मध्य प्रदेश में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सख्त तेवर दिखाई दिए जिसमें उन्होंने एक बार फिर एक तीर से कई शिकार किए। गुना शिकारकांड में आईजी ग्वालियर को हटाकर उन्होंने चार महीने पहले पदस्थापना में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सख्त रुख का न केवल जवाब दिया है बल्कि अपने पसंद के अधिकारी की पदस्थापना भी कर दी है।
मध्य प्रदेश में भाजपा को सत्ता में लौटाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना के शिकार कांड में एक बड़ा झटका लगा है। शिकारियों की गोलियों से शहीद हुए तीन पुलिसकर्मियों के घटनाक्रम में उनके पसंदीदा आईजी अनिल शर्मा को आज सीएम शिवराज सिंह चौहान के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा है। सुबह बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में सीएम ने घटना में आईजी को देरी से पहुंचने का दोषी मानते हुए तुरंत हटाने के आदेश दिए। शनिवार को अवकाश के बावजूद तुरत-फुरत उनके ट्रांसफर ऑर्डर भी जारी हो गए। उनके स्थान पर मध्य प्रदेश विशेष सशस्त्र बल के एडीजी डी श्रीनिवास वर्मा की पदस्थापना के आदेश भी साथ में कर दिए गए हैं।
चार महीने पहले सिंधिया ने दिया था झटका
गौरतलब है कि 31 दिसंबर 2021 को पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण किए थे जिसमें ग्वालियर में आईजी के रूप में गृह सचिव डी श्रीनिवास वर्मा की पदस्थापना की गई थी। वर्मा की पोस्टिंग के आदेश जारी होने के बाद वे पुरानी पदस्थापना से रिलीव हो गए और गौरव राजपूत ने कार्यभार भी ले लिया था। उधर, ग्वालियर में वे ज्वाइन कर पाते इसके पहले ही उन्हें चार्ज नहीं लेने का संदेश पहुंच गया। डी श्रीनिवास वर्मा की पदस्थापना अधर में लटक गई। आईजी ग्वालियर के पद पर करीब तीन सप्ताह तक असमंजस की स्थिति बनी रही और सिंधिया के पसंदीदा अधिकारी अनिल शर्मा की पोस्टिंग 18 जनवरी को हो गई। गुना शिकारकांड में आईजी के देरी से पहुंचने के बहाने के आधार पर आज चार महीने बाद सीएम ने आईजी को हटाने का आदेश जारी करने में देरी नहीं की। अब देखना यह है कि आईजी ग्वालियर के रूप में डी श्रीनिवास वर्मा की वहां के भाजपा नेताओं के साथ पटरी कब तक बैठ पाती है।