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महुआ मोइत्रा से पहले इंदिरा गांधी, सुब्रमण्यम स्वामी, विजय माल्या…

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बीजेपी सांसद ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि 2005 में इसी तरह के एक प्रकरण में कांग्रेस की सरकार के समय जिस दिन रिपोर्ट आई थी, उसी दिन 10 सांसदों को सदन से बाहर निकाला गया था और उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया था। यह पहली बार नहीं हो रहा है और सांसद को अपना पक्ष रखने का मिला था।

कैश फॉर क्वेरी मामले में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी। TMC ने लोकसभा स्पीकर से आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें समिति के सामने बोलने का मौका मिला है।विपक्ष की ओर से इस निष्कासन पर सवाल खड़े किए गए वहीं बीजेपी ने कैश फॉर क्वेरी मामले में मोइत्रा के लोकसभा से निष्कासन को उचित ठहराया और कहा कि यह मामला महिलाओं से जुड़ा मुद्दा नहीं है। साथ ही बीजेपी की ओर से यह भी कहा गया कि टीएमसी सांसद ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट लेने की बात स्वीकार की है। विपक्ष के सवाल पर बीजेपी की ओर से कहा गया कि कांग्रेस ने एक दिन में 10 सांसदों को निलंबित कर दिया था। संसद में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है इसकी शुरुआत 1951 में ही हो गई थी।

एचजी मुद्गल: कांग्रेस सांसद एचजी मुद्गल सदन से निष्कासित होने वाले पहले सांसद थे। मुद्गल को 1951 में संसद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। संसद में सवाल पूछने के एवज में इन्हें लोकसभा से हटाया गया। उस वक्त देश में पहला आमचुनाव नहीं हुआ था।

सुब्रमण्यम स्वामी:
 सुब्रमण्यम स्वामी को उनके गलत व्यवहार के लिए 1976 में राज्यसभा से निष्कासित कर दिया गया था। उन पर संसद को लेकर गलत कमेंट करने के आरोप लगे थे।

MP Expelled from House

इंदिरा गांधी: पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी का निष्कासन 14 दिसंबर, 1978 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव और सदन द्वारा मतदान के आधार पर हुआ था। जब प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा गया तो 279 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट किया, जबकि 138 इसके विरोध में गए। इंदिरा गांधी लोकतंत्र में विशेषाधिकार हनन के आरोप में फंसने वाली पहली पूर्व प्रधानमंत्री बनीं।

2005 का कैश फॉर क्वेरी मामला: साल 2005 के कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा के 10 और राज्यसभा के 1 सदस्य को निष्कासित कर दिया गया था। 10 लोकसभा सदस्य – बीजेपी से अन्नाशाह एम के पाटिल, वाई जी महाजन, सुरेश चंदेल, प्रदीप गांधी और चंद्र प्रताप सिंह, बसपा से नरेंद्र कुमार कुशवाह, लाल चंद्र कोल और राजाराम पाल कांग्रेस से मनोज कुमार (राजद) और रामसेवक सिंह को निष्कासन का सामना करना पड़ा। यह कदम सदन में सवाल उठाने के बदले पैसे लेते हुए कैमरे में कैद होने के बाद उठाया गया। छत्रपाल सिंह लोढ़ा को राज्यसभा से निष्कासित कर दिया गया था।

विजय माल्या:
 सांसद विजय माल्या को राज्यसभा से निष्कासन का सामना करना पड़ा, जब संसदीय पैनल ने उनके 9,400 करोड़ रुपये से अधिक के कथित लोन डिफॉल्ट से संबंधित मामले की जांच करते हुए सर्वसम्मति से कार्रवाई का समर्थन किया।

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