चार साल साथ रहने के बाद BJP और AIADMK का ब्रेकअप हो गया है। AIADMK जिसे हम आम तौर पर ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम या अन्नाद्रमुक नाम से जानते हैं। अन्नाद्रमुक ने सोमवार को ऐलान करते हुए कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी। बीजेपी नेतृत्व वाली NDA से बाहर निकलने का फैसला AIADMK के चेन्नई हेडक्वॉर्टर में पार्टी चीफ ई. के. पलानीस्वामी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में किया गया। दक्षिण में AIADMK ही BJP की एकमात्र सहयोगी पार्टी थी। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो यह बीजेपी के लिएकिसी झटके से कम नहीं हैं। अब खबर आ रही है कि दोनों पार्टियों के बीच विवाद की जड़ तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष अन्नामलाई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इस झगड़े का असर लोकसभा चुनाव पर क्या होगा
कौन हैं अन्नामलाई?
बीजेपी के जिस नेता की वजह से दक्षिण भारत के एक मात्र सहयोगी ने साथ छोड़ा उनका पूरा नाम अन्नामलाई कुप्पुस्वामी है। दो वर्ष पहले जुलाई 2021 में उन्हें तमिनलाडु बीजेपी का चीफ चुना गया था। बीजेपी को इनसे काफी उम्मीदें हैं। अन्नामलाई ने तमिलनाडु में बीजेपी की जड़ को मजबूत करने का काम किया है।
बीजेपी के इस फायरब्रांड नेता अन्नामलाई का जन्म 1987 में तमिलनाडु के करूर में हुआ था। अन्नामलाई वेल्लाला गौंडर परिवार से ताल्लुक रखते और यह एक शक्तिशाली और काफी धनी ओबीसी जाति है और राज्य के पश्चिमी हिस्से में ये काफी मजबूत हैं। अन्नामलाई ने कोयंबटूर के PSC कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से B.Tech किया है और IIM लखनऊ से MBA की पढ़ाई की है।
अन्नामलाई सितंबर 2013 में उन्हें उडुपी का ACP बने। बाद में वो डीएसपी बने। फिर 29 मई 2019 को अन्नामलाई ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कहा इस सेवा में मुझे जो करना था, वो मैंने हासिल कर लिया है। अब आगे का नया सफर पर निकलुंगा।
इस्तीफा देने के लगभग एक साल बाद 25 मई 2020 को अन्नामलाई BJP में शामिल हो गए। पार्टी ज्वाइन करने के 11 महीने बाद ही उन्हें तमिलनाडु बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया। कुछ दिन पहले अन्नामलाई ने अपने सहयोगी दल के लिये आक्रामक तेवर दिखाए थे। उसी के बाद दोनों पार्टियों के बीच झगड़े की शुरुआत हुई।
BJP के लिए झटका?
इस टूट के बाद चर्चा हो रही है कि क्या यह बीजेपी के लिए झटका है? दरअसल, बीजेपी के लिए तमिलनाडु में खोने को कुछ भी नहीं है। बीजेपी इस राज्य में जिस पार्टी के साथ थी उसका हाल बुरा होता जा रहा है। ऐसे में उसके साथ बने रहने में बीजेपी को शायद ही कुछ खास फायदा होता।
अन्नाद्रमुक ने खुद अलग होने का ऐलान किया यह भी बीजेपी के पक्ष में ही जाता दिख रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी और अन्नाद्रमुक का प्रदर्शन अच्छा होता हो क्रेडिट दोनों को जाता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अगले लोकसभा में अगर यहां बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करती है तो कहेगी हम अकेले थे मगर काफी थे।
2024 चुनाव पर क्या असर ?
बीजेपी इस राजनीतिक घटनाक्रम के जरिए एक तीर से कई निशाने साधेगी। राजनीतिक पंडितों की मानें तो बीजेपी यहां लॉन्ग टर्म प्लान कर रही है। इसीलिए हर कदम सोच समझकर उठा रही है।इस चुनाव के जरीय बीजेपी चुनावों में अपनी ताकत का सही-सही अंदाजा लगा सकेगी। संगठन को कैसे मजबूत किया जाये इस बारे में सोचेगी। वहीं DMK और कांग्रेस के बीच सीट के बंटवारे को लेकर रस्साकस्सी शुरू हो जाएगी। तमिलनाडु की राजनीति में हो रही हालिया घटनाक्रम को देखते हुए लगता है कि BJP को अन्नामलाई के नेतृत्व पर काफी यकीन है, और शायद इसीलिए बीजेपी ने नाराज AIADMK नेताओं को मनाने की भी खास कोशिश नहीं की।