एस पी मित्तल, अजमेर
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और छह बार के भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह को आखिर जेल तो जाना ही पड़ेगा। महिला पहलवानों ने सिंह पर यौन शोषण के जो आरोप लगाए हैं उनकी सच्चाई तो अदालत के फैसले से सामने आएगी। लेकिन अभी तो हालात बने हैं, उनमें बृजभूषण सिंह को कहीं से राहत नहीं मिलेगी। सिंह की यह बात भी कोई मायने नहीं रखती। महिला पहलवानों की एफआईआर दर्ज करवाने में कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका है। दिल्ली के जंतर मंतर पर पहलवानों के धरने में भी हुड्डा की ही भूमिका है। खेलों में राजनीति होना पुरानी परंपरा है। बृजभूषण सिंह भी भारतीय कुश्ती संघ पर वर्षों से इसीलिए काबित है कि वे भाजपा से जुड़े हुए हैं। यह सही है कि उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में पहलवानों ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अनेक मेडल जीते हैं, लेकिन उन्हें अपने विरुद्ध चल रहे षडय़ंत्र की जानकारी भी होनी चाहिए थी। यदि दीपेंद्र सिंह हुड्डा उनके खिलाफ कुछ महिला पहलवानों को उकसाने में सफल रहे तो इसमें बृजभूषण सिंह की विफलता ही है। अब जब महिला पहलवानों ने एफआईआर दर्ज ही करवा दी है, तब सिंह की गिरफ्तारी को कोई नहीं रोक सकता। सिंह को न तो भाजपा से और न अदालत से कोई राहत मिलेगी। अच्छा हो कि सिंह कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर स्वयं को पुलिस के हवाले कर दें और तब तक चुप बैठे रहे, जब तक अदालत से कोई राहत न मिले। वहीं ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों को भी उचित सलाह दी है। दत्त ने कहा कि पहलवानों की मांग पर बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है, इसलिए धरना समाप्त कर पहलवानों को नियमित अभ्यास में जुट जाना चाहिए। आने वाले दिनों में कुश्ती की अनेक प्रतियोगिताएं होनी है। पहलवान की पहचान ही प्रतियोगिता जीतने से होती है। यह बात अलग है कि नाराज पहलवानों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक ब्रज भूषण की गिरफ्तारी नहीं होती तब तक धरना जारी रहेगा। इस बीच बृजभूषण ने टीवी चैनलों पर आकर अपनी सफाई भी दे दी है, लेकिन अब दिल्ली पुलिस पर सिंह की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ता जा रहा है।