भोपाल। सत्ता का गलियारा कहे जाने वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र में भाजपा ने चौथी सूची में 15 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। भाजपा संगठन इस चुनाव में मालवा-निमाड़ में किसी बदलाव के मूड में नहीं है। नई सूची में इस क्षेत्र के नौ में से आठ मंत्रियों के नाम शामिल हैं।
सभी को अपनी-अपनी सीटों से ही मैदान में उतारा गया है। इनमें ज्यादातार सीटें वे हैं, जिन पर स्थानीय समीकरणों को केंद्र में रखकर नए चेहरों को मौका देने की बात जोर-शोर से की जा रही थी। वहीं इंदौर के विधानसभा क्षेत्र 5, 3 और महू सीट को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है। भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में सांसदों और केंद्रीय स्तर के पदाधिकारियों को मैदान में उतारकर प्रदेश के चुनावी माहौल को गर्मा दिया था। उसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में भाजपा की अगली सूची को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे। वर्तमान विधायकों को जहां सबसे ज्यादा इस बात का डर सता रहा था कि टिकट वितरण में कहीं गुजरात फार्मूला लागू हो गया तो, बड़े पैमाने पर वर्तमान विधायकों के टिकट कटेंगे, वहीं नए दावेदार इसलिए अपने-अपने क्षेत्रों में पूरी ताकत लगा रहे थे कि इस बार बदलाव निश्चित है ही इसलिए टिकट मिलने की प्रबल संभावना उन्हें नजर आ रही थी। गौरतलब है कि चुनाव की घोषणा से काफी पहले पार्टी ने मालवा-निमाड़ की 22 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। इनमें सबसे चौंकाने वाला नाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का था, जिन्हें विधानसभा क्षेत्र 1 में उतारा गया है। इन दो सूचियों के बाद कई नामों को लेकर नाराजगी के स्वर भी उभरे थे, साथ ही मौजूदा विधायकों के टिकट कटने अथवा सीट बदले जाने की चर्चा चलने लगी थी। नए चेहरों को मौका दिए जाने जैसी भी बातें थीं, पर ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा ।
दोहराया विश्वास
प्रदेश में चुनावी संग्राम शुरू होने के पहले ही चर्चा चल पड़ी थी कि मध्य प्रदेश में इस बार भाजपा का मुकाबला भाजपा से ही होगा। क्षेत्रीय उम्मीदवारों से कार्यकर्ताओं और लोगों की नाराजगी बड़ा असर दिखाएगी। प्रदेश संगठन ने इन संकेतों के बाद क्षत्रपों को अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय कर दिया, वहीं केंद्रीय नेतृत्व ने भी प्रदेश में आकर चुनाव की कमान संभाल ली। लेकिन तमाम सर्वे और मैदानी जोड़-घटाव के बाद जब चौथी सूची आई तो 15 सीटों पर एक भी नए चेहरे को मौका नहीं मिला। भाजपा ने अपने आठ मंत्रियों सहित इन सीटों पर वर्तमान विधायकों को ही उम्मीदवार बनाकर यह संदेश दे दिया कि क्षेत्रीय एंटीइंकबेंसी से पुराने चेहरों का विश्वास ज्यादा मजबूत है। क्षेत्र क्रमांक चार में वर्तमान विधायक मालिनी गौड़ के बजाए नए चेहरे को मौका देने की मुखालफत करने भाजपाई मुख्यमंत्री तक भी पहुंचे थे, लेकिन पार्टी ने ऐसी किसी मंशा को महत्व नहीं दिया। इसी तरह बदनावर से विधायक व मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की उम्मीदवारी का विरोध वहीं के भाजपा नेता तीन साल से कर रहे हैं लेकिन पार्टी ने वहां भी किसी तरह के बदलाव के बजाय दत्तीगांव पर ही भरोसा जताया। इसी तरह उज्जैन उत्तर से मंत्री मोहन यादव पर भी भाजपाइयों ने सिंहस्थ जमीन मामले सहित कई आरोप लगाते हुए बदलाव का सुर छेड़ा था ,लेकिन यहां भी पार्टी ने पुराने चेहरे पर ही भरोसा जताया। सुवासरा से हरदीप सिंह डंग, हाटपीपल्या से मनोज चौधरी, बड़वानी से प्रेमसिंह पटेल की उम्मीदवारी को लेकर भी कयास लगाए जाते रहे लेकिन, पार्टी ने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया।
सिंधिया समर्थकों को मिली तवज्जो
ज्योतिरादित्य सिंधिया की उंगली थामकर भाजपा का दामन थामने वाले विधायकों को मंत्री पद देकर पहले उपकृत किया जा चुका था। चुनावी दौर में सिंधिया समर्थकों को पूरी तवज्जो मिली है। मंत्री तुलसीराम सिलावट सांवेर, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर, हरदीप सिंह डंग सुवासरा, विधायक मनोज चौधरी हाटपीपल्या को भाजपा ने उन्हीं की सीट से मौका दिया है। इन सीटों पर कभी कांग्रेस की तरफ से इन लोगों ने चुनाव जीता था और इस्तीफे के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा के झंडे तले मैदान में उतरे थे। मालवा- निमाड़ की 66 सीटों में से भाजपा ने 37 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। जो सीट होल्ड पर हैं, उनमें इंदौर की तीन सीटें महू, विधानसभा-5 और क्षेत्र – 3 शामिल है। महू से मंत्री उषा ठाकुर विधायक हैं, 5 से पूर्व मंत्री महेंद्र हार्डिया और क्षेत्र-3 से आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं। कैलाश विजयवर्गीय के मैदान में आने के बाद आकाश के टिकट की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी थी। महू में ठाकुर के और क्षेत्र-5 में महेंद्र बाबा के विरोध की सुगबुगाहट है। हालांकि जिस मूड में पार्टी आलाकमान है, उसके चलते टिकट कटने की संभावना तो नहीं लग रही, फिर भी खाली हुई 3 नंबर की सीट पर मंत्री ठाकुर को मौका दिया जा सकता है। ठाकुर इस सीट से 2013 में विधायक चुनी गई थीं।