डॉ. विकास मानव
ब्रम्ह-मुहूर्त का सुबह चार बजे उठने से कोई संबंध नहीं है! ब्रम्ह मुहूर्त रात को कितने बजे से शुरू होता है? और
ब्रम्ह मुहूर्त में उठने से आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से क्या-क्या लाभ होते हैं? समझिये इस लेख में.
ब्रम्ह मुहूर्त किसी समय से बंधा हुआ ही नहीं है! ब्रम्ह मुहूर्त का समय से कोई संबंध ही नहीं है! ब्रम्ह मुहूर्त समय की स्थिति पर नहीं- शरीर और चेतना की स्थिति पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति का ब्रम्ह मुहूर्त अलग-अलग समय में शुरू होता है। किसी एक व्यक्ति की कही गई बात या किसी एक व्यक्ति के एक नियत समय पर उठने को ब्रम्ह मुहूर्त नहीं कहा जा सकता है।
ब्रम्ह मुहूर्त शुरू होता है हमारी नींद के पूरा हो जाने के बाद। यदि नींद पूरी तरह से नहीं ली गई है तो ब्रम्ह मुहूर्त आएगा ही नहीं। ब्रम्ह मुहूर्त शुरू होता है अव-चेतन मन के सक्रिय होने के बाद। और अव-चेतन मन सक्रिय होता है गहरी नींद में जाने के बाद! यदि गहरी नींद नहीं आई है और अव-चेतन मन सक्रिय नहीं हुआ है तो फिर रात दो बजे उठें या चार बजे! ब्रम्ह मुहूर्त आएगा ही नहीं!
हम सुबह उठते हैं- सोच-विचार करने लगते हैं और दिन भर काम करते हैं तो हमारा चेतन मन सक्रिय रहता है। फिर रात को जब हम सो जाते हैं तो हमारा चेतन मन भी सो जाता है और अचेतन मन जाग जाता है।
जागते ही अचेतन हमें सपने दिखाने लगता है और हम सपनों में खो जाते हैं। फिर आधी रात के बाद जब हमारा शरीर गहरी नींद में प्रवेश करता है तब हमारा अव-चेतन मन सक्रिय हो जाता है और हम गहरी नींद में अव-चेतन मन में प्रवेश कर जाते हैं। अव-चेतन मन उर्जा का भंडार है जहां पर हमारे स्वप्न विलिन हो जाते हैं तो हम उर्जा से आपूरित होने लगते हैं। जैसे हम अपने वाहन में ईंधन डालते हैं ठीक उसी भांति गहरी नींद में जाने पर अव-चेतन मन हमारे शरीर में ऊर्जा डालता है!
यानि चेतन मन विचार करता है। अचेतन मन सपने दिखाता है और अव-चेतन मन हमें ऊर्जा देता है। अर्थात दिनभर काम करने में जो हमारी उर्जा खर्च होती है रात को गहरी नींद आने पर अव-चेतन मन से हमें पुनः उर्जा मिल जाती है और हम ताजगी अनुभव करते हैं।
यदि हमने दिन में काम नहीं किया है। मेहनत नहीं की है। पसीना नहीं बहाया है। शरीर को नहीं थकाया है तो रात को हम गहरी नींद में नहीं जा पाते हैं। और गहरी नींद में नहीं जा पाते हैं तो हमारा अव-चेतन मन सक्रिय नहीं हो पाता है और अव-चेतन मन सक्रिय नहीं होता है तो हमें ऊर्जा नहीं मिलती है और हम सारा दिन थकान और तनाव अनुभव करते हैं।
जब हमारा शरीर गहरी नींद में प्रवेश करता है और अव-चेतन मन सक्रिय होता है उस समय हमारे शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, गर्मी के मौसम में भी हमें ठंड लगने लगती है और हमें कंबल या रजाई ओढ़नी पड़ती है।
गहरी नींद में अव-चेतन मन के जागने का समय लगभग दो घंटे का होता और हर व्यक्ति का यह समय अलग अलग होता है। किसी व्यक्ति का दो बजे से चार बजे तक का होता है तो किसी का तीन से पांच बजे तक का होता है तो किसी का चार बजे से छः बजे तक का समय होता है। इन दो घंटों के लिए हम अवचेतन मन में चले जाते हैं जहां पर कोई विचार, कोई स्वप्न नहीं होते हैं, होता है एक गहन विश्राम, उस विश्राम में हमें ऊर्जा मिलती है और सुबह हम स्वस्थ व ताजा अनुभव करते हैं।
गहरी नींद में अवचेतन मन में प्रवेश करने वाले इन दो घंटों के बाद हम जब हम उठते हैं तो हमारा ब्रम्ह मुहूर्त शुरू हो जाता है। उस समय हमारे भीतर कोई विचार कोई स्वप्न नहीं होते हैं हम निर्विचार होते हैं, उर्जा से भरे हुए होते हैं और इस समय यदि हम ध्यान करते हैं तो हमारी ध्यान में गति स्वतः ही होने लगती है।
यदि हम इससे पहले उठ जाते हैं तो ब्रम्ह मुहूर्त में नहीं उठते हैं। यदि मेरा गहरी नींद में अव-चेतन मन में प्रवेश करने का समय तीन बजे से पांच बजे तक का है और मैं चार बजे उठ जाता हूँ तो मैं ब्रम्ह मुहूर्त में नहीं उठा हूँ, ब्रम्ह मुहूर्त के पहले उठ गया हूँ। क्योंकि मेरा ब्रम्ह मुहूर्त शुरू होता है पांच बजे के बाद।
अतः गहरी नींद से बाहर आने के बाद उठना ब्रम्ह मुहूर्त में उठना है।
गहरी नींद में अव-चेतन मन से उर्जा लेने के बाद जब हमारी नींद खुलती है तो वह समय हमारे लिए ब्रम्ह मुहूर्त है। और नींद स्वतः ही खुलती है, अलार्म लगाने की जरूरत ही नहीं होती है। अब हम ध्यान के लिए बैठ सकते हैं। यदि चार बजे हमारी नींद पूरी नहीं होती है तब हम चार बजे का अलार्म लगाकर उठते हैं तो हम ब्रम्ह मुहूर्त में बिल्कुल नहीं उठ रहे हैं। इसका हमारे आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तलों पर विपरीत प्रभाव होगा। हमारा ध्यान में प्रवेश करना तो दूर हम और भी तनाव और फ्रस्ट्रेशन का शिकार होने लगेंगे। अतः जब तक नींद पूरी नहीं होती है तब तक ब्रम्ह मुहूर्त को अनुभव नहीं किया जा सकता है।