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30 दलों से ज्यादा अकेले बीजेपी ने इलेक्टोरल बांड से हासिल किया

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नई दिल्ली। बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। कोर्ट का कहना था कि योजना सूचना के अधिकार और बोलने की आजादी के खिलाफ है तथा इसके राजनीतिक दलों तथा दानदाताओं के बीच लेन-देन की व्यवस्था का शिकार होने की आशंका है।

इसके साथ ही कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड जारी करने वाले स्टेट बैंक आफ इंडिया को छह मार्च तक राजनीतिक दलों को मिले चंदे का पूरा विवरण मुहैया कराने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही चुनाव आयोग को 13 मार्च तक पूरा विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है।

इलेक्टोरल बांड योजना को बीजेपी की सरकार द्वारा 2017-18 में लाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि इस रास्ते से आने वाले चंदे का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिलता था।

इलेक्टोरल बांड ने कैसे भरी बीजेपी की तिजोरी? 

स्क्रोल पर प्रकाशित एक खबर के मुताबिक कम से कम सात राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और 24 क्षेत्रीय पार्टियों को इलेक्टोरल बांड के जरिये पैसा मिला है। चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफर्म्स के मुताबिक अप्रैल 2023 तक कुल 12979 करोड़ रूपये के इलेक्टोरल बांड बेचे जा चुके हैं। यह सब कुछ 26 किश्तों में हुआ है। इसमें बीजेपी को 6572 करोड़ रुपये यानि पचास फीसदी से ज्यादा रुपये मिले हैं। बाकी सभी दलों ने एक साथ मिलकर जितना नहीं कमाया उससे ज्यादा सत्तारूढ़ दल ने इस रास्ते से हासिल कर लिया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस 1123 करोड़ रुपये के साथ इससे बहुत पीछे रहा।

पार्टी के आधार पर और पूरा विस्तार से अगर इसको सामने लाने की कोशिश की जाए तो अप्रैल, 2022 तक कुल 9856.72 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बांड के जरिये आए जिसमें बीजेपी को 5271.97 करोड़ रुपये मिले। यह हिस्सा तकरीबन 53 फीसदी है।

जबकि कांग्रेस को इसी काल में 952.29 करोड़ रुपये हासिल हुए। सूची में अगला नाम टीएमसी का है जिसे 767.88 करोड़, बीजेडी को 622 करोड़ और तेलंगाना राष्ट्र समिति को 383.65 करोड़ रुपये मिले।

लोकसभा में एक सवाल के उत्तर में केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने 5 फरवरी को बताया कि योजना के लांच होने के बाद अब तक 30 किश्तों में कुल 16518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड जारी किए जा चुके हैं। इसका मतलब है कि अप्रैल 2023 तक 2023-24 के वित्तीय वर्ष में 3539 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड जारी किए जा चुके हैं। किसी दल को इस दौरान कितना पैसा मिला इसका पूरा विवरण मौजूद नहीं है। 

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