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दुरुस्त आए : बायकाट बिकाऊ मीडिया 

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सुसंस्कृति परिहार

इंडिया गठबंधन ने गत दिनों 14पत्रकारों की लिस्ट जारी कर उनका वहिष्कार करने का निर्णय लिया है लोग कह रहे हैं ये देर से लिया निर्णय है लेकिन गठबंधन हुए अभी जुम्मा-जुम्मा चंद माह ही हुए हैं इसलिए लेटलतीफी नहीं कही जा सकती।इस निर्णय का स्वागत होना चाहिए। देश के लगभग अधिकांश चैनलों पर अडानी का दबदबा रहा है। इकलौता एक चैनल था एनडीटीवी।वह भी जब अडानी ने खरीद लिया तो ऐसा लगा लोकतंत्र का चौथा खंभा ही गिर गया हो। तमाम चैनल एक से बढ़ के एक सतत झूठ परोसते रहे वे मोदी भक्ति में डूबने उतराने लगे।एक पक्षीय ख़बरें ही जन जन तक जाती रहीं। हाल ही में  एनडीटीवी के ख़तरनाक खेल की पत्रकार सोहित मिश्रा ने अडानी के प्लान की जिस तरह पोल खोल दी है उससे  यह जाहिर होता है कि पत्रकार का उपयोग भी  माफियाओं की तरह हो सकता है। सरकारी रेडियो और दूरदर्शन ने तो निष्पक्षता का चोला बदल भगवा चोला पहन लिया।

इसका सबसे बड़ा सबूत राहुल गांधी की पिछले साल हुई जोड़ो जोड़ो भारत यात्रा है जिसका ज़िक्र भी इनकी जुबान पर नहीं आया।इस बीच सोशल मीडिया में आने वाले यू ट्यूब के ज़रिए देश के जाने-माने पत्रकार रवीश कुमार,अजित अंजुम,अभिसार शर्मा, पुण्य प्रसून जोशी,आरिफा खानम,प्रज्ञा सिंह जैसे कई जां बाज़ पत्रकार देश की हकीकत सामने लाते रहे।आज यदि कांग्रेस फर्श से अर्श पर पहुंची है तो इसमें इनका ही सबसे बड़ा अवदान है।सोशल मीडिया पर जागरुक लोगों ने भी महत्वपूर्ण सहभागिता निभाई।ऐसे मीडिया की भला तब विपक्ष को क्या ज़रुरत होगी। इसलिए यह एक ज़रुरी काम माना जाएगा।

अब उधर देखिए सूची में शामिल पत्रकारों को उतना मलाल नहीं  है जितना भाजपा  नेताओं और प्रवक्ताओं को हो रहा है भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संविद पात्रा ने आइएनडीआइए गुट के द्वारा 14 पत्रकारों के शो का बायकॉट करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस को मीडिया या किसी अन्य संस्थान से दूर रहने से कोई फायदा नहीं होगा। अगर पार्टी को फायदा चाहिए तो राहुल गांधी का बहिष्कार करें, क्योंकि उनमें अब कोई ताकत नहीं बची है।

तो जनाब जहां तक ताकत का सवाल है वह तो मोदी जी से पूछना चाहिए अभी हाल ही में आयोजित G20के बाद प्रेस कांफ्रेंस ना करने पर मोदी जी ताकत पर कितना बवाल मचा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने तो वियतनाम जाकर उनकी जितनी छीछालेदर की वैसी आज तक कभी शायद ही किसी की हुई है। प्रेस कांफ्रेंस का सामना करने की ताकत आपके मोदीजी के पास नहीं है जबकि वे संपूर्ण मीडिया को खरीदें हुए हैं।एक राहुल गांधी है जो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आपके मीडिया के बीच बोलता रहा।देशी विदेशी मीडिया का हमेशा सामना करता है मोदीजी की तरह दुम दबाकर भागता नहीं है। बताइए आज तक मोदीजी ने कितनी देश और विदेश में प्रेस कांफ्रेंस का सामना किया।ताकत तो यहां नहीं बची है संविद पात्रा जी।

 अहम् बात ये भी है कि ये निर्णय राहुल गांधी या कांग्रेस का नहीं है इंडिया गठबंधन का है जिसे मोदीजी घमंडिया या इंडी गठबंधन कह रहे हैं। इंडिया शब्द से इतनी नफ़रत उस व्यक्ति में जिसने मेक इन इंडिया से लेकर एक दर्जन योजनाएं बनाई हैं।अब इंडिया के इस फैसले से इन पत्रकारों  के नाथ मोदीजी बौखला गए हैं।खरीदी बेकार होती नज़र आ रही है।

देश में मात्र14की सूची से आम लोगों को तसल्ली नहीं है वे और भी ऐसे पत्रकारों को इस सूची में चाहते हैं शुक्र है कि बताया जा रहा कि दूसरी सूची भी बनकर तैयार है।होना तो यह भी चाहिए कि ऐसे तमाम चैनलों का संपूर्ण वहिष्कार हो।साथ ही साथ दिए जा रहे विज्ञापनों पर भी विराम लगे।तभी इन घमंडिया चैनलों और उनके मालिकों और उनके नाथ का घमंड चकनाचूर होगा।आज की सबसे बड़ी बात भाजपा ने कही है कि विपक्ष ने पत्रकारों का बायकॉट कर देश में इमरजेंसी लगा दी है।याद करिए उन दिनों को जब एनडीटीवी आपके हाथ में नहीं था और सत्तारूढ़ नेताओं ने उसका वहिष्कार किया था।

कुल मिलाकर चुनावों की दहलीज़ पर खड़े भारत में बिकाऊ मीडिया के खिलाफ उठाया यह कदम काबिले गौर है। इससे ख़तरे के जो संकेत एनडीटीवी से मिले हैं उन पर अंकुश लगेगा ।जय हो इंडिया।

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