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भाजपा जिलाध्यक्ष की घोषणा के लिए   बदली रणनीति,किस्तों में जारी होगी

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भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा करने की अब संगठन ने रणनीति बदल दी है। जिन जिलों में एक-एक नाम पर सहमति बन चुकी है, उन नामों की घोषणा एक -एक कर की जाएगी। इसके तहत ही रात 18 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा कर दी गई है। इसी तरह से आज भी कई जिलों के अध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी। इससे जहां कार्यकर्ताओं व दावेदारों का इंतजार धीरे-धीरे समाप्त होगा , वहीं पार्टी को एक साथ किसी बड़े असंतोष का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। फिलहाल करीब दो दर्जन जिलों में एक -एक नाम की सहमति बन चुकी है। पार्टी इन जिलों के अध्यक्षों की घोषणा करने के बीच शेष जिलों में भी सहमति बनाने के प्रयास जारी रखेगी। उल्लेखनीय है कि इसके पहले तक पार्टी द्वारा एक साथ जिलों के अध्यक्षों के नामों की सूची जारी की जाती रही है।मध्य प्रदेश में बीजेपी जिलाध्यक्षों की सूची कभी भी जारी हो सकती है। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश की तरफ से भेजे गए पैनल में से नाम फाइनल कर लिए हैं। बस जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा बाकी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जिलाध्यक्षों की सूची कभी भी जारी हो सकती है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।

मध्य प्रदेश बीजेपी के नए जिला अध्यक्षों की सूची, जो 5 जनवरी को जारी होनी थी, अब गुरुवार को घोषित होने की संभावना है। शीर्ष नेताओं में उम्मीदवारों को लेकर मतभेद के कारण देरी हुई। पार्टी पहले के 60 संगठनात्मक जिलों की बजाए अब 62 इकाइयों के लिए अध्यक्षों की घोषणा करेगी। सागर और धार, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की तरह दो जिला अध्यक्षों वाले बड़े जिले होंगे। सागर (ग्रामीण) और सागर (शहर) के लिए एक-एक जिलाध्यक्ष होगा, धार के लिए भी ऐसा ही होगा।

पहले, बड़े शहरों वाले जिले को दो संगठनात्मक जिलों में विभाजित किया जाता था – एक शहर और दूसरा, ग्रामीण क्षेत्र। सागर और धार के विशाल आकार के कारण, इन दोनों जिलों में भी दो संगठनात्मक जिला अध्यक्ष होंगे। पिछले हफ्ते, राज्य इकाई ने 60 संगठनात्मक इकाइयों में से प्रत्येक के लिए नामों का एक पैनल भेजा। एक बीजेपी पदाधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस बार, जिला अध्यक्ष पद की दौड़ लोकसभा टिकट की दौड़ से भी ज़्यादा प्रतिस्पर्धी रही है।

फिलहाल जिलाध्यक्षों के नामों के एलान की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र विदिशा से की गई है। उज्जैन नगर जिला अध्यक्ष संजय अग्रवाल को नियुक्त किया गया है। उन्हें मुख्यमंत्री का बेहद करीबी माना जाता है। इसी तरह से  विदिशा जिला अध्यक्ष महाराज सिंह दांगी को बनाया गया है। वे केंद्रीय मंत्री शिवराज के करीबी हैं। अग्रवाल राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठ भूमि से आते हैं।  वे स्थानीय व्यापारी महासंघ से भी जुड़े हुए हैं और पार्टी के तमाम पदों पर काम कर चुके हैं। इसी तरह से महराज सिंह दांगी कुरवाई जनपद अध्यक्ष ममता सिंह के पति हैं। वे 1990 से राजनीति में सक्रिय हैं। सीएम व पूर्व सीएम के क्षेत्रों में सबसे पहले जिला अध्यक्ष नियुक्त कर पार्टी किसी भी तरह के अंदरूनी विवाद को थामना चाहती है, क्योंकि वरिष्ठ नेताओं की खींचतान के चलते ही नियुक्तियां अटकी हुई थीं। यह दोनों ही पार्टी के  बड़े नेता हैं। इन दोनों नामों की घोषणा के पहले बीते रोज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा सहित अन्य बड़े नेताओं के बीच चर्चा की गई थी। सूत्रों के मुताबिक सत्ता व संगठन के कुछ प्रमुख लोगों के पास दिल्ली से फोन भी आए। यह चर्चा दोपहर से पहले हुई और देर शाम उज्जैन से अध्यक्ष की घोषणा की शुरुआत हो गई। सूत्रों के मुताबिक देरी के चलते अंदरखाने में पनप रहे विरोध को सत्ता-संगठन ने भांप लिया है। यही वजह है कि अब देरी को टाला जा रहा है। देरी की वजह से ही प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को आगे बढ़ा दिया गया है।  इस बीच माना जा रहा है कि आज रात तक छिंदवाड़ा, बैतूल, भोपाल जिलों के अध्यक्षों के नामों का एलान किया जा सकता है। दरअसल, बीजेपी पार्टी के नियम अनुसार, अगर किसी राज्य में 50 फीसदी जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा हो जाती है तो राज्य में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है।
इन नेताओं के जिलों में फंसा पेंच
ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और उदय प्रताप के जिलोंं में जिला अध्यक्ष को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है। इनके अलावा जबलपुर सहित अन्य जिले भी हैं, जहां जिला अध्यक्ष की घोषणा करने में भाजपा को मशक्कत करनी पड़ रही है। इसी तरह से सागर जिले में तीन-तीन खेमें एक साथ दिख रहे हैं, एक तरफ पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह जोर लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और विधायक शैलेंद्र जैन हैं। जबकि, रीवा और विंध्य में भी कई जिलों में मामला फंस गया है, यहां से डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला आते हैं। बताया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में स्थिति क्लीयर हैं, लेकिन शहरी इलाकों में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय नहीं बन पाया है। केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद भी रविवार को सूची में केवल दो जिला अध्यक्ष ही घोषित हो पाए।  
62 जिलों के अध्यक्ष बनने है इस बार
वैसे बीजेपी के संगठनात्मक जिले 60 हैं, लेकिन इस बार सागर और धार में शहरी और ग्रामीण दो हिस्से कर दिए जाने के बाद अब 62 जिलों पर एक साथ जिलाध्यक्षों की सूची का ऐलान होगा। बीजेपी संगठनात्मक रूप से चार प्रमुख जिले भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर को दो दो जिलों में बांट चुकी है। इनके बड़े जिले होने की वजह से इन्हें शहरी और ग्रामीण दो हिस्सों में बांटा गया है।

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