अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासन पर गरमा रहा है बंगाल

Share

महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किए जाने के बाद समूचा राजनीतिक विपक्ष तो इस कदम का विरोध कर ही रहा है, वहीं समूचे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन भी जारी है। बंगाल के आम लोग भी इस कदम को भाजपा का राजनीतिक बदला बता रहे हैं। राजधानी कोलकाता से लेकर बंगाल के गांव-कस्‍बों में सार्वजनिक स्थानों पर चल रही सियासी चर्चाओं का हाल बता रहे हैं नित्‍यानंद गायेन

महुआ मोइत्रा की संसद सदस्‍यता समाप्‍त किए जाने के मामले पर बंगाल में लोग लगातार चर्चा कर रहे हैं। चाय की दुकानों, सैलून से लेकर लोकल ट्रेनों में काम पर आते-जाते हुए इस घटना पर चर्चा और गरम बहस जारी है।

महुआ के संसदीय क्षेत्र कृष्‍णानगर में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने संसदीय आचार समिति की सिफारिश पर लिए गए इस फैसले के खिलाफ ‘धिक्कार रैली’ निकाली और भारतीय जनता पार्टी व लोकसभा स्पीकर की आलोचना की। ऐसा बंगाल के अन्य स्थानों पर भी हुआ है। राज्य में ज्यादातर टीएमसी समर्थक इस फैसले को गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार एक बेबाक, निडर और पढ़ी-लिखी महिला सांसद से डर गई है।

एक सैलून में बैठे मुजरुल खान ने सवाल किया, ‘’आखिर हेमंता बिस्वा सरमा, शुभेंदु अधिकारी, अजित पवार, रमेश बिधूड़ी आदि पर क्या कार्रवाई की है मोदीजी ने? जब मोदीजी एक बड़े उद्योगपति के हवाई जहाज में बैठते हैं और उसी उद्योगपति को देश के सभी हवाई अड्डे, खदानें, बंदरगाह कौड़ी के भाव में दे दिए जाते हैं, फिर उस उद्योगपति को दिए गए बंदरगाह पर हजारों करोड़ का ड्रग्स पकड़ा जाता है तो कोई जांच नहीं होती। ऐसे में सभी जांच एजेंसियां लापता हो जाती हैं और कोई एथिक्स कमिटी इस पर कोई सवाल नहीं करती। इसीलिए महुआ मोइत्रा को खामोश करने के लिए उन्हें संसद से बाहर कर दिया गया है।‘’

यहां के आम लोग इस प्रकरण को अदाणी से जोड़ कर साफ-साफ देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि अदाणी के बारे में सवाल पूछने पर पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निष्कासित किया गया, अब महुआ के साथ भी वही किया गया है।



सुबह दफ्तर जाने के वक्‍त खचाखच भरी लोकल ट्रेनों के भीतर यात्रियों के गुटों में इस मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिल रही है। राज्य में कांग्रेस और वाम समर्थक भी इस फैसले को अनुचित कह रहे हैं। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर एक शिक्षक ने कहा कि मोदी सरकार सवाल करने वालों को चुप करा देती है। वे कहते हैं, ‘’उसे सवालों से भय लगता है। लगातार विपक्षी दलों के नेताओं के यहां ईडी, सीबीआइ के छापे इसका प्रमाण हैं।‘’

इस मसले पर हमने भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेता और पूर्व लोकसभा सदस्य सुजन चक्रबर्ती से बात की। उनकी प्रतिक्रिया थी, ‘’महुआ मोइत्रा को अदाणी पर सवाल करने की सजा मिली है, यह बात मैं पहले दिन से ही कह रहा हूं क्योंकि जब शारदा, नारदा कांड हुआ तो किसी भी टीएमसी नेता को मोदी सरकार ने गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे उन्हें भाजपा में शामिल कर लिया। अब जब महुआ ने अदाणी और मोदी पर सवाल पूछना शुरू किया तो उन्हें संसद से बाहर कर दिया।‘’

बारुईपुर पुरातन बाज़ार में एक साइकिल स्टोर के मालिक जयदेव कुमार घोष का कहना है कि महुआ के साथ बदले की राजनीति के तहत यह सब किया गया है। वे कहते हैं, ‘’जो एथिक्स कमेटी है उसमें भाजपा के सदस्यों की संख्या अधिक है और जो पार्टी और प्रधानमंत्री अदाणी का हाथ पकड़ कर उसके पैसे से संचालित है, वे स्वाभाविक तौर पर अदाणी को बचाना ही चाहेंगे। एथिक्स कमेटी के जिन लोगों ने अपनी सिफारिश/फैसला दिया, उन्होंने महुआ को अपना बचाव करने का अवसर ही नहीं दिया। उनका पक्ष सुने बिना ही संख्याबल के जोर पर यह सब किया है। इससे यह साफ़ समझ में आता है कि यह एक सोची समझी साजिश और बदले की राजनीति है।‘’


कस्बाई हाट बाजारों में भी ममता सरकार के समर्थकों और विरोधियों के हिसाब से राय बँटी हुई है

घोष बताते हैं कि 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दावा किया था कि वह दो सौ से अधिक सीटें जीतेगी, लेकिन उस चुनाव में ममता बनर्जी से राजनैतिक मैदान हारने के बाद तृणमूल से बदला लेने की भावना से बंगाल का सौ दिन रोजगार और प्रधानमंत्री आवास योजना आदि का पैसा रोक दिया और क्योंकि महुआ मोइत्रा एक अच्छी वक्ता हैं इसलिए उनके सवालों का सामना करने से बचने के लिए भाजपा ने उन्हें जबरन संसद से बाहर कर दिया।

शिखरबाली टीएमसी अंचल संचालन समिति के सदस्य उत्तम पाल कहते हैं कि वर्तमान में बंगाल से जितने भी सांसद हैं उनमें से महुआ मोइत्रा एक प्रतिवादी सांसद हैं, इसलिए उन्हें जिस तरह से निष्कासित किया गया वह सही नहीं हुआ।

पाल कहते हैं, ‘’एक सामान्य मामला बना कर उन्हें इस तरह से संसद से बाहर कर दिया गया। बंगाल की आम जनता यह देख-समझ रही है कि मोदी सरकार बंगाल के साथ घोर अन्याय कर रही है, यह घटना भी उसमें से एक है। बंगाल की जनता के साथ यह अच्छा नहीं किया मोदी सरकार ने। अगले चुनाव में भी यह सब जारी रह सकता है।‘’



पाल बताते हैं कि 2021 में बंगाल में बुरी तरह से पराजय होने के बाद से बंगाल का तमाम फंड जिनमें मनरेगा, आवास योजना और आइसीडीएस फंड आदि है, सब मोदी सरकार ने रोक दिया है। वे कहते हैं, ‘’इससे पहले भी बहुत प्रधानमंत्री हुए हैं, उन्होंने हर राज्य को उसके हिस्से का फंड दिया है। यह पहली बार हम देख रहे हैं कि यह सरकार बदले की भावना से बंगाल का पैसा रोक कर बैठ गई है। यह बंगाल की जनता के साथ अन्याय है।‘’  

राज्‍य में ममता बनर्जी की सरकार से नाखुश कुछ लोग इस महुआ के निष्‍कासन को सही भी बता रहे हैं। ऐसे लोगों की दलील है कि एक सांसद को देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए; अपना लॉग इन पासवर्ड किसी बाहरी व्यक्ति को देना अपराध है और उन्होंने यह अपराध खुद ही स्वीकार किया है तो उसमें इतना हल्ला करने की क्या जरूरत है।

यह पूछे जाने पर कि शिकायत करने वाला तो भाजपा का सदस्य है और एथिक्स कमिटी ने उन्हें जांच की पूछताछ में भी नहीं बुलाया, न ही महुआ मोइत्रा को संसद में इस मुद्दे पर फैसले वाले दिन बोलने दिया गया, इस पर सरकार विरोधी लोगों का मत है कि स्पीकर का अपना विवेक होता है और उसने अपने विवेक से यह फैसला लिया है।  


आलू चाप की दुकान राजनीतिक बहसबाजी का अड्डा है जहां आजकल महुआ मोइत्रा का मुद्दा गरम है

कोलकाता में कॉलेज स्ट्रीट फुटपाथ पर चाय की दुकान पर एक महिला का कहना था कि पूरे देश में ममता बनर्जी एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने राज्य की महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बहुत काम किया है, लेकिन भाजपा एक महिला विरोधी सांप्रदायिक पार्टी है।

उन्‍होंने कहा, ‘’मोदी सरकार ने बंगाल के साथ हमेशा भेदभाव किया है, राज्य का बहुत सारा पैसा रोक कर रख लिया है और सभी एजेंसियों को बंगाल में टीएमसी नेताओं के पीछे छोड़ दिया है जबकि यहां के दागी नेताओं को अपने दल में शामिल कर लिया है और उनकी कोई जांच नहीं हो रही है। महुआ दीदी अपने क्षेत्र में बहुत चर्चित हैं और उन्होंने मोदीजी की नींद उड़ा दी है इसलिए उन्हें संसद से बाहर कर दिया है, लेकिन महुआ दीदी चुप नहीं बैठेंगी।‘’  

संसद से निष्काषित किए जाने के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा था, “मेरी उम्र अभी सिर्फ 49 साल है। अगले 30 साल तक मैं भाजपा के खिलाफ संसद और इसके बाहर लड़ती रहूंगी।” इस बीच यह भी खबर है कि महुआ मोइत्रा ने इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।



कुछ लोग इस मामले में मिश्रित राय भी रखते नजर आए। बारुइपुर स्टेशन पर सौगत दास नामक एक कालेज के छात्र कहते हैं, ‘’यह बहुत गलत हुआ है। लोकतंत्र में विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। भाजपा को उनके अपने नेता अटल बिहारी वाजपेयी की बातों को याद करना चाहिए।‘’

सौगत कहते हैं, ‘’अगर आप इस पूरे घटनाक्रम को ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि बहुत गलत ढंग से यह सब हुआ है, हालांकि गलती महुआजी से भी हुई है लेकिन इस मामले में शिकायत करने वाला व्यक्ति भाजपा का नेता और एमपी है। महुआ मोइत्रा ने उनकी शिक्षा पर सवाल उठाया था। उसी निशिकांत दुबे की एक लिखित शिकायत पर कथित एथिक्स कमेटी ने जांच करते हुए एक महिला से निजी सवाल पूछा जो कि बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय है, जबकि एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष भाजपा का है। ऐसे में इस जांच और फैसले को पक्षपातपूर्ण क्यों न माना जाए?’’

बिलकुल इसी दलील के आधर पर महुआ मोइत्रा ने अपने खिलाफ आए इस फैसले को ‘कंगारू कोर्ट’ का ‘फिक्स मैच’ कहा है।

इस पूरे मसले का सबसे दिलचस्‍प पहलू यह है कि एथिक्स कमेटी ने दो सिफारिशें की थीं। पहला,  महुआ मोइत्रा के खिलाफ पैसे लेकर प्रश्न पूछने के मामले की जांच बैठाई जाए और दूसरा, उन्हें संसद से निष्कासित किया जाए। पहली सिफारिश पर अमल से पहले दूसरी सिफारिश पर मुहर लगा दी गई।


कोलकाता के ज्यादातर टैक्सी ड्राइवर प्रवासी पुरबिया हैं

इस बारे में सियालदह स्टेशन के बाहर खड़े बिहार के एक टैक्सी ड्राइवर से हमने बात की। शुरू में उन्‍होंने प्रधानमंत्री की प्रशंसा के पुल बांधे लेकिन निजी मामले पर आकर वे थोड़ा निराश दिखे। वे कहते हैं, ‘’मोदीजी किसी को छोड़ने वाले नहीं हैं। मोदीजी विकास पुरुष हैं और देश का नाम उन्‍होंने ऊंचा कर दिया है।‘’

हमने जब उनसे पूछा कि कुछ लोगों का आरोप है कि मोदीजी अपने विरोधियों को चुप कराना चाहते हैं ताकि वे उनसे महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार आदि पर सवाल न करें, तो वे तपाक से बोले, ‘’वो लोग झूठ बोलते हैं, देश लगातार तरक्की कर रहा है और जो महंगाई की बात करते हैं वे भाजपा और मोदी से नफरत करते हैं।‘’

बातचीत आगे बढ़ी तो अंत में उन्‍होंने कहा, ‘’मेरा एक बेटा सेना में जाना चाहता था, लेकिन अब अग्निवीर योजना के आने के बाद नहीं जाना चाहता है!’’

महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किए जाने के बाद समूचा राजनीतिक विपक्ष तो इस कदम का विरोध कर ही रहा है, वहीं समूचे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन भी जारी है।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें