बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल अचानक से भाजपा के साथ किया अपना गठबंधन तोड़ लिया था। नीतीश कुमार के धोखे को भाजपा भूलना नहीं चाहती। इसलिए वह लगातार उन पर हमला करने के साथ ही उनके वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और शोषित इंकलाब पार्टी के अध्यक्ष नागमणि कुशवाहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद अगला चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की।
देश की जनता फिर से मोदी जी को प्रधानमंत्री देखना चाहती हैृ- नागमणि
सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात के बाद नागमणि कुशवाहा ने कहा कि उनकी शोषित इंकलाब पार्टी शीघ्र ही एनडीए का हिस्सा होगी। वे राज्य में एनडीए को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। बिहार की जनता केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से एनडीए की सरकार चाहती है। वो नीतीश कुमार-लालू प्रसाद की जोड़ी से भी ऊब चुकी है। बिहार के लोग मन-मिजाज से एनडीए समर्थक हैं।
दिवंगत जगदेव प्रसाद के बेटे हैं नागमणि
अगर हम नागमणि कुशवाहा के राजनीतिक जमा पूंजी की बात करे तो वह बस इतनी है कि वह बिहार के क्रांतिकारी नेता दिवंगत जगदेव प्रसाद के बेटे हैं। जगदेव प्रसाद की गिनती प्रमुख समाजवादी नेताओं में होती है। उन्होंने राज्य में शोषित वर्ग के लोगों के लिए आंदोलन छेड़ा था। 1974 में जगदेव बाबू अरवल जिले के कुर्था में प्रदर्शन कर रहे थे। तभी गोली लगने से उनकी मौत हो गई। उनके समर्थकों का आरोप है कि पुलिस ने आंदोलन को दबाने के लिए जानबूझकर जगदेव बाबू की हत्या की। वहीं, पुलिस का कहना था कि आंदोलनकारी उग्र हो गए, पुलिस गोलीबारी में उनकी मौत नहीं हुई। हालांकि, इस केस की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है। अमित शाह से मिलने के बाद जगदेव बाबू के बेटे नागमणि ने इस मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की।
अटल सरकार में बने केंद्रीय राज्य मंत्री
नागमणि कुशवाहा ने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार दल बदले। उन्होंने बिहार की लगभग सभी पार्टियों के साथ या तो गठबंधन किया। या उन पार्टियों में शामिल रहे। लेकिन उन्हें पहली बड़ी सफलता 1999 में मिली जब वह अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में पहली बार सामाजिक न्याय विभाग के राज्य मंत्री बने।
नीतीश के लव-कुश वोट बैंक पर बीजेपी की नजर
बता दें कि भाजपा की नजर इस समय नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की अति पिछड़ा समाज के कुर्मी और कोइरी समाज के वोटरों पर है। राजनीतिक पंडित इसे लव कुश समीकरण भी कहते है। बिहार में इन मतदाताओं की संख्या करीब 12 फीसदी है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी लगातार नीतीश के वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।