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रिश्वत रेलवे में महामारी….. रिश्वत की रकम रिश्तेदारों के बैंक खाते में

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सनत जैन

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने असम में रेलवे अधिकारियों द्वारा रिश्वत की रकम को, सीधे अपने परिवार जनों के बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर करवा दी। सात अधिकारियों ने लगभग 60 करोड रुपए की रिश्वत अपने परिवार जनों के बैंक खाते में ऑनलाइन प्राप्त की है। इसका खुलासा सीबीआई ने किया है।

सरकारी कार्यालय में बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं होता है। अब रिश्वत लेने के लिए भी ऑनलाइन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। अपने परिवारजनों के, दोस्तों के, नौकरों के नाम पर एवं फर्जी बैंक खाते खुलवाकर बड़े पैमाने पर रिश्वत ऑनलाइन लेने का चलन बढा है। रेल मंत्रालय की गुवाहाटी में तैनात लगभग सात अधिकारियों ने ऑनलाइन अपने बेटे-बेटियों, साले-सालियों, जीजा-बहनोई और नौकरों के बैंक खाते में रिश्वत की रकम प्राप्त की है। सीबीआई ने 13 अधिकारियों के यहां विगत दिवस छापे डालें। इन छापों में रिश्वतखोर अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच करने में 60 करोड रुपए की रिश्वत लिए जाने का मामला उजागर हुआ है। जो अधिकारी पकड़े गए हैं, उन्होंने असम की मेमर्स भरतिया इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड को, नॉर्दर्न फ्रंटियर रेलवे के जोरोबाम – इंफाल रेल प्रोजेक्ट के सभी टेंडर दिलाने का काम किया है।

सभी टेंडर की जांच किए बिना मंजूरी दे दी गई। धड़ाधड़ कंपनी के बिल भी पास किए गए। रिश्वत की रकम को अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों और जान पहचान वाले खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर करा ली। बिल में प्रतिशत के हिसाब से कमीशन वसूल करने का काम रेलवे के यह अधिकारी करते थे। इस ठेकेदार द्वारा फर्जी बिल भी लगाए गए, और उन फर्जी बिलों का भी भुगतान 100 फीसदी हुआ है। भारतीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी ने रिश्वत देने के लिए तीन अलग बैंक खाते खुलवाए थे। इसमें से दो बैंक खाता स्टेट बैंक आफ इंडिया में तथा एक बैंक खाता एचडीएफसी बैंक में था। सीबीआई के अधिकारियों ने जांच एजेंसी को काम दिए जाने से लेकर बिल पास करने तक के सभी दस्तावेजों को जप्त कर लिया है। अब उसकी जांच की जा रही है।

रेल्वे में पिछले 1 दशक में निर्माण कार्यों, सामान की खरीद तथा स्टेशनों पर वेन्डरों को सामान बेचने की अनुमति देने के नाम पर करोड़ों रूपयों की रिश्वत लेने का काम खुले तौर पर चल रहा है। करोड़ों रूपयों की रिश्वत दिये जाने की चर्चायें रेल्वे मंत्रालय में है। रिश्वत देकर पोस्टिंग कराते हैं। उसके बाद रिश्वत और भ्रष्टाचार से रेल्वे के अधिकारी करोड़ों की कमाई कर रहे है। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में लाखों रुपए की रिश्वत की रकम बैंक में ट्रांसफर हुई है। जो अधिकारियों के रिश्तेदारों या उनसे जुड़े हुए लोगों के खातों में ट्रान्सफर हुई हैं। सीबीआई के पास इसके दस्तावेजी सबूत होने से इन अधिकारियों का बच पाना बड़ा मुश्किल है। पिछले 10 वर्षों में रेलवे के निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की शिकायतें बड़ी आम हो गई हैं। अधिकारियों की पद स्थापना मे भी रेलवे मंत्रालय के अधिकारी करोड़ों रुपए की रिश्वत लेने के बाद ही रिश्वतखोर अधिकारियों की उनकी मनचाही जगह पर पोस्टिंग करते हैं। नीचे से ऊपर तक रिश्वत का यह खेल रेलवे में महामारी की तरह फैल गया है। ऐसी छुटपुट कार्रवाई से रेलवे की भ्रष्टाचार को नियंत्रित कर पाना शायद ही संभव हो।

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