देशभर में ईद का त्योहार मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड और राजस्थान में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। पहली बार टेस्ला सीईओ एलन मस्क भारत आ रहे हैं। वह पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर काफी एक्साइटेड हैं।पहली बार भारत आएंगे टेस्ला सीईओ एलन मस्क, पीएम मोदी से मुलाकात को उत्सुक, आईपीएल में आज मुंबई इंडियंस और रॉयल चैंलेंजर्स बैंगलोर के बीच मुकाबला हो रहा है।
असम में बिहू की तैयारियों के साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां भी रफ्तार पकड़ रही हैं। महिलाओं में जैसा उत्साह इस समृद्ध लोक-उत्सव के प्रति है, वैसा चुनाव के प्रति अभी सतह पर भले न दिखे, लेकिन पहले दौर के मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ रंगत दिखने लगेगी। यह कहना है सोनितपुर की शिक्षिका कोकिला गोस्वामी का। वह कहती हैं, मामा (हिमंत बिस्व सरमा) की नाक नीचे नहीं होने देंगे।
हर महीने की दस तारीख आते ही असम की 26 लाख से ज्यादा महिलाओं के बैंक खातों में अरुणोदय योजना के तहत 1,250 रुपये जमा हो जाते हैं। बीते साल सरकार ने 2.23 लाख महिलाओं के छोटे कर्ज माफ किए। इससे पहले, नौ लाख महिलाओं के 1,600 करोड़ के कर्ज भी माफ किए जा चुके हैं। 39 लाख स्वयं सहायता समूह की सदस्यों और ग्रामीण उद्यमी महिलाओं को महिला उद्यमिता अभियान में 10,000 रुपये की मदद दी जा रही है। ये लाभ जो केंद्रीय योजनाओं के अतिरिक्त हैं, बताते हैं कि पूरे देश की तरह असम में भी भाजपा सरकार ने निजी लाभार्थियों का नया समूह खड़ा कर लिया है। यही भाजपा में नए मामा मुख्यमंत्री के उदय का आधार बना है। असम में सीएम हिमंत बिस्व सरमा की यह नई पहचान है। महिलाएं-बेटियां ही नहीं, अधिसंख्य युवा व बुजुर्ग भी उन्हें मामा के नाम से संबोधित करते हैं। नलबाड़ी के बुजुर्ग रामशरण दास से जब सवाल होता है कि वह तो आपके बेटे की उम्र के हैं? जवाब आता है, वह अब सबके मामा हैं।
इतना भर ही नहीं है। सालों तक परेशानी का बायस बने रहे बाहरी बनाम असमी मुसलमानों के विवाद के बीच, सरकार ने 2022 में पांच सह-मुस्लिम समूहों को स्थानीय का दर्जा दिया। उन्हें पूर्वी-बंगाल के प्रवासी मुसलमानों से अलग पहचान मिली है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे भाजपा को लोकसभा संग्राम-2024 में खासा लाभ मिलने का भरोसा है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिला मतदाताओं को लुभाने में भाजपा ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। यह बताता है कि भाजपा के लिए असम कितना महत्वपूर्ण है।
पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की 25 में से 14 लोकसभा सीट इसी असम में हैं। बीते आम चुनाव में भाजपा ने एनडीए के जरिये इनमें से 18 सीट पर कब्जा जमाया था। अब मुख्यमंत्री सरमा का दावा है, इस बार 22 सीट जीतेंगे। इनमें 16 भाजपा की होंगी।
भाजपा का दावा यह भी है। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और इंडिया-गठबंधन के बीच प्रवासी मुसलमानों के वोट बंटेंगे। फ्रंट ने पिछले चुनाव में बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में एक सीट जीती थी, तो एक-एक सीट एमएनएफ और निर्दलीय, जबकि चार सीटें कांग्रेस के पास गई थीं।
भाजपा मुसलमान मतदाताओं के एक वर्ग को लेकर आशान्वित भी है। हालांकि, बिस्व सरमा कहते हैं कि उन्हें बंगाली मुसलमानों के वोट नहीं चाहिए। अलबत्ता मुसलमान महिलाओं के 10% तक वोट मिलने की उम्मीद उन्हें भी है। बीते साल सीएए विरोध के बीच नेल्ली नरसंहार के 40 वर्ष पूरे हुए थे, तो वह मुद्दा बना था। इस बार, चुनावी वर्ष होने के बावजूद इसकी चर्चा नहीं है। मतदाताओं के बीच पीएम आवास योजना, स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, उज्ज्वला योजना पर ज्यादा बात हो रही है। बीते साल हुए परिसीमन के बाद यह पहला चुनाव है…जो भाजपा के लिए फायदेमंद दिख रहा है। सीएम बिस्व सरमा मानते हैं कि स्थानीय समुदायों को इससे निर्णायक राजनीतिक भूमिका मिलेगी।
परिसीमन का सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस के गौरव गोगोई को हुआ। उनकी कलियाबोर सीट ही खत्म हो गई। चुनाव लड़ने उन्हें जोरहाट जाना पड़ा। सिलचर सामान्य से एससी सीट हो गई। तेजपुर का नाम सोनितपुर कर दिया गया है। गुवाहाटी में भाजपा पहले से ही मजबूत थी, बाकी सीटों पर भी उसे मजबूती मिली है। डिब्रूगढ़ में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को कोई परेशानी नहीं है। हालांकि राज्य की सियासत में बदरुद्दीन अजमल अब भी असरदार बने हुए हैं।
मणिपुर: संघर्ष से बढ़ीं भाजपा की मुश्किलें
मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 3 मई, 2023 से शुरू हुए हिंसक संघर्ष ने भाजपा के लिए पूर्वोत्तर में चुनौती खड़ी की है। सुरक्षा बलों से लूटे गए 5,000 हथियार हिंसक संघर्ष को बढ़ा रहे हैं। हजारों परिवार विस्थापित हैं। कई लोगों के पास अपने पहचान पत्र नहीं हैं। वे मतदान को लेकर आश्वस्त भी नहीं हैं।
मणिपुर में राहुल गांधी दो बार आ चुके हैं। जिसका वोटर्स में सकारात्मक असर है। मतदान से पहले पीएम नरेंद्र मोदी भी दौरा कर सकते हैं। बाहरी सीट पर दो चरणों में मतदान होगा, जो पहली बार हो रहा है। भाजपा ने यह सीट सहयोगी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को दी है। जबकि, मणिपुर इनर सीट से केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह का टिकट काटकर राज्य में मंत्री बसंत सिंह को उतारा है।
मुक्त आवागमन व्यवस्था का अंत, असर मिलाजुला
मणिपुर हिंसा के बाद भारत-म्यांमार सीमा के आरपार मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को गृह मंत्रालय ने खत्म कर दिया। माना जा रहा है, इसका मणिपुर के साथ मिजोरम और नगालैंड की एक-एक लोकसभा सीट पर व्यापक असर हो सकता है। मणिपुर सरकार एफएमआर को उपद्रवियों और मादक पदार्थ तस्करों के लिए मददगार मानती थी, लेकिन कुकी संगठनों और मिजोरम-नगालैंड के कुछ संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है। नगालैंड में सर्वदलीय सरकार है। भाजपा ने यहां मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के दल नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के उम्मीदवार को उतारा है।
कुल सीट-2
2019 के नतीजे: भाजपा-1, एनपीएफ-1
असम: बड़े आंदोलनों की जन्मभूमि है ऊपरी असम
समृद्धि, राजनीति को किस तरह ललचाती है, इसकी मिसाल ऊपरी असम है। यह इलाका राज्य की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करता है। चाय बागान व तेल इस क्षेत्र की पहचान हैं। यह क्षेत्र कभी टिम्बर के कारोबार का गढ़ हुआ करता था। यहीं लखीमपुर, डिब्रूगढ़ और जोरहाट सीटें हैं। इसी इलाके में असमी अस्मिता बड़ा मुद्दा बना। मूल असमियों के साथ जनजातीय, टी ट्राइब्स, हिंदी भाषी, नेपाली और मारवाड़ी यहीं बसे हैं। यहां तीन बड़े आंदोलन हुए है। 1979-85 के बीच छात्र आंदोलन हुआ, उल्फा की हिंसा से प्रभावित क्षेत्र भी यही था और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में जबरदस्त आंदोलन भी इसी इलाके में हुआ।
आंदोलनों का चरित्र चुनावी सियासत से मेल नहीं खाता, लिहाजा पिछले विस चुनाव में सीएए विरोधी आंदोलन के बावजूद भाजपा ने वापसी की। सीएए का असर इसी इलाके में पड़ने के बावजूद आम चुनावों से पहले राज्य सरकार उग्र विरोध थामने में सफल रही। दूसरी तरफ, बराक घाटी क्षेत्र है, जहां बंगाली हावी हैं। असम आंदोलन का विरोध यहीं से हुआ। राज्य की सियासत में भाजपा की एंट्री भी यहीं से हुई। एनआरसी में कवर न हो पाने वाले करीब चार लाख हिंदुओं को सीएए से लाभ मिलने की उम्मीद है।
कुल सीट-14
2019 के नतीजे : भाजपा 9, कांग्रेस 3, AIUDF 1, अन्य 1
बांग्लाभाषी मुसलमानों का दबदबा घटेगा
राज्य में जो 1.26 लाख संदिग्ध मतदाता हैं, उनमें हिंदू बंगाली भी काफी हैं। सीएए उन इलाकों में लागू नहीं होगा, जहां छठे शेड्यूल की काउंसिल हैं। असम में कार्बी-आंग्लोंग, उत्तरी कछार हिल्स, बॉर्डर लैंड, प्रादेशिक काउंसिल सीएए से अप्रभावी रहेंगे। मिजोरम और मेघालय की तीन क्षेत्रीय परिषदें इससे बाहर हैं। नगालैंड, अरुणाचल, मणिपुर, त्रिपुरा व सिक्किम के एक हिस्से में ही सही, इसका असर जरूर होगा।
जम्मू-कश्मीर के बाद सर्वािधक करीब 34% मुसलमान असम में हैं। इनमें से 4 फीसदी ही असम के मूल निवासी हैं। बाकी बांग्लाभाषी मुसलमान हैं, जो बाहरी हैं और भाजपा विरोधी रहे हैं। एक समय वे कांग्रेस के साथ थे, अब बदरुद्दीन अजमल की पार्टी का आधार हैं। नगांव, बरपेटा, धुबरी, कलियाबोर व करीमगंज लोकसभा सीटों पर बंगाली मुसलमान निर्णायक हुआ करते थे। परिसीमन के बाद वे नगांव और धुबरी में सीमित रह गए, कुछ करीमगंज में समायोजित हो गए।
यह रोचक है, बरपेटा सीट पर जहां पूरी तरह बंगाली मुसलमान हार-जीत का फैसला करते थे, वहां इस बार गैर मुस्लिम प्रत्याशियों में मुख्य मुकाबला है। कांग्रेस पिछली बार बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के साथ गठबंधन में थी, तो तीन सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस बार गठबंधन ही नहीं हो पाया।
मेघालय : एनडीए ने सीएम संगमा को सौंपी कमान
यहां की दो सीटों, शिलांग व तुरा में कई दल आमने-सामने हैं। शिलांग में नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी), कांग्रेस, वॉइस ऑफ पीपल पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, हिल स्टेट पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी ने प्रत्याशी उतारे हैं। वाॅइस ऑफ पीपल पार्टी बाहरियों और हिंदी विरोध के मुद्दे पर पनपी है। उसके विधायकों ने सदन में हिंदी में अभिभाषण देने पर राज्यपाल से मूल प्रति छीन ली थी। भाजपा ने ये सीटें एनपीपी को दे दी हैं। एनपीपी ने दोनों पर महिला प्रत्याशी उतारे हैं। तुरा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा की परंपरागत सीट है, जो 1991 से संगमा परिवार के पास ही है। उनके बेटे कॉनराड संगमा सीएम हैं और सांसद बेटी अगाथा संगमा फिर किस्मत आजमा रही हैं। विरासत की दौड़ में अगाथा के सामने दोनों उम्मीदवार संगमा ही हैं। बीते चुनाव में, अगाथा से हारे पूर्व सीएम मुकुल संगमा ने भाई जेनिथ को तृणमूल से उतारा है। वहीं, कांग्रेस सालेंग संगमा के भरोसे है।
कुल सीट-2
2019: कांग्रेस-1, एनपीपी-1
अरुणाचल : कांग्रेस की चुनौती
अरुणाचल प्रदेश : पूरब और पश्चिम दो सीटें हैं। भाजपा के क्रमश: तापिर गाओ व केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू सांसद हैं। दोनों इस बार भी उम्मीदवार हैं। रिजिजू का सामना कांग्रेस के नबाम तुकी से और गाओ का कांग्रेस के ही बोसीराम सिरम से होगा। यहां विधानसभा चुनाव भी साथ ही हो रहे हैं, जिनमें भाजपा 10 सीटें पहले ही निर्विरोध जीत चुकी है।
नगालैंड: इकलौती सीट अभी भाजपा की सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के पास है। एनडीपीपी से डॉ. चुम्बेन मुरी और कांग्रेस से एसएस जमीर किस्मत आजमा रहे हैं।
मिजोरम: नई और सत्ताधारी पार्टी जोरम पीपल्स मूवमेंट ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने मिजो नेशनल फ्रंट को हराया था।
सिक्किम: इकलौती सीट सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के पास है। मोर्चा के इंद्रा हैंग सुब्बा फिर प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला भाजपा के दिनेशचंद्र नेपाल व सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रत्याशी से होगा। यहां भी विस चुनाव हो रहे हैं।
त्रिपुरा: भाजपा को विपक्ष का साथ
राज्य में दो लोकसभा सीटें हैं। 2019 में दोनों भाजपा के खाते में गई थीं। इस बार उसे प्रमुख विपक्षी दल टिपरा मोथा पार्टी का समर्थन है। इसका नेतृत्व त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा कर रहे हैं। वे त्रिपुरा की स्थानीय आबादी की पहचान, इतिहास, संस्कृति और भाषा का संरक्षण चाहते हैं। सामने कांग्रेस और माकपा गठबंधन है। दोनों एक-एक सीट आपस में बांट भाजपा और सहयोगियों का मुकाबला करेंगे। भाजपा ने यहां पूर्व सीएम विप्लव देब और पूर्व महारानी कृति सिंह देबबर्मा को अवसर दिया है।
विकास परियोजनाओं से बदल रही तस्वीर
भाजपा ने भरोसेमंद सहयोगियों के साथ दो दशक में पूर्वोत्तर में जनाधार खासा बढ़ाया है। 2004 व 2009 में जहां पार्टी के 4 सांसद थे, 2014 में दोगुने हुए और 2019 में 14 पर पहुंच गए। सहयोगी दलों के सांसदों के साथ एनडीए की ताकत 18 तक पहुंची है।
मणिपुर की नस्ली हिंसा ने जरूर देश को बेचैन किया। अलबत्ता संस्थागत उपेक्षा की समाप्ति के साथ विदेशी घुसपैठ, उग्रवाद, राज्यों के आपसी सीमा विवाद, सशस्त्र संघर्ष के दौर से पूर्वोत्तर के राज्य बाहर आए हैं। आधारभूत विकास परियोजनाओं से इन राज्यों की तस्वीर बदल रही है। दस वर्षों में 11 शांति समझौतों पर दस्तखत हुए हैं। यहां 2014 से अब तक 9,500 से अधिक विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण किया है। उग्रवाद की घटनाओं में भी 71% की कमी आई है।
बेशक, पीएम नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय जाता है। दस साल में पूर्वोत्तर को भारत का प्रवेशद्वार बनाने की सफल कहानी में दम है। कांग्रेस छोड़ भाजपा के चहेते बने नेता आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस की केंद्र सरकारों ने हमारी सरकारों को भ्रष्ट और कंगाल बनाने में कमी नहीं छोड़ी।
वे कहते हैं, केंद्र की मोदी सरकार ने विकास के लिए खजाने का मुंह खोल दिया है। पिछली सरकारों ने एक लाख 62 हजार करोड़ दिए, जबकि एनडीए सरकार 10 साल में चार लाख 15 हजार करोड़ दे चुकी है। पीएम मोदी कहते हैं कि पूर्वोत्तर न तो दिल्ली से दूर है और न ही दिल से। जाहिर है, यह चुनाव इन्हीं नजदीकियों का बड़ा इम्तिहान है।
ऑस्ट्रेलिया तक मची एलेक्सा गर्ल की धूम
मनोरंजन वाले गैजेट का बेमिसाल इस्तेमाल कर मासूम भांजी की जान बचाकर निकिता हर किसी की चहेती बन चुकी है। अब उसे लोग एलेक्सा गर्ल बुलाने लगे हैं। ऑस्ट्रेलिया तक से फोन पर उसे शाबाशी दी जा रही है। विभिन्न भाषाओं की प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में सुर्खियां बनी यह लड़की अब भी बेखबर है।अब उसे लोग एलेक्सा गर्ल बुलाने लगे हैं। ऑस्ट्रेलिया तक से फोन पर उसे शाबाशी दी जा रही है। विभिन्न भाषाओं की प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में सुर्खियां बनी यह लड़की अब भी बेखबर है।
बृहस्पतिवार शाम उसके घर पहुंचने पर वह बहन की बेटी वामिका को गोद में लेकर बंदर मामा पहन पजामा….गाते मिली। एलेक्सा गर्ल बोलने पर मुस्कुराती हुई अंदर चली गई। मासूम निकिता कहती है कि सब लोग पूछते हैं कि आगे क्या करोगी तो क्या बताऊं। बताती है कि उस दिन एलेक्सा वाला ट्रिक दिमाग में न आया होता तो जाने क्या हो जाता….।
शहर के आवास विकास कॉलोनी में अपनी बहन शिप्रा के घर पर तीन अप्रैल को हुए वाकये के कुछ दिन पहले से निकिता वहीं पर है। चार अप्रैल को अचानक ऐसा कुछ हुआ कि निकिता मानो स्टार बन गई। उसके जीजा पंकज ओझा बताते हैं कि निकिता, निक्की से एलेक्सा गर्ल बन गई। मीडिया में आने के बाद इसका हाव-भाव बदल गया है।
बचपन से नटखट निक्की उर्फ निकिता अब बड़ी-बड़ी बातें करने लगी है। हालांकि, उसकी दीदी शिप्रा बताती हैं कि निक्की बचपन से हाजिर जवाब है। पढ़ाई में औसत है और काॅमर्स की पढ़ाई करना चाहती है। उसके पिता धीरेंद्र पांडेय ने बताया कि अभी तो बेटी हाईस्कूल की परीक्षा दी है। आगे इसकी रुचि के हिसाब से पढ़ाएंगे। वह कहते हैं कि बेटी की इस होशियारी पर उन्हें नाज है।
न दीदी के घर आई होती न पड़ा होता बंदरों से पाला
निक्की बताती है कि यह सबकुछ अचानक होता चला गया। कहती है कि अगर दीदी के घर न आई होती और न बंदरोंं से पाला पड़ता। उसकी दीदी बताती हैं कि घर में वाईफाई लगा होने की वजह से एलेक्सा हमेशा ऑन मोड में रखा रहता है। जब भी किसी को कुछ मंत्र, भजन, गीत या बच्चों के कविताएं-श्लोक सुनने का मन हुआ तो वह उसे आवाज लगा लिया करता है। बच्चे अक्सर जानवरों की आवाज बुलवाकर खेलते रहते थे। निक्की ने उस दिन कमाल कर दिया।
अब्बास अंसारी की जेल में हत्या की जताई आशंका, BHT रिपोर्ट बताएगी मुख्तार को क्या दिया इलाज
बांदा जेल में बंद रहे माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब उसके परिजनों को जेल में बंद बेटे विधायक अब्बास अंसारी की जेल में हत्या कराने की आशंका जताई है। उसे कासगंज जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट करने के लिए अदालत में याचिका डालने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले परिजनों ने कई बार मुख्तार को जहर खिलाकर मरवाने की आशंका जताई थी। इसकी न्यायाधीश से जांच कराने की मांग भी की है।20 मार्च को मुख्तार के परिजनों ने उसे जेल में जहर दिए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद 26 मार्च को हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। इसके बाद देर शाम सीधे मंडलीय कारागार की बैरक में डाल दिया गया। दोबारा 28 मार्च को जब मुख्तार को मेडिकल कॉलेज लाया गया, तो उसे मृत घोषित कर दिया गया।
अधिवक्ता सौभाग्य मिश्रा के जरिए मुख्तार के बेटे उमर अंसारी ने अदालत में याचिका दायर कर 18 मार्च से लेकर 28 मार्च तक जेल में मुख्तार की दवा, भोजन, इलाज आदि की रिपोर्ट जेल से मांगी है। उन्होंने यह भी बताया कि उमर अंसारी के अनुसार जेल में बंद भाई अब्बास अंसारी को भी पिता की तरह प्रताड़ित किया जाता है। उसकी भी हत्या कराने की साजिश हो रही है। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से उसकी जेल बदल दी जाए।
जल्द ही अदालत में दाखिल की जाएगी याचिका
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कासगंज जेल में बंद अब्बास को उसके पिता मुख्तार की मौत के बाद फातिहा के लिए गांव जाने की छूट मिली है। 13 अप्रैल तक को अब्बास को गाजीपुर व आसपास की जेल में रखने के अदालत के आदेश हैं। उसकी जेल की बदली कराने के लिए याचिका तैयार कर ली गई है। जल्द ही अदालत में याचिका दाखिल की जाएगी।
बीएचटी रिपोर्ट बताएगी मुख्तार को क्या दिया इलाज
न्यायिक जांच टीम ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन से मुख्तार के बीएचटी (बेड हेड टिकट) तलब किए हैं। इसमें उसे 26 को भर्ती किए जाने से लेकर 28 की रात उसकी मौत तक किए गए इलाज का पूरा ब्यौरा दर्ज है। इसी से स्पष्ट हो सकेगा कि 26 मार्च को मुख्तार की हालत 14 घंटे के इलाज के बाद आखिरी इतनी ठीक कैसे हो गई कि उसे आईसीयू से किसी वार्ड अथवा जेल के अस्पताल में रेफर करने की जगह सीधे तन्हा बैरक भेज दिया गया।
मेडिकल कॉलेज तक पहुंची जांच
भेजते वक्त मुख्तार के साथ कौन-कौन सी दवाइयां भेजी गईं। उसके सेवन से उसकी हालत सुधरने की जगह दो दिनों में इतनी बिगड़ गई कि उसकी मौत हो गई। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की जांच अब मंडलीय कारागार से हो हुए मेडिकल कॉलेज तक पहुंच गई है। परिजन जेल में मुख्तार को जहर दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं।
इलाज में किसी तरह की लापरवाही तो नहीं हुई
लिहाजा न्यायिक जांच टीम ने दो-तीन बार जेल पहुंचकर जेल अधीक्षक समेत वहां पर इलाज करने वाले डॉक्टरों से पूछताछ की। अब टीम की जांच की सुई मेडिकल कॉलेज की ओर घूमी है। टीम देखना चाहती है कि माफिया के इलाज में किसी तरह की लापरवाही तो नहीं हुई।
मुख्तार को पूरे दिन आईसीयू में रखा गया
20 मार्च को मुख्तार के परिजनों ने उसे जेल में जहर दिए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद 26 मार्च को हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, जहां उसे पूरे दिन आईसीयू में रखा गया। इसके बाद देर शाम सीधे मंडलीय कारागार की बैरक में डाल दिया गया। दोबारा 28 मार्च को जब मुख्तार को मेडिकल कॉलेज लाया गया, तो उसे मृत घोषित कर दिया गया।
नहीं था कार्डियोलॉजिस्ट तो क्यों नहीं किया रेफर
जनपद में इस वक्त एक भी कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मानें तो मुख्तार को हार्ट अटैक जेल में ही पड़ने की आशंका जताई जा रही है। यदि ऐसा था तो उसे कानपुर, लखनऊ रेफर करने के बजाए मेडिकल कॉलेज क्यों ले जाया गया। इसकी भी जांच टीम के सदस्य करेंगे। अटैक पड़ने के बाद आखिर माफिया को कौन सी दवा और इंजेक्शन दिया गया। यह भी जांच के बिंदु में शामिल किया जा सकता है।
डॉक्टर बताएंगे 26 को कैसे फिट हुआ माफिया
मुख्तार के भाई अफजाल का आरोप है कि 26 मार्च को इलाज करने वाले तीनों डॉक्टरों ने उन्हें भाई के इलाज का भरोसा दिया था। इसके बाद वह भतीजे उमर के साथ लौट रहे थे, तभी पता लगा कि मुख्तार को जेल भेज दिया गया है। आखिर क्यों डॉक्टरों ने मुख्तार को फिट बताकर जेल भेजा था। इसके जवाब के लिए न्यायिक जांच टीम वहां मौजूद सर्जरी विभाग के डॉक्टर कुलदीप, आईसीयू इंचार्ज डॉ. सुशील के अलावा मेडिसन विभागाध्यक्ष से भी पूछताछ करेगी।
बंदी रक्षकों व वार्ड बॉय से भी होगी पूछताछ
मुख्तार की मौत के मामले में जांच टीमें जेल के बंदी रक्षकों व मेडिकल कॉलेज के वार्ड बॉय से भी पूछताछ कर सकती है। इसके अलावा प्रमुख डॉक्टरों के सहयोगी डॉक्टरों भी पूछताछ के घेरे में आ सकते हैं। वार्ड बॉय से भी पूरे इलाज और बंदी रक्षकों से मुख्तार के खानपान संबंधी सवाल किए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि प्रमुख डॉक्टरों के समेत लगभग 10-12 डॉक्टर मुख्तार की देखरेख में लगे थे।
ईद पर जेल में याद किया गया मुख्तार
गुरुवार को ईद के मौके पर जेल में सन्नाटा पसरा रहा। जब मुख्तार का जेल में रुतबा था, तब ईद पर मुख्तार की ओर से बंदियों की दावतें तक हुआ करती थी। सख्ती होने के बाद भी बंदियों को मिठाई व फल मुख्तार के परिवार की ओर से दिए जाते थे। मगर आज कोई मिठाई बांटने वाला नहीं था।
जल्द मिलेगा आयकर रिफंड, जब्त संपत्तियां भी होंगी वापस; अपील पर सुनवाई में तेजी की बन रही योजना
आप अगर टैक्स भरते हैं तो आपके लिए राहत की बात है। आयकर विभाग चालू वित्त वर्ष यानी 2024-25 से टीडीएस भुगतान और टैक्स से संबंधित अपील को जल्द-से-जल्द निपटाएगा। इससे आपको आयकर रिफंड भी जल्द मिल जाएगा। विभाग इसके लिए एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है, जिसे शीघ्र ही लागू किया जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग से कहा है कि ऐसी कार्ययोजना बनाएं, जिससे टैक्स से जुड़े संभावित मामलों की पहचान कर उसका तुरंत निपटान किया जाए। इस योजना में जब्त की गई संपत्ति को फिर से वापस करने के लिए एक तय समय सीमा होगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग से कहा है कि ऐसी कार्ययोजना बनाएं, जिससे टैक्स से जुड़े संभावित मामलों की पहचान कर उसका तुरंत निपटान किया जाए। इस योजना में जब्त की गई संपत्ति को फिर से वापस करने के लिए एक तय समय सीमा होगी। विभाग ने बताया कि ऐसी संपत्तियां 30 जून 2024 तक वापस कर दी जाएंगी। इसमें 31 मार्च, 2024 तक लंबित कंपाउंडिंग प्रस्तावों को अंतिम रूप देने और 30 जून तक कम-से-कम 150 अपीलों के निपटान का लक्ष्य रखा गया है।
एक अप्रैल, 2020 से पहले दायर अपीलों के निपटान को प्राथमिकता
विभाग ने बताया कि एक अप्रैल, 2020 से पहले दायर अपीलों के निपटान को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद एक अप्रैल, 2020 के बाद दायर अपीलों का निपटान किया जाएगा। यह फैसला प्रशासन दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ई-निवारण और सीपीजीआरएएम प्लेटफार्मों के माध्यम से शिकायतों के समाधान के लिए तत्काल उपाय शुरू किए गए हैं।
मूल्यांकन अधिकारी के समक्ष दाखिल कर सकते हैं मामला
आयकर विभाग के नए फैसले के तहत करदाताओं को अब लंबित रिफंड के लिए मूल्यांकन अधिकारी के समक्ष आवेदन दाखिल करना होगा। धारा 195/197/206सी के तहत शून्य/कम टीडीएस या टीसीएस प्रमाणपत्रों के आवेदनों के प्रसंस्करण में तेजी लाई जाएगी। एक अप्रैल, 2024 से आवेदन प्राप्ति के एक महीने के भीतर उनका समाधान कर दिया जाएगा।
n एकेएम ग्लोबल (साझेदार कर) संदीप सहगल का कहना है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपनी अंतरिम कार्ययोजना जारी की है। यह कर प्रशासन दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नाटो: मुख्य मकसद सदस्य देशों की सुरक्षा-स्वतंत्रता को सहेजना; इसका आधार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और जनादेश बने
अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के समक्ष यूरोप के कुछ देशों द्वारा गंभीर आलोचना और दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी आंदोलनों के प्रसार से निपटने की प्रमुख चुनौती है। इसलिए नाटो को 21वीं सदी में प्रासंगिक बने रहने के लिए सतर्क और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहे नाटो के लिए यह समय परीक्षा की घड़ी की तरह है, जिसे अपने सदस्य देशों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के मुख्य उद्देश्य की रक्षा करनी है, जो सैद्धांतिक रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और जनादेश पर आधारित होना चाहिए।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी आक्रामकता से निपटने के लिए इस संगठन में शामिल होने के अमेरिकी प्रस्ताव को भारत पहले ही ठुकरा चुका है, क्योंकि भारत ऐसी किसी भी परिस्थिति का सामना करने में खुद सक्षम है। इसलिए उसे नाटो की सहायता की जरूरत नहीं है। अगर भारत नाटो का हिस्सा बनता है, तो उसे अमेरिका को सैन्य अड्डा स्थापित करने की मंजूरी देनी होगी, जो अस्वीकार्य है। ऑस्ट्रेलिया, इस्राइल, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अमेरिकी सहयोगियों ने सैन्य अड्डे स्थापित करने की अनुमति दे दी है, लेकिन भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करने और वैश्विक जगत में अपनी स्थिति को कमजोर करने की अनुमति नहीं दे सकता है। भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए रूस के साथ वर्षों पुराने भरोसेमंद रिश्तों को खराब नहीं करेगा, जिसकी अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ यूक्रेन युद्ध के बाद संघर्ष जैसी स्थिति है। दरअसल अमेरिका की संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि चीन से सीमाओं की रक्षा करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में
चीनी आक्रामकता का सामना करने के लिए नाटो को मजबूत करना चाहिए।
नाटो में 32 सदस्य देश हैं। इसके अलावा पांच देश-जापान, न्यूजीलैंड, इस्राइल, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया भी इससे जुड़े हैं। इन सभी देशों को आपसी भरोसा और बेहतर सहयोग के लिए अपनी रक्षा क्षमता और सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाना चाहिए। दूसरा, नाटो की सैन्य क्षमता को अमेरिकी हथियार और औजार की तरह देखा जाता है, जिसका इस्तेमाल वह राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए करता है, भले ही उन देशों के ऊपर कोई सैन्य संकट न भी हो। दरअसल नाटो की स्थापना के इन 75 वर्षों में अमेरिकी सर्वोच्चता की धारणा को दूर करने की जरूरत महसूस की जा रही है। इस दौरान नाटो ने दुनिया भर में करीब 200 सैन्य हस्तक्षेप किए हैं, जिससे उसकी विश्वसनीयता खतरे में है। इनमें से बीस ऐसे मामले रहे, जिनके परिणाम संदिग्ध रहे, जैसे अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला, सीरिया में गैर-कानूनी हस्तक्षेप, इराक पर आक्रमण, यूगोस्लाविया पर बमबारी, लीबिया को बर्बाद करना और आईएसआईएस का निर्माण। तीसरा, नाटो के महासचिव लेंस स्टोलनबर्ग ने यूक्रेन को पांच वर्ष तक सैन्य सहायता देने के लिए 100 अरब डॉलर के सहायता पैकेज का प्रस्ताव रखा।
आशंका है कि यदि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप जीतते हैं, तो वे इस सहायता को रोक सकते हैं, क्योंकि वह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह अपने देश को इस तरह के संघर्षों से दूर रखना चाहते हैं। साथ ही उनको पुतिन समर्थक भी माना जाता है, जो नाटो को परेशान कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उक्त प्रस्ताव को आगामी वॉशिंगटन बैठक में मंजूरी मिल जाएगी, ताकि यूक्रेन में रूस की आक्रामकता का मुकाबला किया जा सके।
विदेश नीति के विशेषज्ञों का मानना है कि नाटो को अपने सहयोगियों को अपरंपरागत खतरों, जैसे आतंकी हमला, भ्रामक प्रचार अभियान, साइबर हमले, आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित करने के जोखिमों, आदि से बचाना होगा, अन्यथा यह अपनी साख और प्रभाव खो देगा। दूसरा, नाटो को व्यापक रणनीति अपनानी होगी और यह तभी होगा, जब वह अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों से खुद को जोड़ेगा। तीसरा, इसे ऐसा तंत्र बनाना चाहिए, जिससे सदस्य देशों के बीच परस्पर सहयोग और एकता की भावना बनी रहे। आम सहमति संगठन का मुख्य उद्देश्य होनी चाहिए, जो आपसी चर्चा, संवाद, एकीकृत योजना और राजनीतिक गठबंधन जैसे आवश्यक घटकों द्वारा निर्देशित हो। चौथा, इसकी पांच मुख्य नीति निर्माण समितियों के बीच समन्वय में सुधार के अलावा आपसी विश्वास और आंतरिक तालमेल बनाने के लिए पारदर्शिता अनिवार्य है।
संगठन की सफलताएं और विफलताएं साथ चलती हैं, लेकिन प्रमुख शक्तियों के बीच संघर्ष फैल रहा है और भविष्य में मुठभेड़ें हो सकती हैं, जिसका कारण राज्य की बढ़ती कमजोरी और खतरों का फैलना है, जिससे विश्व व्यवस्था में गड़बड़ी हो सकती है। वैश्विक जोखिम रिपोर्ट ने वैश्विक जोखिम धारणा सर्वेक्षण (जीआरपीएस) के निष्कर्षों को 1,500 वैश्विक विशेषज्ञों के विश्लेषण के रूप में पेश किया है, जिन्होंने मौजूदा संकटों को संतुलित करने के लिए जिम्मेदार निर्णयों के पीछे के मस्तिष्क का समर्थन करने के लिए वैश्विक जोखिमों और दीर्घकालिक नीतियों के साथ-साथ प्राथमिकताओं की भी जांच की है।
नाटो की प्रमुख विफलताओं में से एक सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों द्वारा 2006 में सुरक्षा संबंधी व्यय के लिए सहमति के बावजूद जीडीपी के दो फीसदी धन का आवंटन न होना है, खासकर तब, जब अमेरिका गठबंधन के खर्च का दो तिहाई हिस्सा लेता है, जिसे संगठन के अन्य देशों द्वारा साझा किया जाना चाहिए। नाटो ने शीत युद्ध के दौरान साम्यवाद को प्रतिबंधित करने, उग्र राष्ट्रवाद को खत्म करने और सोवियत संघ को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया था। लेकिन अब शीतयुद्ध के बाद स्थिति अस्थिर हो गई है, क्योंकि रूस पड़ोसियों पर कब्जा कर रहा है, जो अन्य छोटे देशों के लिए खतरा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहे नाटो के लिए यह समय परीक्षा की घड़ी की तरह है, जिसे अपने सदस्य देशों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के मुख्य उद्देश्य की रक्षा करनी है, जो सैद्धांतिक रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और जनादेश पर आधारित होना चाहिए। लेकिन ट्रंप यदि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतते हैं, तो यह नाटो के अस्तित्व के लिए खतरनाक होगा। इससे पुतिन जैसे आक्रामकों को प्रोत्साहन मिलेगा और भविष्य में ताइवान पर कब्जा करने की चीन की अति महत्वाकांक्षी विस्तार नीति को बढ़ावा मिलेगा। डोनाल्ड ट्रंप पुतिन को यूक्रेन पर हमले जारी रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जो यूरोप की सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।
भारत से चीन को 90 प्रमुख उत्पादों का निर्यात बढ़ा, वाणिज्य मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
चीन को निर्यात की जाने वाली कुल 161 वस्तुओं में से करीब 90 प्रमुख उत्पादों का निर्यात पिछले साल बढ़ा है। इनमें दूरसंचार उपकरण, लौह अयस्क और इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे आदि शामिल हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत से चीन को निर्यात होने वाली कुल वस्तुओं में से इन 90 उत्पादों की हिस्सेदारी 67.7 फीसदी है। हालांकि, शेष 32.3 फीसदी हिस्सेदारी वाली बाकी 71 वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत से चीन को निर्यात होने वाली कुल वस्तुओं में से इन 90 उत्पादों की हिस्सेदारी 67.7 फीसदी है। हालांकि, शेष 32.3 फीसदी हिस्सेदारी वाली बाकी 71 वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है।
भारत का चीन को दूरसंचार उपकरणों का निर्यात 2023 में 46.45 फीसदी बढ़कर 24.75 करोड़ डॉलर पहुंच गया। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्यात 6.75 फीसदी बढ़कर 15.65 करोड़ डॉलर पहुंच गया।
चार स्तरों पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक वृद्धिभारत का चीन को निर्यात चार कमोडिटी स्तरों में पिछले साल 10 करोड़ डॉलर से अधिक बढ़ा है। ये कमोडिटी हैं…लौह अयस्क (216.8 फीसदी बढ़कर 3.33 अरब डॉलर), सूती धागा (542.6 फीसदी बढ़कर 61.11 करोड़ डॉलर), मसाले (19.4 फीसदी बढ़कर 13.22 करोड़ डॉलर) व प्रसंस्कृत खनिज (174.19 फीसदी बढ़कर 12.9 करोड़ डालर)।
दिल्ली में कन्हैया, संदीप और उदित पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, आज आ सकती है सूची
कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली की अपने हिस्से की तीनों सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम तकरीबन तय कर लिए हैं। इसमें उत्तर पूर्व दिल्ली क्षेत्र से जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार, चांदनी चौक क्षेत्र से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित व उत्तर- पश्चिम दिल्ली क्षेत्र से पूर्व सांसद उदित राज के नाम शामिल हैं। संभवत: शुक्रवार को उम्मीदवारों की सूची जारी हो सकती है। इसमें उत्तर पूर्व दिल्ली क्षेत्र से जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार, चांदनी चौक क्षेत्र से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित व उत्तर- पश्चिम दिल्ली क्षेत्र से पूर्व सांसद उदित राज के नाम शामिल हैं। संभवत: शुक्रवार को उम्मीदवारों की सूची जारी हो सकती है।
उधर, सूत्र बताते हैं कि अब भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का एक खेमा सूची में शामिल उम्मीदवारों के नामों से सहमत नहीं है। इनकी कोशिश सूची में बदलाव करवाने की है। सूत्रों के अनुसार उत्तर-पूर्व दिल्ली क्षेत्र से कन्हैया कुमार के नाम की प्रदेश कांग्रेस ने कभी भी सिफारिश नहीं की थी। पहले कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी उनको बिहार से चुनाव लड़वाना चाह रहा है,लेकिन बिहार में कांग्रेस का सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल इससे सहमत नहीं हुआ। ऐसे में कन्हैया कुमार को वहां से नहीं उतारा जा सका। अब पार्टी इनको उत्तर-पूर्व दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव लड़ाने जा रही है।
इस क्षेत्र से भाजपा ने लगातार तीसरी बार अपने पूर्वांचली नेता मनोज तिवारी को टिकट दिया है। कांग्रेस का मानना है कि कन्हैया कुमार को दिल्ली में रह रहे पूर्वांचली ही नहीं, बल्कि दिल्ली के तमाम लोग जानते है। इस कारण वह मनोज तिवारी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस ने इस क्षेत्र से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार व प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चतर सिंह के नाम भेजे थे। कांग्रेस आलाकमान ने उत्तर-पूर्व दिल्ली क्षेत्र से कन्हैया कुमार का नाम तय करने के कारण पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को चांदनी चौक क्षेत्र से चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस ने इस क्षेत्र से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल व पूर्व विधायक अलका लांबा के नाम की सिफारिश की थी। जयप्रकाश अग्रवाल इस क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके है, जबकि लांबा इस क्षेत्र से एक बार विधायक चुनी जा चुकी है। संदीप दीक्षित पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से दो बार सांसद चुने गए थे।
कांग्रेस आलाकमान ने उत्तर- पश्चिम दिल्ली से उदित राज के नाम पर मुहर लगाई है। प्रदेश कांग्रेस ने इस क्षेत्र से उनके नाम के साथ-साथ पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान व पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार का नाम भेजा था। हाल ही में उदित राज को हरियाणा के अंबाला से टिकट देेनेे की भी चर्चा शुरू हुई थी।
प्रदेश कांग्रेस का एक खेमा उम्मीदवारों के नामों से सहमत नहीं
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस का एक खेमा तीनों क्षेत्रों के लिए तय किए गए उम्मीदवारों के नामों को लेकर असहमत है। उसने आलाकमान का अवगत कराया है कि ये तीनों उम्मीदवार चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है। इस खेमे ने तीनों क्षेत्रों में इलाके के नेताओं के साथ-साथ इलाके की वस्तुस्थिति का तवज्जो देने की मांग की है। इस खेमे ने उत्तर पूर्व दिल्ली क्षेत्र से संदीप दीक्षित, चौ. अनिल चौधरी व चतर सिंह, चांदनी चौक से जयप्रकाश अग्रवाल और उत्तर पश्चिम दिल्ली क्षेत्र से राजकुमार चौहान व सुरेंद्र कुमार में से टिकट देने पर जोर दिया है।
समझौते में मिली तीन सीटों पर चली लंबी रस्साकशी
दिल्ली में कांग्रेस और आप मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। समझौते में चार सीटें आप और तीन सीटें कांग्रेस के खाते में आई हैं। समझौते के तुरत बाद करीब डेढ़ महीने पहले आप ने अपने चारों सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया। वहीं, भाजपा के सातों प्रत्याशी मैदान में हैं। आप और भाजपा ने अपने-अपने स्तर पर चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है, लेकिन कांग्रेस अभी तक उम्मीदवारों के नाम भी तय नहीं सकी। सूत्र बताते हैं कि इसकी बड़ी वजह प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी और पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की कई बैठकों के बाद भी सहमति नही बन सकी थी। उम्मीदवारों के नामों के लेकर दोनों स्तर पर मतभेद था। प्रदेश कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, चांदनी चौक सीट से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल एवं उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान का नाम प्रस्तावित किया था,जबकि सीईसी के स्तर पर कन्हैया कुमार, चांदनी चौक सीट से संदीप दीक्षित और उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से उदित राज का नाम रख दिया गया। सूत्रों की मानें तो प्रदेश के एक खेमे के विरोध के बावजूद भी कांग्रेस आलाकमान ने फिलवक्त स्थिति का साफ कर दी है।
US की अपील- ईरान पर दबाव बनाएं चीन, सऊदी-तुर्की और यूरोपीय देश; त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास करेंगे तीन देश
ब्रिटेन, अमेरिका और जापान की सेनाएं 2025 से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियमित त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास करेंगे। इसका मकसद क्षेत्र में सुरक्षा की मजबूत करना और तीनों सेनाओं के सशस्त्र बलों की एक साथ काम करने की क्षमता को बढ़ाना होगा। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में यह बात कही।
बयान में भारत सहित क्षेत्र के देशों के बढ़ते आर्थिक संबंधों के चलते हिंद-प्रशांत को ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण बताया गया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन पहले से ही इस क्षेत्र में पहले से ही विभिन्न अभ्यास आयोजित कर रहा है। जिसमें एचएमएस स्पाई और एचएमएस तामार (रॉयल नेवी के गश्ती जहाज) लगातार तैनात हैं।
इस अभ्यास को लेकर ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने कहा, तेजी से अस्थिर होती दुनिया में लोकतंत्र और आजादी की रक्षा रने के लिए अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ एकजुट रहना जरूरी है। उन्होंने कहा, साझा अभ्यास करने से नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने वाले किसी भी देश को कड़ा संदेश जाता है कि हमारे रक्षा संबंध किसी दूरी तक सीमित नहीं हैं और हम दुनियाभर में किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, एक सुरक्षित और स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र हमारी सामूहिक सुरक्षा के लिए जरूरी है, जो मुक्त, बाधारहित व्यापार और यात्रा की अनुमति देता है। जापान और अमेरिका के साथ हमारी साझेदारी इस क्षेत्र के लिए हमारी प्रतिबद्धता को और ज्यादा बल देती है।
पाकिस्तान: खैबर पख्तूनख्वा में मारे गए 42 पुलिसकर्मी
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में वर्ष 2024 में आतंकवादी हमलों में 42 पुलिसकर्मी मारे गए हैं। वहीं, इसी अवधि के दौरान पुलिस ने विभिन्न अभियानों में 88 आतंकवादियों को मार गिराया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पुलिस प्रमुख अख्तर हयात खान गंडापुर ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने इस साल विभिन्न अभियानों में 88 आतंकवादियों को मार गिराया। उन्होंने कहा कि जनवरी 2024 से अब तक प्रांत में आतंकवाद का मुकाबला करते हुए 42 पुलिसकर्मी मारे गए। उन्होंने कहा कि देश में हालिया आतंकवादी घटनाओं के केंद्र रहे डेरा इस्माइल खान, लक्की मारवात और टेंक सहित दक्षिणी जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है।
अमेरिका ने इस्राइल पर ईरान के हमले को रोकने की पहल की
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (फाइल) – फोटो : Agency
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने चीनी समकक्ष से ईरान पर दबाव बनाने की अपील की है। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री के अलावा तुर्की, सऊदी अरब और यूरोपीय देशों के शीर्ष राजनयिकों से भी अपील की है कि ईरान को इस बात के लिए राजी किया जाए कि वह इस्राइल पर हमले नहीं करेगा। यह जानकारी समाचार एजेंसी एएफपी ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के हवाले से दी।
अमेरिका-जापान और फिलीपीन का संयुक्त सम्मेलन; बाइडन ने समर्थन का एलान किया
अंतरराष्ट्रीय जगत की एक अन्य अहम मीडिया रिपोर्ट में अमेरिका और फिलीपीन के रिश्तों से जुड़ी खबर सामने आई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में वे फिलीपीन पर होने वाले हर हमले को रोकने को तैयार हैं। उन्होंने यह बयान जापान और फिलीपीन से साथ पहले संयुक्त सम्मेलन के बाद दिया। बाइडन ने चीन के बढ़ते दबदबे के बीच फिलीपींस के अलावा जापान का साथ देने का भी एलान किया।
अमेरिकी लीडरशिप को जापान के पीएम ने जरूरी बताया
जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने अमेरिकियों से अपने ‘आत्म-संदेह’ (Self-Doubt) पर काबू पाने का आह्वान किया है। उन्होंने कटु रूप से विभाजित कांग्रेस के समक्ष अमेरिकी वैश्विक नेतृत्व के लिए प्रार्थना की। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार जापान के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अमेरिका का नेतृत्व अपरिहार्य है।’
रूस के सुदूर पूर्वी इलाके में हेवी लिफ्ट रॉकेट में ब्लास्ट
रूस के सुदूर पूर्वी इलाके में हेवी लिफ्ट रॉकेट में ब्लास्ट होने की खबर है। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक दो बार प्रक्षेपण असफल रहने के बाद जब रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजा गया तो इसमें धमाका हो गया और अंतरिक्ष में ही रॉकेट के परखच्चे उड़ गए।
उत्तर मुंबई से कांग्रेस को नहीं मिल रहा उम्मीदवार
उत्तर मुंबई लोकसभा सीट कांग्रेस के गले पड़ गई है। पार्टी को वहां से उम्मीदवार ही नहीं मिल रहा है। कांग्रेस अब भी कोशिश कर रही है कि यह सीट वह उद्धव सेना को दे दे और इसके एवज में वह दक्षिण मध्य मुंबई लोकसभा चुनाव क्षेत्र ले ले, क्योंकि उद्धव ठाकरे के पास वहां से विनोद घोसालकर जैसा स्थानीय तगड़ा उम्मीदवार है। महाविकास आघाडी के सीट बंटवारे में उत्तर मुंबई सीट कांग्रेस कोटे में गई है। हालांकि, शुरू से ही कांग्रेस यह सीट लेने को तैयार नहीं थी, लेकिन उद्धव सेना और शरद पवार ने उत्तर मुंबई सीट कांग्रेस के गले में डाल दी। अब वह कांग्रेस के गले की फांस बन गई है। खबर है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने उद्धव सेना के विनोद घोसालकर से पंजे के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने अपील की। हालांकि, उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह चुनाव लड़ेंगे, तो शिवसेना (यूबीटी) के चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल पर ही लड़ेंगे, अन्यथा वे कांग्रेस उम्मीदवार के लिए काम करेंगे।
उम्मीदवार न मिलने पर कांग्रेस पार्टी ने उर्मिला मातोंडकर और गोविंदा से संपर्क किया, लेकिन गोविंदा ने साफ मना कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से कहा कि वे अब शिंदे सेना के हो गए हैं, इसलिए कांग्रेस से चुनाव लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता। कांग्रेस उद्धव ठाकरे के माध्यम से घोसालकर पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
हारी थीं उर्मिला मांतोंडकर
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उर्मिला मातोंडकर को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उर्मिला को बीजेपी के गोपाल शेट्टी ने 4,65,247 मतों के अंदर से हरा दिया था। चुनाव में शेट्टी को 7,06,678 वोट मिले थे, जबकि उर्मिला को 2,41,431 वोट ही मिले।
भारी भरकम पराजय के लिए उर्मिला ने कांग्रेस नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था। आगे चलकर उर्मिला और कांग्रेस नेताओं के बीच अनबन इतनी बढ़ गई कि उन्होंने कांग्रेस ही छोड़ दी और उद्धव सेना में शामिल हो गई। अब कांग्रेस एक बार फिर उर्मिला को उम्मीदवार बनाना चाहती है, हालांकि उनके अलावा कांग्रेस और भी कुछ चेहरे तलाश कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी की रैली के मद्देनजर उधमपुर में सुरक्षा कड़ी की गई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को उधमपुर में चुनाव प्रचार करेंगे और इसके लिए ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध सहित सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये जा रहे हैं। मोदी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के लिए प्रचार करेंगे। सिंह चुनाव के पहले चरण में जम्मू-कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को उधमपुर में एक रैली को संबोधित करेंगे और सुरक्षा एजेंसियों ने खतरे की आशंका के मद्देनजर रैली में शामिल होने वाले लोगों और सुरक्षा कर्मियों के लिए परामर्श और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। अधिकारियों ने बताया कि मोदी शुक्रवार सुबह बट्टल बलियान इलाके में एक रैली को संबोधित करने के लिए उधमपुर पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि रैली के लिए बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
धन की कमी के कारण कांग्रेस को उम्मीदवारों का समर्थन करने में दिक्कत हो रही है : जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों का समर्थन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी मुख्य वजह केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट है। उन्होंने कहा कि पार्टी चुनाव में बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी और विपक्षी गठबंधन उसकी प्रगति को बाधित करने के सभी प्रयासों के बावजूद स्पष्ट और ठोस बहुमत हासिल होगा। रमेश ने कहा हमारे लिए समस्याएं पैदा करने की कोशिश की गई है। आयकर विभाग ने 2018-19 के लिए 210 करोड़ रुपये की कर मांग पर फरवरी में कांग्रेस के चार प्रमुख बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी थी।
बसपा ने अपने आदर्श वाक्य ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ में बदलाव कर ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ किया
लोकसभा चुनाव के बीच पार्टी के रुख में बदलाव का संकेत देते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के अपने आदर्श वाक्य को बदलकर ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ कर दिया है जो पार्टी के अपनी जड़ों की तरफ लौटने का स्पष्ट संकेत है। बसपा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में पार्टी अध्यक्ष मायावती की गुरुवार को नागपुर (महाराष्ट्र) में होने वाली चुनावी सभाओं की जानकारी देते हुए बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय आदर्श वाक्य का इस्तेमाल किया गया। पिछले चुनाव तक बसपा के पैड, बैनर और पोस्टरों में ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ लिखा होता था।
दिल्ली की अदालत ने 2020 में हुए दंगे के 11 आरोपियों को बरी किया
राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने वर्ष 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल 11 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी ‘संदेह के लाभ’ के हकदार हैं क्योंकि उनके खिलाफ आरोप ”उचित संदेह से परे” साबित नहीं हुए।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने इन 11 आरोपियों के खिलाफ एक मुकदमे की सुनवाई की जिनपर दंगे के दौरान 24 फरवरी 2020 को गंगा विहार में एक संपत्ति को आग लगाने और चोरी करने वाले समूह में शामिल होने का आरोप था। न्यायाधीश ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा, ”मैंने पाया कि इस मामले में आरोपी व्यक्तियों पर लगाए गये आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं किया जा सका, जिसकी वजह से ये सभी संदेह के लाभ हकदार हैं। इसलिए आरोपी व्यक्तियों को उनपर लगे आरोपों से बरी किया जाता है।
महेंद्रगढ़ बस हादसा: गाड़ी में नहीं मिले पूरे कागजात, स्कूल के खिलाफ होगी कार्रवाई
मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टॉयलेट में मिला 2 करोड़ का गोल्ड
मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टॉयलेट में मिले 2 करोड़ कीमत का गोल्ड मिला है। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में से एक महिला रूबिना ने बताया कि उसे इन गोल्ड को एयरपोर्ट के बाहर लाने और गोल्ड तस्कर को देने के बदले में 20 हजार रुपए मिलते थे।
बसपा छोड़ने वाले मलूक नागर ने क्या-क्या कहा?
पूर्व बसपा नेता मलूक नागर ने राष्ट्रीय लोक दल में शामिल होने पर कहा कि साल 2006 से मैं बसपा में हूं। यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड है क्योंकि 18 साल तक बसपा में कोई और नहीं टिका। बसपा में एक-डेढ़ योजना में लोग या तो पार्टी से निकाल दिए जाते हैं या तो पार्टी छोड़कर चले जाते हैं। 2022 में मैंने विधायक चुनाव नहीं लड़ा, 2024 में सांसद चुनाव भी नहीं लड़ा। घर में बैठकर देश के लिए काम ना करें, ये ठीक नहीं था।
अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार बर्खास्त, विजिलेंस विभाग का ऐक्शन
गुरुवार सुबह दिल्ली के सतर्कता निदेशालय (डीओवी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार को बर्खास्त कर दिया है। विशेष सचिव सतर्कता वाई. वी. वी. जे. राजशेखर ने उनके खिलाफ 2007 के एक लंबित मामले का हवाला देते हुए आदेश पारित किया। आदेश में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकरण इसके द्वारा केंद्रीय सिविल सेवा (अस्थायी सेवा) नियम, 1965 के नियम 5 के प्रावधानों के संदर्भ में बिभव कुमार की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर देता है।