सुसंस्कृति परिहार
तमाम मीडिया जगत में इस वक्त बिहारी बालक सोनू की धूम मची हुई है। उसकी निर्भीकता,बेबाक बात रखना , उसकी समझदारी और तीसरा उसका राष्ट्र से प्रेम सबको आकृष्ट कर रहे हैं।वे सवाल जो बिकाऊ मीडिया उठाने का साहस नहीं जुटा पाता वे सवाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आंख में आंख डालने की ज़ुर्रत कर सोनू कुमार करता है वह विनम्रता के साथ मुख्यमंत्री से कहता है , ”सर, सुनिए न..प्रणाम, हमको पढ़ने के लिए हिम्मत दीजिए…गार्जियन नहीं पढ़ाते हैं…।” सोनू ने नीतीश कुमार को बिहार में शिक्षा की बदहाली और शराबबंदी की हालत से अवगत कराया।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी दिवंगत पत्नी मंजू सिन्हा की 16वीं पुण्यतिथि के मौके पर बिहार के नालंदा जिले के कल्याण बिगहा गांव पहुंचे थे। जहां नीमाकोल से साईकिल से आए सोनू ने ये बात कही।
सोनू कुमार एक बहुत ही होनहार छात्र हैं । ये नालंदा जिले के नीमा कोल में एक प्राथमिक विद्यालय सरकारी स्कूल में कक्षा छै में पढ़ाई कर रहे हैं । सोनू का कहना है कि सरकारी स्कूल में पढ़कर कोई भी छात्र अच्छी सर्विस नहीं पा सकता है । ये सरकारी स्कूल के कक्षा 8 तक और प्राइवेट स्कूल के कक्षा पांच तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता है इस ग्यारह साल के बच्चे की काबिलियत इसी से झलकती है कि वह 40बच्चों को ट्यूशन देकर अपना खर्च निकालता है।वह मात्र सौ रुपए प्रतिमाह लेता है। इसी राशि से उसने स्मार्ट मोबाइल खरीदा और यू ट्यूब वगैरा से अपने अध्ययन का विस्तार किया ।
इस छोटे से बच्चे की हिम्मत को देखकर अधिकारी से लेकर नेता तक दंग रह गए ।नीतीश कुमार के सामने शिक्षा व्यवस्था और शराबबंदी कानून की पोल खोल कर रख दी उसने अपने पिता रणविजय यादव के दारु पीने की भी शिकायत की।वे दूध और दही बेचने का छोटा धंधा करते हैं जिससे आम का बड़ा हिस्सा शराब में खर्च हो जाता है।नीमाकोल में इनका साधारण सा घर है।मां लीलादेवी निरक्षर हैं।
सोनू को जानने लोग बताते हैं कि वह बचपन से बेझिझक जवाब देने में माहिर है तेज तर्रार है।भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनने के सपने संजोए सोनू मदद के लिए मिल रहे ऑफर से खुश तो है, लेकिन वह कहता है कि उसे ऐसी मदद नहीं चाहिए, उसे मदद अधिकारी बनने तक चाहिए। उसकी मां भी अपने बच्चे को अधिकारी के रूप में देखना चाहती है।
सोनू का मुख्यमंत्री के साथ तीखी और तल्ख बातचीत का वीडियो सामने आने पर उसकी ओर मदद के हाथ बड़े हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी के साथ तेजस्वी यादव जैसे राजनैतिक लोगों ने सोनू कुमार की हरसंभव मदद के दरवाज़े खोले हैं। दूसरी और फिल्मी सितारे गौहर खान और चर्चित समाजसेवी सोनू सूद ने भी अपनी ओर से हरकिस्म की मदद करने की अपील की है।
आगे देखना यह है कि वह किस माध्यम को अपने आगे बढ़ने को चुनता है क्योंकि वह जिस समझदारी और अध्ययन के साथ सामने आया है इसलिए वह
सीएम नीतीश कुमार से शिक्षा की बदहाली और शराबबंदी को असफल बता पाया ,क्योंकि सीएम नीतीश कुमार लगातार भाषणों में शराबबंदी और शिक्षा के बारे कहते नहीं थकते हैं। इसलिए शायद वह इन पर भरोसा नहीं करेगा और अन्य विकल्प ही चुनेगा।
आज जब सोनु कुमार सुर्खियों में है तब पत्रकार और नेताओं का जमावड़ा उसके घर हो रहा है उसके पिता माता सहमे सहमे नज़र आते हैं। सोनू को भी चिंता है वह यहां से चल देगा तो उससे पढ़ने वाले बच्चों का क्या होगा मेरा गांव पिछड़ जायेगा तब वहां एक अच्छे शिक्षक की भर्ती का आश्वासन उसे मिलता है। उससे एक पत्रकार पूछता है अधिकारी बनकर क्या करोगे तो वह देश सेवा का संकल्प दोहराया है वह यह भी कहता है मैं अपने लिए नहीं देश के लिए पढ़ना और सबको पढ़ाना चाहता हूं।उसकी पीड़ा है सरकारी स्कूलों के उन बच्चों की जिनके शिक्षकों को पढ़ाना नहीं आता। मैं कक्षा पांच में था तब से सरकारी स्कूल के कक्षा 8के बच्चे पढ़ाई रहा है।वह अपने अंग्रेजी शिक्षक को अयोग्य बताता है।वह बेबाक कहता है हम सरकारी स्कूल में कभी नहीं पढ़ेंगे ।ऐसे में बच्चे कैसे आगे बढ़ देश के विकास में सहभागी बन सकते हैं।पिता के शराब पीने से भी वह निराश हैं जाने कितने बच्चे इस तरह अपने सपने कुचलते हुए देख रहे होंगे।उसकी स्पष्ट बयानी के प्रभाव से उसका भविष्य बन जाए पर सरकार की शिक्षा के प्रति अरुचि और नशे को प्रोत्साहन दोनों मिलकर देश को बदतर बना रहे हैं ये सवाल कौन सुलझाएगा मूल प्रश्न सोनू कुमार यादव का यही है इस बारे में उच्च स्तर पर सोचा जाना चाहिए।
इतनी कम वय में सोनू की इतनी गहरी गंभीर सोच निश्चित तौर पर अद्भुत और चौंकाने वाली है।उसे भरपूर मदद मिलनी ही चाहिए।सोनू सूद का साथ यदि सोनू कुमार को मिलता है तो सोने में सुहागा होगा।अमीन।