-सुसंस्कृति परिहार
एक तो दो माह का सावन सोमवार उपवास करते करते बड़ी मुश्किल से कटा तो भद्रा नक्षत्र ने बीच में घुसकर टांग मार दी ।30 को दिन में नहीं रात को बंधेगी राखी।रात को तो वैसे भी शुभ काम नहीं होते यानि अब 31को ही सुबह राखी बंध पाएगी।अजीब बात है मुहूर्त आड़े आ गया।लोग कह रहे हैं यह भी कोई बात हुई बच्चों को छुट्टी 30 की मिली त्यौहार 31को मनेगा। नौकरीपेशा लोग क्या करेंगे?बड़ी मुश्किल से अवकाश मिलता है।राखी बेमज़ा हो गई। बच्चे तो एक दिन पढ़ाई का नुक़सान सह लेंगे पर कामगार क्या करेगा?
इधर चंद्र अभियान ने भी चांद की पोल पट्टी खोल दी।चौथ ,करवा चौथ,पूनो, अमावस्या सब खतरे में आ गए हैं।पता नहीं भद्रा तक कब पहुंच हो पाएगी और उसका पोस्टमार्टम होगा।फिलहाल तो भद्रा का जादू चल गया है और राखी अगले दिन हो रही है।डर है कि भाई के साथ भद्रा कुछ अभद्र ना कर डाले। बहनों का भाई प्रेम उमड़ पड़ा है ,भाई भी बेताब हो रहे हैं जल्दी मामला सुलट जाए।
किंतु मामा जी ने भी इस राखी में लाड़ली बहना को उपहार स्वरूप जो किश्तें जारी की है उससे बहनों की तो शामत आ गई है।वे जब भाई के यहां जाती थीं तो उन्हें भाई के लिए राखी, मिठाई, बच्चों के खिलौने और रेल बस आदि का खर्चा ससुराल वाले देकर सजा संवार के भेजते थे किंतु इस बार कई बहनें उदास बैठी हैं उसे कुछ नहीं सिर्फ ताने मिल रहे हैं।मामा ने जो दिया है उसे निकालो और जाओ।कुछ परिवार वालों ने तो उनका पैसा भी छीन लिया और मामा से और मांगने की बात कही जा रही है।बेचारी बहना पशोपेश में यह कहने लगीं हैं मम्मा तुमने जो का करौ घर में झगड़ा डार द औ।
उधर बहुसंख्यक बेरोजगार भाई और भी ज़्यादा परेशान हैं वह क्या दें अपनी बहिन को। मंहगाई ने घर का हाल बिगाड़ रखा है।कई बहनें मामा के पैसों से इतराते इठलाते भाई के पास पहुंची हैं उन्हें मामा ने बेरोजगारी भत्ता दे दिया होता तो सामंजस्य बना रहता।वे अब मामा की तरह नौकरी का आश्वासन देकर संतुष्ट करेंगे और कर भी क्या सकते हैं? काली हाथ बहिन जब घर जाएगी तो और और मुसीबत में फंस जाएगी। ससुराल वाले उसकी अच्छी ख़बर लेंगे।वह जार जार रहेगी।मतलब भाई बहन के पावन बंधन का ये त्यौहार मुसीबत का त्यौहार कहलाएगा।
कुल मिलाकर इस बार दोहरे सावन के बाद आया राखी का त्यौहार बहनों को दोहरे दुख देकर जाएगा।मामाजी आप तो मजे में हैं और रहेंगे लेकिन लाड़ली बहना से आपका फायदा मिलना मुश्किल लग रहा है।कोई बात नहीं चुनाव और आचार-संहिता लगने में एक माह का समय है कुछ नया सोचिए। मोदीजी ने तो गैस सिलेंडर पर 200₹ कम कर दिए आप 300₹ कर डालो।शायद चुनाव तक माहौल सुधर जाए!