पाल गैस पीड़ित कैंसर मरीजों के लिए एम्स में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला । इससे उन मरीजों को जिन्हें भोपाल गैस त्रासदी के कारण कैंसर हुआ है, उच्चतम स्तर का इलाज मुफ्त में मिलेगा
यह भी बताया गया है कि चाहे मरीज आयुष्मान कार्ड धारक हो या न हो, अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा। इस बारे में केंद्र ने एक एमओयू भी किया है।
हाईकोर्ट का फैसला – इलाज में किसी तरह की देरी न हो
हाईकोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिए कि भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित मरीज के इलाज शुरू और पूरा करने में किसी भी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने राज्य शासन को कहा कि उन सभी एजेंसीज को आदेश से अवगत कराएं जो एमओयू से संबंधित स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया में शामिल हैं। कोर्ट मित्र नमन नागरथ ने बताया कि एमओयू के तहत जो प्रक्रिया चल रही है, उससे इलाज में थोड़ी देरी हो रही है। इसलिए कोर्ट ने एम्स को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
उपचार और पुनर्वास संबंधी दिये थे 20 निर्देश
हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार से पूछा था भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित कैंसर मरीजों के लिए निजी अस्पताल और एम्स में इलाज व भुगतान के लिए क्या व्यवस्था है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और अन्य की याचिका की सुनवाई की थी और 20 निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों के माध्यम से गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास का ध्यान रखा जाना था।
19 फरवरी को अगली सुनवाई
इस कमेटी की रिपोर्ट को हर तीन महीने में हाईकोर्ट के सामने पेश करने का आदेश था। और उस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश देने का भी आदेश था। लेकिन अब एक अवमानना याचिका दाखिल की गई है क्योंकि मामले पर कोई काम नहीं हुआ है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
भोपाल गैस त्रासदी
दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक की त्रासदी भोपाल शहर ने सन 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात में झेली थी दिसंबर 2-3 1984 की काली रात को भोपाल स्थित यूनियन कॉर्बाइड कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. इस गैस से करीब 3800 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि लाखों परिवार बेघर हो गए थे. आज भी लाखों परिवार ऐसे हैं जो इस गैस त्रासदी की दंश झेल रहें हैं. बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी को पूरी दुनिया में अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी माना जाता है ।