डॉ. नीलम ज्योति
लाइफस्टाइल में आने वाले बदलाव शरीर में कई समस्याओं का कारण साबित होते है। उन्हीं में से एक है ब्रेन पेरालिसिस यानि स्ट्रोक। इस समस्या के चलते ब्रेन में रक्त का प्रवाह बाधित होने लगता है, जो ब्रेन सेल्स के नुकसान का कारण साबित होता है। आमतौर पर सर्दियों में इस समस्या के मामलों की गिनती बढ़ने लगती है। उच्च कोलेस्ट्रॉल, अल्कोहल का अत्यधिक सेवन और स्मोकिंग इसके मुख्य कारण साबित होते हैं।
*क्या है ब्रेन पेरालिसिस यानि स्ट्रोक?*
ब्रेन में ऑक्सीजन और ग्लूकोज की सप्लाई करने वाले ब्लड का सर्कुलेशन जब कम होने लगता है, तो ब्रेन पेरालिसिस का संकट बढ़ने लगता है। इससे ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचता है और हाथों पैरों में कमज़ोरी बढ़ने लगती है। इसके अलावा ब्रेन में किसी रक्त वाहिका के टूटने से होने वाले रिसाव के कारण भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे मस्तिष्क के टिशूज़ में ब्लड की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो पाती है।
ब्रेन से ही सभी सिग्नल बॉडी के लिए जनरेट होते है। अगर ब्रेन का कोई हिस्सा डैमेज हो जाता है, तो शरीर का वो हिस्सा भी डैमेज होने लगता है। हर फंक्शन का ब्रेन में एक सेंटर है और इसे काम करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। अगर ब्लीडिंग होती है, तो ब्रेन काम करना बंद कर देता है।
*ब्रेन पेरालिसिस के प्रकार :*
आंकड़ों के मुताबिक हर 40 सेकण्ड में 1 आदमी को ब्रेन स्ट्रोक यानि ब्रेन पेरालिसिस होता है और हर 4 मिनट में 1 व्यक्ति की मृत्यु होती है। इस समस्या से ग्रस्त होने पर केवल 1 फीसदी लोगों को ही समय पर सही इलाज की प्राप्ति होती है।
स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं इस्केमिक और हैमोरेजिक जिसे रक्तस्रावी भी कहा जाता है।
इस्केमिक स्ट्रोक उस स्थिति को कहते हैं जब ब्लड का क्लॉट अचानक ब्रेन में रक्त के प्रवाह को बाधित करने लगता है। ये स्ट्रोक का एक सामान्य प्रकार है, जिससे 85 फीसदी लोग ग्रस्त होते हैं।
हैमोरेजिक यानि रक्तस्रावी स्ट्रोक से केवल 15 फीसदी लोगों की मृत्यु के मामले देखने को मिलते है। इस समस्या से ग्रस्त होने पर ब्रेन में ब्लड की वेसल्स ब्रस्ट हो जाती हैं और ब्लीडिंग होने लगती है।
*क्या हैं ब्रेन पेरालिसिस के संकेत :*
~शरीर में सुन्नता महसूस होना और ~कमज़ोरी का बढ़ना
~सिर दर्द की समस्या का बढ़ना
~ब्रीदिंग प्रॉबल्म का बढ़ जाना
~बातचीत करने मे मुश्किल आना
~किसी काम पर फोकस न कर पाना
~व्यवहार में बदलाव महसूस होना
~धुंधला दिखाई देना
*सोसलमिडिया एडिक्शन भी जिम्मेदार :*
तनाव ग्रस्त लोगों के अलावा वे लोग जो मोबाईल का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं, उनमें भी इस समस्या का जोखिम बढ़ने लगता है।
मोबाईल के एडिक्शन के कारण लोग घंटों तक मोबाईल का इस्तेमाल करते हैं। ये समस्या ग्लोबल प्रोबल्म बनकर उभर रही है। लोग इसे महसूस करते हैं, मगर इसका बाहर नहीं आ पाते हैं। इसे ब्रेन पेरालिसिस कहा जाता है।
इससे बाहर आने के लिए पहले आंखों को झपकाएं। फिर जिस कार्य को करना है उसके बारे में सोचिए और फोन को खुद से दूर रखें। इसके बाद कुछ देर की वॉक करें, जिससे आप ब्रेन को पेरालिसिस अटैक से निकाल पाती है और वॉक की मदद से अलग नज़रिए की प्राप्ति होती है। इससे आप अपने सभी अधूरे कामों को पूरा कर सकती हैं।
*1. व्यायाम करें :*
नियमित रूप से व्यायाम करने से न केवल वेटलॉस में मदद मिलती है बल्कि ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित बना रहता है। ऐसे में सप्ताह में 5 दिन व्यायाम अवश्य करें। एक्सरसाइज़ करने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इससे ब्रेन हेल्थ को मज़बूती मिलती है।
*2. तनाव से दूर करें :*
काम का बढ़ता तनाव शरीर में डायबिटीज़ और हृदय रोगों का कारण साबित होता है। इससे आर्टरीज़ ब्लॉक होने लगती हैं और क्लॉट का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, तनाव से शरीर में एड्रेनालाईन का स्राव बढ़ने लगता है, जिससे खून के थक्के बनने लगते है। खुद के लिए समय निकालें और सेल्फ लव पर ध्यान दें।
*3. स्मोकिंग और अल्कोहल से बचें :*
धूम्रपान और अल्कोहल का इनटेक बढ़ने से शरीर में रक्तचाप का स्तर बढ़ने लगता है। साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। इससे रक्त के थक्के बनने की संभावना बढ़ने लगती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्मोकिंग से बचे। (चेतना विकास मिशन).
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