मुनेश त्यागी
हजारों साल से हमारे देश में हिंदू बसे आ रहे हैं। हमारे देश पर आर्य हूण शक कुशाण मंगोल पठान और अंग्रेजों ने राज किया है। तब हमारे हिंदू समाज यानी तमाम हिंदुस्तानियों को कोई खतरा पैदा नहीं हुआ था। मगर पिछले 15: 20 साल से हिंदुत्ववादी साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा मुसलमानों के नाम पर, मुसलमानों का डर दिखाकर, पूरे हिंदू समाज को डराया जा रहा है और मुसलमानों के खिलाफ जान पूछकर नफरत पैदा की जा रही है ताकि जनता को गुमराह करके, उसे बांटकर हमारे समाज में शोषण अन्याय जातिवाद धर्मांधता और लूट खसोट के साम्राज्य को बरकरार रखा जा सके
2004 में भारत में सांप्रदायिक तनाव अपने चरम पर था, हिंदू मुस्लिम एकता और गंगा जमुनी तहजीब की सांप्रदायिक तत्वों द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। तभी उन तमाम सवालों का जवाब देते हुए, इस कविता का जन्म हुआ और तत्कालीन कवियों और लेखकों ने इस कविता को सांप्रदायिकता के खिलाफ और साझी संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ रचना की संज्ञा दी थी। तब उन्होंने कहा था कि यह आंख खोलने वाली कविता है और बहुत सारे सांप्रदायिक सवालों का जवाब देती है। आज फिर से इस कविता को आपके सामने, आप की खिदमत में पेश कर रहा हूं। आशा और विश्वास है कि आपको यह कविता अच्छी लगेगी और कुछ सवालों का जवाब देती महसूस होगी,,,,
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।
मैं पाखंडों से लड़ता हुआ, जहर देकर मारा जाता हुआ दयानंद सरस्वती हूं,
मैं मैदान-ए-जंग में लड़कर मरता हुआ टीपू सुल्तान हूं,
मैं नाना हूं, तात्या टोपे हूं, मैं मंगल पांडे हूं,
मैं नाना साहब का मुख्य सेनापति अजीमुल्ला खान हूं,
मैं महारानी लक्ष्मीबाई और बेगम हजरत महल हूं,
मैं झांसी की रानी के तोपखाने का मुखिया खुदा बख्श और गौस खान हूं,
मैं मादरेवतन की खातिर अपने दोनों पुत्रों को न्यौछावर करने वाला शहंशाह बहादुर शाह जफर हूं।
मैं काकोरी कांड का मुखिया राम प्रसाद बिस्मिल हूं,
मैं काकोरी का सजाये मौत पाने वाला अशफाक उल्ला खान हूं।
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।
मैं दंगों की भेंट चढ़ा गणेश शंकर विद्यार्थी हूं,
मैं फांसी के फंदे को चूमता हुआ राजगुरु, सुखदेव और शहीद ए आजम भगत सिंह हूं,
मैं अल्फ्रेड पार्क में खुद ही गोली खाता हुआ चंद्रशेखर आजाद हूं,
मैं इंग्लैंड में जाकर डायर को मारने वाला “राम मोहम्मद सिंह आजाद” अर्थात उधम सिंह हूं,
मैं मेरठ षड्यंत्र केस का आजन्म सजायाफ्ता मुजफ्फर अहमद हूं,
मैं टैंकों की धज्जियां उड़ाता हुआ अब्दुल हमीद और आशाराम हूं,
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।
मैं, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”
का सुभाष हूं,
मैं इब्राहिम लोदी को हराने के लिए,
राणा सांगा द्वारा अफगानिस्तान से
बुलाकर लाया गया बाबर हूं,
मैं कर्नल ढिल्लों हूं, मैं कर्नल सहगल हूं, मैं जनरल शाहनवाज हूं,
मैं बापू के “करो या मरो” पर अमल करता हुआ भारत का आवाम हूं,
मैं शिवाजी का मुख्य सेनापति इब्राहिम गर्दी खान हूं,
मैं महाराणा प्रताप का सर्वप्रिय सेनापति हाकिम सूर खान हूं,
मैं “सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा”, का रचयिता, मोहम्मद इकबाल हूं।
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।
मैं जुलूस हूं,,,
साझा हिंदुस्तान के लिए,
बराबरी वाले हिंदुस्तान के लिए,
इंसाफ वाले हिंदुस्तान के लिए।
गुलामी, दास्तां और बेडियों से
मुझ मुसलमान को भी उतनी ही नफरत है
जितनी किसी हिंदू को,
संघर्ष, बलिदान और आजादी
मुझ हिंदू को भी उतनी ही प्यारी है
जितनी मुसलमान को
मैं आज भी साझी तहजीब का अविराम अभियान हूं।
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।
मैं अशोक हूं, मैं अकबर हूं,
मैं खुसरो हूं, मैं रसखान हूं,
मैं तुलसी हूं, मैं कबीर हूं,
मैं मीर हूं, मैं ग़ालिब हूं,
मैं प्रेमचंद हूं, मैं मंटो हूं,
मैं फैज हूं, मैं साहिर हूं,
मैं निराला हूं, मैं नागार्जुन हूं,
मैं मुकेश हूं, मैं मोहम्मद रफी हूं,
मैं मधुबाला हूं, मैं मीना कुमारी हूं,
मैं नूरजहां हूं, मैं लता मंगेशकर हूं,
मैं संघर्षों का इतिहास हूं,
मैं दरिंदों का परिहास हूं,
काट कर देख लो बोटी बोटी मेरी,
मैं सर से पांव तक मुसलमान हूं,
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।
मैं जुल्म से, जहल से,
झूठ से, लूट से,
लड़ता हुआ आदमी-औरत
यानी इंसान हूं।
मैं कल कारखानों में लड़ता हुआ मजदूर हूं,
मैं खेत खलियान में खुद को खपाता किसान हूं,
मैं हिंदुस्तान की मिट्टी से प्यार करता हुआ
सर से पांव तलक पूरा मुसलमान हूं,
मैं मानव मुक्ति का गुलनार तराना
गाता हुआ भगत सिंह का प्यारा नारा
इंकलाब जिंदाबाद हूं
मैं हिंदू सिख ईसाई और मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने, मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।