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ब्रेकिंग समाचार – लोकसभा चुनाव: पहले चरण के लिए आज से नामांकन,कांग्रेस ने तय किए 40 और नाम, आज  तीसरी सूची,

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से नागरिकता संशोधन नियम- 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।इस दौरान कोर्ट ने केन्द्र से इन आवेदनों पर तीन सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है।पशुपति पारस का केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा, भाजपा पर नाइंसाफी का आरोप लगाया,मोदी सरकार की गारंटी का वही हश्र होगा जो ‘इंडिया शाइनिंग’ नारे का हुआ था : खरगे,पतंजलि विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव, बालकृष्ण से उसके समक्ष पेश होने को कहा, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नहीं करके उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के साथ नाइंसाफी कर रही है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तमिलनाडु दौरे से पहले मंगलवार को दावा किया कि उन्होंने दक्षिण भारत के इस राज्य की ओर बहुत कम ध्यान दिया है।महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले में मंगलवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ में चार नक्सली मारे गए।

आज से पहले फेज के लिए नामांकन शुरू

 लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के लिए नामांकन आज से शुरू हो रहे हैं। बिहार को छोड़कर पहले चरण के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 27 मार्च है, जबकि बिहार में 28 मार्च तक नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है। इसमें तमिलनाडु की सभी 39 सीटों के साथ उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर भी मतदान हो जाएगा। नॉर्थ ईस्ट के छह राज्यों में भी इसी दिन लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इन छह राज्यों को मिलाकर लोकसभा की कुल 9 सीट हैं। हालांकि, मणिपुर की एक सीट पर दो चरणों में मतदान हो रहा है। राज्य में सुरक्षा व्यवस्था की वजह से यह फैसला हुआ है। मणिपुर में दो सीटें हैं मणिपुर आंतरिक और मणिपुर बाहरी। इसमें मणिपुर बाहरी सीट पर 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को मतदान होगा।तमिलनाडु में मोदी रथ को रोकने के लिए I.N.D.I.A. ने कसी कमर

बीजेपी और पीएम मोदी दक्षिण भारत के द्वार तमिलनाडु में पैर जमाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने सेलम में एक रैली की है। दूसरी ओर I.N.D.I.A. गठबंधन राज्य में मोदी के विजय रथ को रोकने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। प्रदेश में 19 अप्रैल को सभी 39 सीटों और केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी की एक सीट पर वोटिंग होनी है। चुनाव के लिए I.N.D.I.A. गठबंधन और एनडीए अपने पक्ष में वोटर्स को लुभाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। एक ओर I.N.D.I.A. गठबंधन के बीच सीटों का तालमेल हो गया है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए में सीट बंटवारे पर बात चल रही है। माना जा रहा है कि दलित राजनीति का बड़े पैरोकार तमिलनाडु में बीजेपी के उग्र हिंदुत्व और हिंदी के प्रति लगाव के चलते पार्टी को जगह बनाने में खासी मशक्कत करनी होगी। इस चुनाव में ये तमाम चीजें मुद्दा बनेंगी।

I.N.D.I.A. गठबंधन

पिछली बार डीएमके ने 39 में से 24 सीटें जीती थीं, जबकि पुद्दुचेरी मिलाकर नौ सीटें कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम ने दो-दो, वीसीके और आईयूएमल ने एक-एक और एआईडीएमके ने एक सीट जीती थी। इस बार I.N.D.I.A. गठबंधन में सीटों के तालमेल में 21 सीटों पर डीएमके, पुद्दुचेरी मिलाकर 10 सीटों पर कांग्रेस, सीपीआई (मदुरई और दिंडीगल), सीपीएम (नागपट्टनम और तिरुपुर) और वीसीके (चिदंबरम और विल्लुपुरम) को दो-दो सीटें, वायको की पार्टी एमडीएमके (त्रिचनापल्ली) और आईयूएमल (रामनाथपुरम) को एक-एक सीट दी गई है। कांगु वेल्ला गौंडर समुदाय पर आधारित केएमके को (नमक्कल) की सीट दी गई है। पिछड़े समुदाय में आने वाले तबके की राज्य की कुल आबादी में में 8 से 9 फीसदी की हिस्सेदारी है। कोयंबटूर इलाके में इसका खासा प्रभाव है। वहीं पिछली बार की अपेक्षा कांग्रेस की तीन सीटें बदली गई हैं। उनसे त्रिचनापल्ली, तेनी और आर्णी की सीट लेकर उसे तिरुनेल्वेली, कड्डलोर, मयलादुथुरई की सीट दी गई है। वायको की पार्टी को पिछली बार सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार उन्होंने एक सीट ली है और बदले में एक राज्यसभा मांगी है। इस खेमे में कमलहासन की एमएनएम भी है, लेकिन कमल हसन ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। इसकी जगह वह भी राज्यसभा चाह रहे हैं।

NDA गठबंधन

बीजेपी ने हाल ही में पीएमके के साथ तालमेल को अंतिम रूप दिया है, इनको 10 सीट देने की बात है। एनडीए का तालमेल पूरा नहीं हुआ है। एनडीए में जीके वॉसन की पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस, आईजीके, ए.सी. षणमुगम की एमजीआर एआईडीएमके और एआईडीएमके के ओ पनीरसेल्वम यानी OPS धड़े से बात चल रही है। जयललिता के निधन के बाद एआईडीएमके में दो फाड़ हुआ- ओपीएस गुट और ई पलानीस्वामी उर्फ ईपीएस गुट। पार्टी का निशान ईपीएस के पास है, इसलिए वह खुद को असली पार्टी होने का दावा करती है। बीजेपी ईपीएस को भी साथ लाने की कोशिश में थी, इसलिए वहां सीट बंटवारे में देर हुई, लेकिन अब माना जा रहा है कि एआईडीएमके ईपीएम एक-दो छोटे दलों के साथ मिलकर अकेला लड़ेगा। हालांकि, राज्य में एआईडीएमके उतना मजबूत नहीं रहा, जितना जयललिता के समय था।

पार्टी में दोफाड़ से काडर भी बंट गया है। फिर भी कहा जा रहा है कि ईपीएम खेमा राज्य की कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला खड़ा कर सकता है। विजयकांत की पार्टी के साथ भी बीजेपी की बातचीत चल रही है। अगर उसके साथ तालमेल होता है तो चार-पांच सीट उसे भी जा सकती हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी यहां 18 से 20 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। तमिलनाडु में बीजेपी का सबसे मजबूत आधार कन्याकुमारी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि बीजेपी यह सीट निकाल सकती है। एक समय चर्चा थी कि दक्षिण में अपनी पैठ बनाने के लिए बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी को वाराणसी के अलावा एक और सीट से उतारने पर सोच रही थी। बीजेपी की ओर से इसके लिए बाकायदा तमिलनाडु में रेकी कर जिन तीन सीटों को चिह्नित करने की कोशिश की गई थी, उनमें कन्याकुमारी के अलावा कोयंबटूर और मदुरई की सीट भी थीं। राज्य की राजनीति के जानकार मानते हैं कि तमिलनाडु राजनीति में बीजेपी के लिए अभी बहुत ज्यादा उत्साह नहीं है।

वहीं, पुद्दुचेरी की सीट कांग्रेस के पास है। पिछली बार कांग्रेस के वी. वैथिलिंगम ने एआईएनआरसी के नारायनसामी केसवन से यह सीट लगभग दो लाख वोटों से जीती थी। कुछ मौकों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर यहां कांग्रेस जीतती रही है। लक्षद्वीप और अंडमान की एक-एक सीट पर पहले चरण में चुनाव है। लक्षद्वीप में भी ज्यादातर कांग्रेस जीतती रही है। लेकिन पिछली दो बार से यह एनसीपी के मोहम्मद फैसल पीपी जीत रहे हैं। वह मौजूदा सांसद हैं। अंडमान निकोबार में भी कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है। लेकिन यहां पिछले कुछ बार से कांग्रेस और बीजेपी बारी-बार से जीतते रहे हैं। फिलहाल कांग्रेस के सांसद कुलदीप राय शर्मा मौजूदा सांसद हैं। बीजेपी ने यहां से अपने पूर्व सांसद विष्णुपद राय पर दांव लगाया है।

कांग्रेस ने तय किए 40 और नाम, आज  तीसरी सूची

कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की आज फिर बैठक होगी, जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की 45 सीटों पर दोबारा मंथन होगी। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के मंथन में जुटी कांग्रेस ने मंगलवार को 11 राज्यों की करीब 85 लोकसभा सीटों पर चर्चा करनी थी, लेकिन केवल 40 सीटों पर बात बन पाई। पार्टी इन नामों की घोषणा आज कर सकती है। यह कांग्रेस उम्मीदवारों की तीसरी सूची होगी।कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की आज होने वाली बैठक में मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की 45 सीटों पर चर्चा होगी। मंगलवार को हुई बैठक में केवल 40 सीटों पर उम्मीदवार तय हुए, जिनकी सूची आज जारी हो सकती है।

मध्य प्रदेश की 15, राजस्थान की 15 और गुजरात की 15 सीट पर चर्चा नहीं हो पाई। केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) आज दोबारा इन सीटों पर मंथन करेगी। मंगलवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम की विधानसभा सीटों को लेकर भी पार्टी ने चर्चा की गई। इसमें सिक्किम विधानसभा की 18 सीटों पर बात बन गई है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल की 42 में से 8 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए गए हैं, पार्टी ने बंगाल से कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के टिकट पर भी सहमति बना ली है।

अब तक 82 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान
मंगलवार की बैठक में पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, पुडुचेरी, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के उम्मीदवारों को लेकर भी केंद्रीय चुनाव समिति ने आरंभिक चर्चा की है। अब तक कांग्रेस पार्टी दो चरणों में 82 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर चुकी है। पहले चरण में पार्टी ने 39 और दूसरे चरण में 43 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की।  

नॉर्थ ईस्ट के छह राज्यों के सभी सीटों पर पहले चरण में मतदान

पहले चरण की वोटिंग में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम में भी वोटिंग होगी। इसमें अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मणिपुर में लोकसभा की दो सीटें हैं। मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम में लोकसभा की 1-1 सीट है। मणिपुर में पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू हुई, जिसमें 175 से ज्यादा लोगों को मौत हुई। अब भी वहां तनाव बना हुआ है। पिछले साल जब वहां जातीय हिंसा शुरू हुई तो इसने विकराल रूप से लिया। उग्र भीड़ का दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का विडियो सामने आते ही पूरा देश सकते में आ गया। संसद सत्र में भी इसकी गूंज सुनाई दी। विपक्ष ने इस मसले पर सरकार और बीजेपी को जमकर घेरा।

यहां लोकसभा चुनाव में जातीय हिंसा और अवैध अप्रवासियों का मुद्दा रहेगा। यहां अभी आंतरिक मणिपुर सीट से बीजेपी के राजुकमार रंजन सिंह सांसद है और बाहरी मणिपुर से एनपीफ के लोरहो एस फोजे। जातीय हिंसा के दौरान भीड़ ने बीजेपी सांसद के घर पर भी हमला किया था। अरुणाचल प्रदेश की दोनों सीट पर पिछले चुनाव में बीजेपी जीती थी। बीजेपी ने इस बार फिर अपने मौजूदा सांसद किरेन रिजिजू और टपर गाओ को ही उम्मीदवार बनाया है। यहां कांग्रेस मुकाबले में रहती है। साथ ही पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल का भी प्रभाव है। मेघालय में लोकसभा की दो सीटें हैं, शिलॉन्ग और तुरा। शिलॉन्ग से कांग्रेस के विंसेंट पाला सांसद हैं और तुरा से एनपीपी की अगाथा संगमा। टीएमसी ने भी तुरा सीट से अपने कैंडिडेट को मैदान में उतारा है। मिजोरम की लोकसभा सीट से पिछले चुनाव में मिजो नैशनल फ्रंट की और नगालैंड में एनडीपीपी की जीत हुई थी। सिक्किम में पिछला लोकसभा चुनाव सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने जीता था लेकिन यहां सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट का दबदबा रहा है।

Delhi Liquor Scam : विशेष जज एमके नागपाल का तबादला, अब जज कावेरी बावेजा करेंगी सुनवाई

Delhi Liquor Scam: Special Judge MK Nagpal transferred, now Judge Kaveri  Baweja will hear the matter

दिल्ली शराब घोटाला मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज एमके नागपाल का तबादला हो गया है। उनकी जगह अब जज कावेरी बावेजा मामले की सुनवाई करेंगी, जिन्होंने आठ साल पहले उबर दुष्कर्म मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 

कावेरी बावेजा ने 2014 Uber बलात्कार मामले की सुनवाई की थी और 2015 में एक उबर ड्राइवर को 25 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार का दोषी पाया था। इस हाई-प्रोफाइल मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और दिल्ली में सुरक्षा को लेकर नई आशंकाएं पैदा हो गई थीं.। 

बता दें कि ED इस शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को आरोपी बना रही है. आप नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह इसी घोटाले के मामले में जेल में हैं। यह पद संभालने से पहले वह जिला न्यायाधीश (वाणिज्यिक न्यायालय) सेंट्रल, टीएचसी के पद पर कार्यरत थीं। 

युवा मतदाता बनेंगे प्रत्याशियों के भाग्यविधाता, दिल्ली में 45 % वोटर 40 साल से कम के

Lok Sabha Elections: Young voters will decide the fate of the candidates

युवा मतदाताओं की लोकसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका रहेगी। राजधानी में करीब 45 फीसदी मतदाताओं की उम्र 40 साल से कम है। जिस भी पार्टी विशेष के हक में इनके वोट पड़ेंगे, उनका पलड़ा भारी रहेगा। इसी कारण सभी सियासी पार्टियां युवाओं को ध्यान में रखकर चुनावी रणनीति बना रही हैं। 

दिल्ली में कुल 1,47,18,119 मतदाता हैं जिनमें से 40 वर्ष से कम आयु के मतदाताओं की संख्या 66,45,299 है। इस तरह से लगभग 45 फीसदी मतदाता युवा हैं। मतदाता सूची के अनुसार, राजधानी में 18 से 30 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 17.43 प्रतिशत है। इसके बाद सबसे ज्यादा मतदाता 30 से 39 वर्ष उम्र के हैं। इस उम्र वर्ग के 27.70 प्रतिशत मतदाता हैं। यदि 18 से 39 वर्ष की उम्र के सभी मतदाताओं को एक साथ मिला दें तो 18 से 39 वर्ष के उम्र के मतदाताओं की संख्या 45.15 प्रतिशत है। वहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में कुल 1,43,16,453 मतदाता थे, जिनमें 40 वर्ष से कम आयु वाले मतदाताओं की संख्या 75,51,416 थी। इस तरह से लगभग 53 फीसदी मतदाता युवा थे। इस बार 18-19 वर्ष और 20-29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या बीते लोकसभा चुनाव से काफी कम है। प्रस्तुत हैधनंजय मिश्रा की रिपोर्ट…

मैंने वोट किया, गजब फीलिंग देता है
जब 18 साल का नहीं हुआ था तो वोट देने के लिए बेचैनी थी। जब भी चुनाव होता तो सोचता रहता था कि किसी प्रत्याशी को वोट देने पर कैसी खुशी होती होगी। यूथ की काबिलियत केवल मेट्रो लाइन बदलने तक सीमित नहीं है, वह मताधिकार का इस्तेमाल करके शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास यहां तक की सरकार को भी बदल सकता है। वोट देश में आने वाले अच्छे बदलावों की शुरुआत है। इसके बाद ही नेता से बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। मैंने भी वोट दिया है, यह कहना बेहद संतोषजनक होता है। सभी लोग वोट जरूर डालें। 
-आशीष सिंह रावत, यूट्यूबर

मुद्दों से जुड़ता है युवा
युवा मतदाताओं के अपने कई मुद्दे हैं। इनमें शिक्षा, रोजगार, कानून व्यवस्था, कौशल विकास और सुविधाएं आदि शामिल हैं। शिक्षा के लिए व्यवस्था ऐसी हो कि रोजगार मिले, कानून व्यवस्था मजबूत हो खासतौर पर युवतियों के लिए यह महत्वपूर्ण हैं। युवाओं के लिए सुविधाएं भी महत्वपूर्ण हैं। इसमें बिजली, पानी, परिवहन आदि शामिल है। कौशल विकास की बात करें तो यह भी जरूरी है, युवाओं को शिक्षा के साथ ही कौशल विकास पर जोर होता है, ताकि शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें कौशल विकास के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े।  
– डाॅ. महेश कौशिक, असिस्टेंट प्रोफेसर, अरविंदो कालेज

नफा-नुकसान वाले मुद्दे नहीं भाते
कल्पनाशील, स्वप्नदर्शी होने के साथ युवा ऊर्जावान होते हैं, तभी उन्हें निजी तौर पर नफा-नुकसान करने वाले मुद्दे नहीं भाते। इसकी जगह वह ऐसे मुद्दों के साथ जाना पसंद करते हैं, जो समाज व देश से जुड़े हों। इसकी झलक अन्ना व निर्भया आंदोलन के दौरान दिल्ली की सड़कों पर दिखी थी। युवाओं को सरकार से फ्री सुविधा नहीं चाहिए। इसकी जगह उनकी दृष्टि दीर्घकालिक होती है। युवाओं को आजादी चाहिए। ऐसे अंकुश वह बर्दाश्त नहीं करते, जो उनकी ताकत को रोकते हैं। वह विद्रोह भी कर सकते हैं।
-प्रो.संजय भट्ट, समाज विज्ञानी और सेवानिवृत्त प्रोफसर, सामाजिक कार्य विभाग, डीयू

60 वर्ष से अधिक की आयु के 23 लाख मतदाता
चुनाव में बुजुर्ग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं, इसलिए बीते चुनावों में बुजुर्ग मतदाताओं की भागीदारी अधिक देखी गई है। लोकसभा चुनाव में इस बार 60 वर्ष से अधिक उम्र के 23,07,241 मतदाता हैं। इसमें करीब 2.63 लाख मतदाता 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, इसलिए बुजुर्ग मतदाता भी चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगगे। चुनाव आयोग को उम्मीद है कि बुजुर्ग इस बार भी मतदान से लोकतंत्र को मजबूत करेंगे और युवाओं में मतदान के लिए जोश भरेंगे।

घर बैठकर मतदान की मिलेगी सुविधा
बुजुर्गों और दिव्यांगो को घर बैठकर मतदान करना है तो उन्हें फॉर्म 12डी भरना होगा। वे चुनाव आयोग में इसके लिए आवेदन करेंगे, तो फिर चुनाव आयोग की एक टीम घर जाकर मतदान करवाएगी। दिल्ली में कुल दिव्यांग व बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या 2.71 लाख से अधिक है। इसमें 80 साल से अधिक बुजुर्ग मतदाता 2.63 लाख से अधिक है। 85 साल से अधिक के बुजुर्ग करीब 2 लाख है।  दिव्यांग 71,794 हैं।

वर्ष 2019 में युवा मतदाताओं की संख्या
          उम्र———–संख्या—–प्रतिशत

  • 18-19——254723—-1.77
  • 20-29——3100010–21.65
  • 30-39——4196683– 29.31

वर्ष 2024 में 40 वर्ष से कम मतदाताओं की संख्या
            उम्र——–     संख्या          प्रतिशत

  • 18-19——-1,47,074          0.99
  • 20-29——-24,19,998       16.44
  • 30-39——-40,78,227        27.70

वर्ष 2024 में 40 वर्ष से ज्यादा मतदाताओं की संख्या

  • 40-49—-34,40,409 23.37
  • 50-59—-23,26,170 15.80
  • 60-69—-13,10,162 8.90
  • 70-79—-7,32,299 4.97
  • 80——-2,63,780 1.79

सियासी किस्से

पैसा है नहीं, चुनाव कैसे लडूंगा
बात पहले संसदीय चुनाव की है। दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची फाइनल हो रही थी। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानी व प्रदेश कांग्रेस के नेता सीके नायर को बाहरी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया, लेकिन नायर ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि पैसे नहीं हैं, चुनाव कैसे लड़ पाऊंगा। चुनाव लड़ना मेरे बस की बात नहीं। इसके बाद उनकी काफी मान मनौव्वल हुई।

नेहरू ने कहा कि नायर पैसों की चिंता न करें। पार्टी चुनाव का सारा इंतजाम करेगी। इसके बाद नायर चुनाव लड़े और दो बार दिल्ली से सांसद बने। खास बात यह है कि मूलरूप से केरल निवासी नायर जिस बाहरी दिल्ली सीट से चुनाव जीते, वहां 500 मलयाली वोटर भी नहीं रहे होंगे। कांग्रेस ने सीके नायर को वर्ष 1957 का चुनाव भी बाहरी दिल्ली से लड़वाया। वे लगातार दूसरी बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे, लेकिन इस बीच उन्हें जो भी वेतन मिला, उसका एक रुपया उन्होंने अपने या परिवार पर खर्च नहीं किया।

वे वेतन की समस्त राशि गरीबों में बांट देते थे। साथ ही, दिल्ली के गांवों की जनता के बीच शिक्षा के प्रसार और दहेज प्रथा व जात-पात जैसी कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण किया करते थे। उन्हें दिल्ली देहात का गांधी भी कहा जाता था। नायर साबरमती में सत्याग्रह आश्रम के सदस्य थे। 1930 में उनको दांडी मार्च के लिए 90 स्वयंसेवकों के पहले बैच के सदस्य के रूप में चुना गया था। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया। आजादी से एक साल पहले वे नरेला में रहने लगे थे।  
(दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. योगानंद शास्त्री से बातचीत पर आधारित)

अब धर्म-जाति पर लड़ा जा रहा चुनाव— मंगतराम सिंघल
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री मंगत राम सिंघल इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र लोगों में से एक थे। कॉलेज के दिनों से सक्रिय रूप से राजनीति में आ गए। वर्ष 1977 में पहली बार निगम का चुनाव जीता। वर्ष 1983 में दोबारा निगम सदस्य चुने गए। वर्ष 1983-1990 तक एमसीडी की वर्क्स कमेटी के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1998 में पहली बार दूसरी विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 2013 तक लगातार तीन बार विधानसभा सदस्य रहे।

आखिरी 10 साल में उद्योग, भूमि, समाज कल्याण, श्रम एवं रोजगार और कानून न्याय एवं विधायी मामलों व चुनाव मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने बताया कि पहले चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी एक दूसरे पर आक्षेप नहीं लगाते थे। पार्टी के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं से भी सामान्य बातचीत होती थी, लेकिन मौजूदा समय चुनाव पहले से भिन्न हो गया है। धर्म-जाति पर चुनाव लड़ा जा रहा है।

पहले जब इंदिरा गांधी चुनावी जनसभाओं में आती थीं, तो 15 मिनट से ज्यादा नहीं बोलती थीं। उनका भाषण पार्टी की रणनीति पर ही आधारित रहता था। इसके बाद ज्यादातर समय जनसंपर्क करतीं थीं। अन्य वरिष्ठ नेता भी इंदिरा गांधी का अनुसरण करते थे। घर-घर जाकर वोटरों से मिलना होता था। फालतू का सुरक्षा के नाम पर तामझाम नहीं होता था।

बेंजामिन नेतन्याहू बोले- हमास के खात्मे के लिए राफा में जमीनी अभियान बढ़ाएंगे, अमेरिका ने बनाई दूरी

Israel PM Benjamin Netanyahu said we will increase ground campaign in Rafah to eliminate Hamas

इस्राइल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस बीच, इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर साफ किया कि इस्राइल रक्षा बल (आईडीएफ) राफा में जमीनी अभियान को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि मैंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी इस बारे में जानकारी दे दी है। नेतन्याहू ने मंगलवार को विदेश और रक्षा समिति को बताया कि राफा में प्रवेश करने के मामले में अमेरिका के साथ हमारी असहमति है। गौरतलब है कि सात अक्तूबर से हमास और इस्राइल के बीच से युद्ध जारी है, जब हमास ने इस्राइल पर पांच हजार से अधिक मिसाइलें एक साथ दाग दी थीं। युद्ध में अब तक दोनों पक्षों के 30 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हम हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमास की शेष बटालियन को नष्ट करने के लिए हमें राफा में प्रवेश करने की जरूरत है। हम राफा में हमला करने के लिए दृढ़ हैं।  हमास को खत्म करने के लिए ग्राउंड ऑपरेशन के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। 

नेतन्याहू बोले- हमारे पास कोई चारा नहीं है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू ने आगे कहा कि हम हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमास की शेष बटालियन को नष्ट करने के लिए हमें राफा में प्रवेश करने की जरूरत है। हम राफा में हमला करने के लिए दृढ़ हैं।  हमास को खत्म करने के लिए ग्राउंड ऑपरेशन के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। मैंने अमेरिकी राष्ट्रपति को साफ कर दिया है कि हम हमास के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध हैं और जमीनी अभियान के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है। 

इस्राइल की यह बड़ी गलती होगी: जैक सुलिवन
बता दें, बाइडन ने सोमवार को फोन कॉल के दौरान नेतन्याहू को मामले में समर्थन देने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा यह जमीनी अभियान एक गलती होगी। इससे निर्दोष नागरिकों की मौत होगी। गाजा में अराजकता और गहरी होगी। इजरायल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ सकता है। 

हमले के यह तीन कारण
हमास ने कहा कि ये यरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इस्राइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है। हमास ने कहा कि इस्राइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंक इसे अपवित्र किया था। इस्राइली सेना लगातार हमास के ठिकानों पर हमले कर रही है और अतिक्रमण कर रही है। इस्राइली सेना हमारी महिलाओं पर हमले कर रही है। हमास के प्रवक्ता गाजी हमाद ने अरब देशों से अपील है कि इस्राइल के साथ अपने सभी रिश्तों को तोड़ दें। हमाद ने कहा कि इस्राइल एक अच्छा पड़ोसी और शांत देश कभी नहीं हो सकता है।

श्रमिक कल्याण बोर्ड प्रबंधन के खिलाफ गरजेगी सीटू : भूपेंद्र

सीटू से संबंधित मनरेगा एवं निर्माण मजदूर यूनियन ने राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के खिलाफ संघर्ष तेज करने का निर्णय लिया है। 26 मार्च को सभी श्रम कल्याण अधिकारियों के कार्यालयों और 28 मार्च को बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के कार्यालय शिमला में प्रदर्शन होगा। यह जानकारी यूनियन के राज्य महासचिव एवं बोर्ड के सदस्य भूपेंद्र सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में बोर्ड की चार बैठकें हुई हैं।। उनमें मजदूरों का पंजीकरण, नवीनीकरण और वित्तीय लाभ जारी करने के बारे फैसले लिए गए हैं, लेकिन न तो बोर्ड राज्य कार्यालय और न ही जिला स्तर पर इस कार्य को गंभीरता से कर रहे हैं। सवा लाख मजदूरों की पांच सौ करोड़ की वित्तीय सहायता गैर-कानूनी तौर पर रोकी हुई है।

पिछले दो साल से मनरेगा मजदूरों का पंजीकरण, नवीनीकरण व लाभ गैर कानूनी तौर पर रोके हुए थे, लेकिन एक मार्च को हुई बोर्ड बैठक में उन्हें जारी करने बारे फैसला हो गया है। इसके बाद भी जिलों में उनके फार्म नहीं लिए जा रहे हैं। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने बोर्ड के सचिव को स्मरण पत्र लिखकर जल्द श्रम कल्याण अधिकारियों की बैठक मजदूर यूनियनों के साथ करवाने की मांग की है

उत्तराखंड में क्या काम आएगा बीजेपी का प्रयोग

उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस वक्त भी राज्य में बीजेपी की सरकार थी। उत्तराखंड में अभी भी बीजेपी की सरकार है। इस बार जब विधानसभा चुनाव हुए तो माना जा रहा था कि कांग्रेस यहां मजबूत है। यह मेसेज इसलिए भी गया कि बीजेपी ने यहां दो बार अपने मुख्यमंत्रियों को बदला। संदेश गया कि सरकार ठीक काम नहीं कर रही है या फिर बीजेपी के भीतर गुटबाजी है। कांग्रेस को यह अपने पक्ष में भुनाने का मौका लगा लेकिन कांग्रेस फिर भी इस मौके को भुना नहीं पाई। राज्य में बीजेपी की ही सरकार बनी। बीजेपी ने यहां अपने दो सांसदों के टिकट काटे हैं जबकि तीन पुराने सांसदों को ही मौका दिया है।

बीजेपी ने गढ़वाल सीट से बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी को, हरिद्वार से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को, अल्मोड़ा से मौजूदा सांसद अजय टम्टा को, नैनीताल से मौजूदा सांसद अजय भट्ट और टिहरी गढ़वाल सीट से मौजूदा सांसद माला राज्य लक्ष्मी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने गढ़वाल से गणेश गोदियाल, टिहरी से जोत सिंह गुनसोला और अल्मोड़ा सीट से प्रदीप टम्टा को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अभी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है। उत्तराखंड को बीजेपी की नई प्रयोगशाला माना जा रहा है। यहां बीजेपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी का कानून पास कर चुकी है और अब उसके नियम बनाए जा रहे हैं। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है (गोवा को छोड़कर) जिसने यूसीसी पास किया है। यूसीसी बीजेपी के चुनावी वादे में भी था।

अरविंद केजरीवाल ने ED के सभी समन को दी हाईकोर्ट में चुनौती, कल होगी सुनवाई

दिल्ली शराब नीति घोटाले के मामले में ईडी सीएम केजरीवाल को अब तक 9 समन जारी कर चुकी है। ऐसे में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ईडी के खिलाफ कानूनी कदम उठाया है। दरअसल अरविंद केजरीवाल ने ईडी द्वारा भेजे गए सभी समन का विरोध करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट कल यानी की 20 मार्च को सुनवाई करेगा।

राहुल गांधी ने हिंदू संस्कृति का किया अपमान- बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘शक्ति’ टिप्पणी पर बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी ने कल हिंदू संस्कृति का अपमान किया। हमें लगा कि उनको अपनी गलती का एहसास होगा। लेकिन एक दिन बाद भी बयान को सुधारने की कोई कोशिश नहीं की गई है। उनके मंडली के प्रवक्ता उनकी टिप्पणी में अर्थ ढूंढ रहे थे और इसे उचित ठहराने का प्रयास कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी अब महात्मा गांधी की प्रेरणा से बनी कांग्रेस पार्टी नहीं रही। राहुल गांधी के नेतृत्व में यह विभाजनकारी सोच, माओवादी सोच और हिंदू विरोधी सोच को लेकर चलती है। राहुल गांधी पूरी तरह से इन तत्वों के बहकावे में हैं। राहुल गांधी, ऐसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग आप किसी अन्य आस्था के बारे में कर सकते हैं। आपकी हिम्मत है? क्या आपको करने दिया जाएगा?

6 अप्रैल तक बढ़ी मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत

दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 6 अप्रैल तक बढ़ा दी। बता दें कि आज पूर्व उपमुख्यमंत्री को ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामले में न्यायिक हिरासत की समाप्ति पर राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष पेश किया गया था।

बीजेपी में अभी 200 पार करने का भी आत्मविश्वास नहीं है- प्रियंका चतुर्वेदी

MNS प्रमुख राज ठाकरे के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने पर प्रियंका चतुर्वेदी (उद्धव ठाकरे गुट) ने कहा कि एक बात स्पष्ट है कि कहां बीजेपी एक तरफ नारे लगा रही थी कि 400 पार करेंगे लेकिन अभी 200 पार करने का भी उनमें आत्मविश्वास नहीं है। खासकर महाराष्ट्र को लेकर उनमें आत्मविश्वास नहीं है। वो जान गए हैं उन्होंने दो पार्टी तोड़ी फिर जनता आपके समर्थन में नहीं आ रही है। आप सत्ता में जरूर हैं लेकिन आप जनता के लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं। उन्हें लगा ठाकरे सरनेम और पार्टी को लेंगे और जनता के बीच में जाएंगे। तो इससे कोई फायदा नहीं है बीजेपी महाराष्ट्र की जनता के सामने जीरो है।

AAP ने ईडी की प्रेस रिलीज पर उठाए सवाल, कहा- मोदी का हथियार बन गई एजेंसी

दिल्ली में आप आदमी पार्टी ने एक बार फिर से ईडी पर निशाना साधा है। केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी का कहना है ईडी प्रेस विज्ञप्ति क्यों जारी कर रही है? क्या यह एक राजनीतिक दल है? उन्होंने कहा कि पीसी राजनीतिक दलों की तरफ से दी जाती है। आतिशी ने कहा कि ईडी की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी करना अपने आप में एक बड़ा सवाल है..इससे पता चलता है कि ईडी महज बीजेपी और पीएम मोदी का राजनीतिक हथियार बनकर रह गई है।

जलवायु स्थिति पर जारी होगी WMO रिपोर्ट

डब्ल्यूएमओ आज अपनी वार्षिक जलवायु स्थिति रिपोर्ट जारी कर रहा है। इसमें कहा गया है कि 2023 रिकॉर्ड पर अब तक का सबसे गर्म वर्ष था। इस वजह से भूख बढ़ी और विकास धीमा हो गया। यह चेतावनी देता है कि कार्रवाई की लागत की तुलना में निष्क्रियता की लागत देशों के लिए अधिक होगी। इस रिपोर्ट पर शाम 6:30 बजे IST एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी की जाएगी।

 

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