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 बाहरी नेता बन रहे BJP के खेवनहार

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बिहार सहित देश के अन्य भागों में बीजेपी में एक बार सामान्य दिखती है। इस पार्टी में बाहरी नेताओं का दिल खोलकर स्वागत किया जाता है। उन्हें टिकट दिये जाते हैं। उन्हें पद दिया जाता है। जानकार कहते हैं कि ऐसे में पार्टी के अंदर के नेता क्षुब्ध रहते हैं। देश के कई हिस्सों में पार्टी के फैसले स्थानीय नेताओं को नाराज करने वाले रहे हैं।

बीजेपी के कई बड़े नेता पार्टी के असल कैडर नहीं रहे। जिन दलों के साथ वे रहे, वहां उनको अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का मौका ही नहीं मिला। बीजेपी के साथ आते ही उन्हें अपना कमाल दिखाने का अवसर मिला और वे अभी पार्टी में फिलवक्त लीडिंग रोल में हैं। असम के सीएम हेमंत बिस्वा शर्मा 20 साल तक कांग्रेस में रहे, लेकिन पार्टी ने उनकी प्रतिभा नहीं पहचानी। बीजेपी के साथ वे 2016 में आए तो पहले ही प्रयास में उन्होंने असम की धरती पर कमल खिला दिया। अभी वे असम के सीएम और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के कॉर्डिनेटर हैं।

‘बीजेपी योग्यता पहचानती है’

कांग्रेस में रहते हुए बिस्वा शर्मा इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी उन्हें कभी नहीं मिली। इस मामले में बीजेपी की परख की दाद देनी होगी कि दूसरे दल से आये किसी नेता पर उसने भरोसा किया। इसका सुखद परिणाम भी सामने आया। बिस्वा शर्मा ने न सिर्फ असम, बल्कि सात बहनों (Seven Sisters) के रूप में मशहूर नार्थ ईस्ट के राज्यों में भाजपा के विस्तार की जमीन भी तैयार कर दी। त्रिपुरा, मेघालय, असम जैसे राज्यों में बीजेपी या बीजेपी गठबंधन की सरकार बनने की उपलब्धि हेमंत बिस्वा शर्मा के खाते में ही दर्ज है। त्रिपुरा और नगालैंड में हाल ही बीजेपी गठबंधन बड़ी कामयाबी के साथ सत्ता में आया है। मेघालय में भी एनपीपी के साथ बीजेपी की सरकार है। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के चहेतों में बिस्वा शर्मा आज की तारीख में शुमार हैं।

शुभेंदु ने बीजेपी को 77 सीटों पर पहुंचाया

पश्चिम बंगाल की बात करें तो 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के कुछ ही दिन पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ मची। ममता बनर्जी के बेहद करीबी शुभेंदु अधिकारी ने उनका साथ छोड़ दिया। वे बीजेपी के साथ आये। बीजेपी ने उस वक्त उन्हें चुनावी रणनीति की कमान सौंप दी। इसका सुफल यह हुआ कि भले ही बंगाल में बीजेपी को सत्ता नहीं मिली, लेकिन उससे पहले के चुनाव में सिर्फ 2 सीटों पर सिमटी बीजेपी विधायकों की संख्या को शुभेंदु ने 77 तक पहुंचा दिया। अभी शुभेंदु अधिकारी बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।

बिहार में प्रमुख ओहदों पर दूसरे दलों के नेता

बिहार की बात करें तो बीजेपी के शीर्ष पदों पर अभी दूसरे दलों से आये नेता ही कबिज हैं। आरजेडी और लालू प्रसाद यादव से भाजपा भले नफरत करती हो, लेकिन आरजेडी से ही अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सम्राट चौधरी को बीजेपी ने बिहार की कमान सौंप दी है। इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे संजय जयसवाल वर्ष 2005 में हुए विधानसभा का चुनाव आरजेडी उम्मीदवार के रूप में लड़े थे और चौथे नंबर पर अए थे। बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष सम्राट चौधरी की सियासी बुनियाद भी आरजेडी में ही पड़ी थी। संजय जयसवाल के बीजेपी के साथ आते ही उनके मार्गदर्शन मे 2020 के विधानसभा के चुनाव हुए और बीजेपी ने बिहार की सबसे बड़ी पार्टी होने का रुतबा भी उन्हीं के कार्यकाल में हासिल किया।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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