भारत में खेले जा रहे वर्ल्ड कप क्रिकेट के बीच एक बेहद दुखद खबर है। भारतीय क्रिकेट के मशहूर खिलाड़ी और दिग्गज स्पिनर बिशन सिंह बेदी का निधन हो गया है। वह 77 साल के थे। 1970 के दशक में क्रिकेट की दुनिया में बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर और राघवन की जोड़ी बेहद मशहूर थी।
भारतीय टीम के महान स्पिनरों में से एक बिशन सिंह बेदी का सोमवार को 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बाएं हाथ के स्पिनर बिशन की सांप की तरह बलखाती गेंदें एक समय विपक्षी बल्लेबाजों के लिए काल हुआ करती थी. यह उस समय की बात थी जब बिशन बेदी, चंद्रेशखर, ईरापल्ली प्रसन्नाा और वेंकटराघवन की स्पिन चौकड़ी का विश्व क्रिकेट में राज हुआ करता था, भारतीय टीम के कप्तान बिशन बेदी इस चौकड़ी के फ्रंटलाइन स्पिनर थे.
67 टेस्ट में भारत की ओर से 266 विकेट लेने वाले ‘बिशन पाजी’ कप्तान के तौर पर हमेशा अपने प्लेयर्स के साथ खड़े रहे. प्लेयर्स के हित में जरूरत पड़ने पर वे क्रिकेट प्रशासन के सामने खड़े होने से भी नहीं चूके. शायद यही कारण रहा कि अपने दौर के खिलाड़ियों का काफी सम्मान उन्हें हासिल रहा. उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने देश में दिग्गज टीमों को तो शिकस्त दी ही, विदेशों में भी टीम के प्रदर्शन में सुधार भी इसी दौर में आया.
बेदी सहित भारत की स्पिन चौकड़ी को अपनी फ्लाइट के जरिये विपक्षी बल्लेबाजों को छलना बखूबी आता था. विकेट लेने के बाद इन स्पिनरों का जश्न मनाने का अंदाज भी अलग होता था. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद बिशन ने स्पिन गेंदबाजों को तैयार करने में भी योगदान दिया. मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक जैसे स्पिनरों ने बेदी के मार्गदर्शन में अपनी खेल कौशल को तराशा. करियर रिकॉर्ड की बात करें तो बेदी ने 67 टेस्ट और 10 वनडे भारत की ओर से खेले. टेस्ट क्रिकेट में 28.71 के औसत से 266 और वनडे में 48.57 के औसत से सात विकेट उनके नाम पर हैं.टेस्ट क्रिकेट में वे 14 बार पारी में पांच या इससे अधिक और एक बार मैच में 10 या इससे अधिक विकेट लेने में सफल रहे.
बेशक बेदी वनडे क्रिकेट ज्यादा क्रिकेट नहीं खेले और इस फॉर्मेट के उनके रिकॉर्ड बहुत प्रभावशाली नहीं है लेकिन वर्ल्डकप में सबसे कंजूस गेंदबाजी विश्लेषण में से एक ‘स्पिन के इस सरदार’ के नाम पर दर्ज है. 1975 के वर्ल्डकप में ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ बेदी ने अपने 10 ओवर में 8 मेडन रखते हुए 6 रन देकर एक विकेट लिया था. वनडे में 12 ओवर के स्पैल में 8 ओवर मेडन रखना बेदी जैसे करिश्माई स्पिनर के बूते की ही बात थी. वे बाद में टीम इंडिया के कोच भी बने.
1976-77 के बहुचर्चित वेसलीन कांड में इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ शिकायत दर्ज करना बिशन सिंह बेदी जैसे खिलाड़ी के बूते की ही बात थी. भारत के दौरे पर आई उस इंग्लैंड टीम में तेज गेंदबाज जॉन लीवर शामिल थे. इस टेस्ट सीरीज के तहत मद्रास (अब चेन्नई) में लीवर हैडबेंड लगाकर मैदान में उतरे थे. मैच में अपनी स्विंग से लीवर ने भारतीय बैटरों को खासा परेशान किया था. लीवर की इस कामयाबी के बीच बेदी ने सनसनीखेज आरोप लगाया था कि लीवर ने अपने हैडबेंड में वेसलीन लगाया था, इससे उन्हें गेंद को ज्यादा स्विंग कराने और विकेट लेने में मदद मिली. इंग्लैंड उस समय विश्व क्रिकेट की बड़ी ताकत हुआ करता था, ऐसे में बेदी के आरोपों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया. हालांकि बाद में विश्व क्रिकेट में आई बॉल टेम्परिंग की घटनाओं ने इस बात की पुष्टि की कि ‘कृत्रिम कारणों’ से गेंद को अधिक स्विंग कराया जा सकता है. भारतीय क्रिकेट में बाद में बेदी के स्तर और उसके ऊपर के कई खिलाड़ी हुए लेकिन अपने प्लेयर्स के हित में बहादुरी से खड़े होने उनके जैसे टीम मैन बिरले ही होंगे..
बिशन सिंह बेदी का जन्म 25 सितंबर, 1946 को अमृतसर में हुआ था। वे बाएं हाथ के शानदार गेंदबाज थे। उनकी अंगुलियों में जादू था। उनकी गेंदबाजी के दौरान बल्लेबाजों के छक्के छूट जाते थे। उन्होंने भारत के लिए 1966 से 1979 के बीच टेस्ट खेला।
इसके अलावा उन्होंने 22 टेस्ट मैचों के लिए कप्तानी भी की थी। अपनी गेंदबाजी के जरिये उन्होंने 67 टेस्ट मैचों में 266 विकेट लिए।
अगर उनके क्रिकेट कैरियर की बात की जाए तो घरेलू क्रिकेट में बेदी 15 साल की उम्र से उत्तर पंजाब के लिए खेलते थे। वह 1968-69 और 1974-75 की रणजी ट्राफी सीजन के लिए दिल्ली गये थे। जहां उन्होंने रिकॉर्ड 64 विकेट लिए। बेदी बहुत समय तक इंग्लिश काउंटी के लिए भी खेले। अपने खेल जीवन के फर्स्ट क्लास कैरियर में उन्होंने कुल 1560 विकेट लिए। जो शायद ही किसी दूसरे खिलाड़ी को नसीब हो पाया।
उनकी बॉलिंग को बेहद कलात्मक कहा जाता था। वह स्पिन की तकरीबन सभी खूबियों के जानकार थे। स्पिन गेंदबाज होने के कारण वह उतना थकते भी नहीं थे जिसका नतीजा था कि वह दिन भर बॉलिंग कर सकते थे।अपने घरेलू जीवन में भी वह बेहद सरल थे। उनका कहना था कि वह अपने कपड़े खुद धोते थे। किसी शख्स के लिए इससे बेहतर इक्सरसाइज कोई दूसरी नहीं हो सकती है।
उनका सबसे बढ़िया प्रदर्शन 1969-70 के दौरान आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में था। जहां उन्होंने 98 गेंदों में सात विकेट लिए। उनका सबसे बढ़िया मैच फीगर 1978-79 के दौरान पर्थ में था। जब उन्होंने 194 रनों पर 10 विकेट विकेट लिए। हालांकि उनकी बल्लेबाजी उतनी मजबूत नहीं थी। उनकी बल्लेबाजी का अधिकतम स्कोर 50 रन नॉटआउट का है। टेस्ट में उन्होंने अकेला अर्धशतक 1976 में कानपुर में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ लगाया था।
बेदी को 1976 में भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया। उन्होंने मंसूर अली खान पटौदी के बाद इस जिम्मेदारी को संभाली। उनकी कप्तानी का कमाल था की भारतीय टीम ने 1976 में पहली बार वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच जीता। उसके बाद उसने न्यूजीलैंड को भी 2-0 से हराया। हालांकि उसके बाद लगातार कई श्रृंखलाओं में हार के बाद कप्तानी सुनील गावस्कर के पास चली गयी।
रिकॉर्ड के मामले में बात की जाए तो लांस गिब्स के बाद बेदी पहले खिलाड़ी हैं जिनके पास सबसे ज्यादा मैडन ओवर फेंकने का रिकॉर्ड है। उन्होंने हर विकेट के हिसाब से 4.2 मैडेन ओवर डाले।
बिशन सिंह बेदी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उनके निधन पर शोक जाहिर किया है। उन्होंने कहा है कि यह क्रिकेट के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। एक्स पर उन्होंने कहा कि लिजेंड क्रिकेटर और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान के जाने से बेहद दुखी हूं। स्पिन गेंदबाजी की उनकी अपवादपूर्ण प्रतिभा ने क्रिकेट की दुनिया में एक ऐसा निशान छोड़ा है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकेगा।
सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धांजलियों का तांता लग गया है। और ट्विटर पर #BishanSinghBedi ट्रेंड कर रहा है।