान बहुत जरूरी है. होश, ठहराव, स्थिरता, धीरज, प्रेम, श्रद्धा जैसे शब्द केवल ध्यान करने से ही जीवन में अर्थ पाएंगे। किताबे पढ़ने, प्रवचन सुनने या गूगल पर भटकने से कुछ नही होगा. (चेतना विकास मिशन).

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