नीरज कुमार
भाजपा की मोदी सरकार शुरू से ही संघवाद के खिलाफ है बे केंद्रीय सत्ता के बल पर संघवाद पर नियंत्रण स्थापित कर केन्द्रीय सत्ता के अधीन करना चाहते है छोटे राज्यों और उनकी स्वायत्तता एवं उनके राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित कर अपनी मंशा उन पर थोपना चाहते है Iअभी हालिया विवाद पंजाब पुनर्गठन एक्ट -1966 के तहत केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में सेंट्रल सर्विस रूल्स लागू करने की अधिसूचना जारी कर केन्द्र सरकार ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
यह हस्तक्षेप भाजपा और केन्द्र सरकार की स्वस्थ संघवाद के विकास के खिलाफ उनकी मंशा को दर्शाता है, पंजाब विधान सभा में दो सीटों पर सिमटी भाजपा पंजाब में एक नयी सियासी विरोधाभाषी पारी शुरू करने की तैयारी में लालायित दिख रही है जिससे बौखलाई पंजाब की आप सरकार ने आनन् -फानन में पंजाब विधानसभा में एकतरफा रिज़ोलुशन पास कर चंडीगढ़ को पंजाब में सम्मलित करने व उस पर अपना पूर्ण अधिकार जताने का एक निराधार ढोंग शुरू कर दिया जिसने आप की मंशा को जगजाहिर कर दिया है कि चंडीगढ़ पर पंजाब का पूरा अधिकार नहीं है शाह कमीशन -1966 के आधार पर 40 प्रतिशत हिस्सा चंडीगढ़ का हरियाणा के पास है ऐसे में आप का पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ पर पूर्ण अधिकार बाला रिज़ोलुशन दर्शाता है कि आप कभी भी राष्ट्रीय समन्वय कि राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकती है आप सरकार के इस आत्मघाती निर्णय और हड़बड़ाहट से आप के प्रति हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की जनता के जनाक्रोश का सामना आप को करना पड़ेगा जिससे स्पष्ट हो जाता है कि आप भी भाजपा की तरह ही तानाशाही और बिघटनकारी सोच की उपज है जिस आन्दोलन को आत्मसात कर वह चुनावी राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी उन मूल्यों से इतर आप में मुझे कोई स्वछंदता और राष्ट्रीय सुचिता की राजनीति के आदर्श और मूल्य नहीं दिखतें है ,देश की अन्य मौजूदा क्षेत्रीय पार्टियों की ही तरह आप अपनी संकुचित कार्यशैली की वैचारिक उपज से बाहर देश की अखण्डता और अक्षुणिता को सहेजने के काबिल नहीं दिखती है।
पंजाब में कांग्रेस के अंतर्कलह और अस्पष्टता के चलते एवं अकालियों से क्षुब्ध पंजाब की जनता ने आप को जो जनादेश दिया है बेहतर है कि आप पंजाब में अपने बादो और उसकी बेहतरी के लिए जनता से किये वादो को पूरा करने का प्रयत्न करे जिससे गर्त में चले गए पंजाब को फिर से खुशहाल बनाया जा सके लेकिन मुझे पंजाब में आप सरकार के शुरुवाती लक्षणों से ऐसा आभास हो रहा है कि आप पंजाब की पूर्व सरकारों की भांति ही विवादों में रहकर सिर्फ सत्ता का भोग और अपनी अघोषित राजनितिक महत्वाकांक्षाओ और तुष्टिकरण की राजनीति को ही हवा देगी क्योकि विना स्पष्ट विज़न और द्रण इच्छाशक्ति के कोई सरकार विकास का खांका नहीं बुन सकती। भाजपा की उकसाबे की राजनीति के मकड़जाल में आप पूर्णतया उलझती नजर आ रही है जिसने आप को एक ही झटके में हरियाणा और हिमाचल की जनता के बीच आप को खलनायक बना दिया ,आप इतनी महत्वकांक्षी कैसे हो सकती है कि आप सांझी संपत्ति पर एकाधिकार कैसे प्राप्त कर सकती है बिना सुलह और बातचीत के ,अत ; पंजाब में आप सरकार के इस राजनितिक लाभ लेने के आनन् -फानन निर्णय ने उसकी कार्यशैली और मंशा को जगजाहिर कर दिया है जिसके नमूने आगे भी पंजाब और हरियाणा के अन्य सामूहिक हितो पर कुठराघात (विवाद ) के रूप में हम सभी को देखने को मिलते रहेंगे इससे स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा और आप दोनों कि राजनितिक विचारधारा में कोई ज्यादा बड़ा फर्क नहीं दिखता है अपितु दोनों कि ही सियासी भूख जगजाहिर है । अत; कहा जा सकता है कि आप और भाजपा दोनों ही एक ही थैली के चट्टे बट्टे है।
लेखक ; नीरज कुमार (अध्यक्ष,सर्वोदय जागरण मंच एवं राजनितिक विश्लेषक है )