अग्नि आलोक
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हुस्न-ऐ-जलवा

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बिकती है जब निगाहें तेरी
तो झुकता है
शहर सारा,
फिरता हूँ जब गम-ए-आरजू लिए
तो बहता है
मेरा दर्द सारा,
चलता है जब हुस्न-ऐ-बाजार
मचलता देख
शहर सारा,
मुस्काती जब आँखे तेरी क़ातिली
तो धड़कता है
हर दिल प्यार,
उड़ती जुल्फें जब तेरी मटकती
बहता देख
आशिक़ हर आवारा।

डाँ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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