अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मध्यप्रदेश में कतिपय संगठनों की अति जागरूकता से भाजपा को ख़तरा

Share

-सुसंस्कृति परिहार 

आजकल देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश में चंद हिंदू और मुस्लिम संगठनों में ज़रुरत से ज़्यादा जागरूकता से भाजपाईयों और आम आदमियों में असंतोष दिखाई देने लगा है।यह प्रदेश शांति का टापू कहा जाता रहा है।इक्का दुक्का घटनाएं यदि हुई भी हैं तो मुख्यमंत्री और प्रदेश शासन ने उन्हें बेहतरीन तरीके से हमेशा संभाला है उन्हें उग्र नहीं होने दिया। प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार तक में ऐसे तत्वों को पनाह नहीं मिली है। 

पिछले चुनाव के बाद से इस प्रदेश को दूसरा उत्तर प्रदेश बनाने पर कुछ हिंदू संगठन जुटे हुए हैं।उन्हें उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न नवरात्र और ईदुलफितर को हुए मुस्लिम हिंदू व्यवहार से सबक सीखने की ज़रुरत है। भाजपा के रिमोट कंट्रोल संघ के दूसरे प्रमुख सुरेश भैया जी जोशी ने  औरंगजेब की कब्र पर हुए बबाल पर जो कुछ कहा है उस पर सबको विचार करना चाहिए।जोशी ने कहा “कि औरंगजेब की मौत यहां हुई तो कब्र भी यहीं बनी, जिसे श्रद्धा है, वे जाएंगे। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान की कब्र बनवाकर एक मिसाल कायम की थी। यह भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक है।”

संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भैयाजी जोशी की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब का वर्तमान समय में मुद्दा अप्रासंगिक है। जैसा कि ये संगठन अपने आपको संघ और भाजपा से जुड़ा मानते हैं तो उन्हें अपने संगठन की सोच का ख़्याल रखना चाहिए।

घटनाएं बहुत छोटी हैं जैसे दमोह में घंटाघर से हिंदू झंडा हटाने पर सी एम् ओ के चेहरे पर कालिख पोतना।इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जा सकती थी। यहां विधायक और दो दो मंत्री भाजपा से हैं।उनसे बात हो सकती थी किन्तु अपने हाथ में इस तरह के फैसले लेने से पक्ष विपक्ष सभी नेताओं में असंतोष है।इस घटना से जनता और अधिकारियों में भी क्षोभ है। सीएमओ को शायद मालूम नहीं होगा कि पिछले 15 सालों से इस शासकीय स्थल पर हिंदू झंडे ही नहीं बल्कि ईद, महावीर जयंती,नानक जयंती वगैरह पर उनके झंडे शान से फहराए जाते रहे हैं। जिस उदारता और समावेशिता की बात भैया जी जोशी कह रहे हैं दमोह शहर की आबोहवा में हमेशा यह बात देखी गई है।

एक दूसरी घटना जबलपुर के एक स्कूल में देखने आई जिसमें स्कूल संचालक ने राम जी पर कुछ आपत्ति जनक टिप्पणी की थी। उसके विरोध में कुछ ऐसे ही युवाओं ने उस विद्यालय को ही तहस नहस करने उग्र रुप धारण कर लिया।

इसी तरह सागर में भी एक हिंदू मंदिर और जैन मंदिर के बीच गर्मागर्म विवाद ने भी शांति को भंग किया।

ये तमाम मामले प्रशासन की सूझ बूझ से शांत हो गए किंतु विभिन्न सामंजस्य के साथ रह रहे समुदायों के बीच ज़हर घोल गए।

दमोह जबलपुर की घटना चूंकि नवरात्र और रमजान के बीच की है इसलिए इस दौरान लोग सहमे सहमे ,डरे डरे इन पर्वों का आनंद लेते रहे हैं। वो स्नेह और अपनापन ऊपरी तौर पर नज़र आया मगर वो बात नहीं दिखी जो इन पर्वों पर दिखाई देती थी।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री युवा हैं प्रदेश को आगे ले जाने अनथक कार्य कर रहे हैं। उनसे निवेदन है कि प्रदेश में किसी भी धर्म से जुड़े उग्रता पूर्वक प्रदर्शन करने वाले लोगों को चिन्हित कर उनको सही मार्गदर्शन देने की व्यवस्था करें ताकि समाज के अंदर व्याप्त भय को समाप्त किया सके।इस तरह की उग्रता का सर्वाधिक असर महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों पर होता है जिससे संशय में जीते,पढ़ते लिखते बच्चों का विकास एकाग्री हो जाता है जो हमारे देश के सर्वांगीण विकास में रुकावट लाता है। इसके दूरगामी परिणाम भाजपा के लिए खतरे से खाली नहीं।

Add comment

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें