राजनीतिक कार्यकर्ता और अनुवादक मनीष आजाद को यूपी एटीएस ने आज प्रयागराज में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। यह जानकारी मनीष की बहन और मानवाधिकार कार्यकर्ता सीमा आजाद ने दी।
पत्रकारों को संबोधित एक बयान में उन्होंने बताया कि आज 3 बजे दोपहर में एटीएस के लोग 3-4 गाड़ियों में भर कर हमारे गोविंदपुर स्थित घर पर आए पूरे मोहल्ले में आतंक का माहौल बनाया और मेरे भाई मनीष आज़ाद को उस केस में गिरफ्तार कर ले गए, जिसमें वे 4 साल पहले ही जमानत पर बाहर आकर घर पर रह रहे हैं।
आपको बता दें कि मनीष आज़ाद अनुवाद का काम करते हैं कवि हैं और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। 2019 के पहले वे भोपाल में रहते थे। 2019 में ATS ने उन पर और उनकी पत्नी अमिता पर FIR दर्ज कर लखनऊ जेल भेज दिया था। FIR में यह कहा गया था कि मनीष उत्तर प्रदेश में घूम-घूम कर लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काते है। इस केस में वे आठ महीने बाद 2020 में जमानत पर बाहर आ गए, और इलाहाबाद स्थित घर पर ही माता पिता और पत्नी के साथ रह रहे हैं और अनुवाद का काम कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि जमानत पर बाहर आने के बाद भी एटीएस कई बार घर पर आ कर पूछताछ के नाम पर उन्हें और मेरे माता पिता को मानसिक रूप से उत्पीड़ित कर चुकी है। ATS को पता था कि वे घर पर ही माता पिता और पत्नी के साथ रहते हैं, फिर भी उन्होंने गिरफ्तारी के आदेश में लिखा है कि वे फरार थे और “मुखबिर ने उनकी लोकेशन दी।” उन्होंने कहा कि एटीएस पुलिस और उनकी संस्थाएं ऐसी कहानी गढ़ने में माहिर हैं।
कानून के मुताबिक एटीएस के लोगों को मेरे भाई मनीष को नजदीकी कोर्ट यानि इलाहाबाद की कोर्ट में हाजिर करके ले जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने इसका भी पालन नहीं किया। वे सीधे मनीष को लखनऊ ले गए। मनीष का मोबाइल भी वे जब्त करके ले गए। पुराने केस में धारा बढ़ाकर मनीष आज़ाद की फिर से गिरफ्तारी करना न्याय की बड़ी अवमानना है।
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