इंदौर। बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का फैसला शासन और हाईकोर्ट ने इसलिए लिया ताकि मिक्स लेन में जो वाहन गुत्थमगुत्था होते हैं और यातायात जाम होता है, उससे निजात मिलेगी। मगर हाईकोर्ट का फैसला आते ही निगम के कर्णधारों ने प्रचार-प्रसार हासिल करने के लिए उसी दिन रात में फोटोग्राफर, वीडियोग्राफरों बुलाकर रैलिंग उखड़वाना शुरू कर दी और दो दिन यह काम चला और उसके बाद ठप पड़ गया। इसका परिणाम यह निकला कि जो बीआरटीएस कॉरिडोर चल रहा था और उस पर आई बसें दौड़ रही थी उसका आधा हिस्सा फिलहाल बंद हो गया और ये आई बसें दोनों तरफ के मिक्स लेन में घुसकर यातायात का और कबाड़ा कर रही है और बीच का कॉरिडोर फिजुल पड़ा है।
नगर निगम को रैलिंग हटाने की हड़बड़ी करने के बजाय पहले पूरे कॉरिडोर का विस्तृत सर्वे कर टेंडर प्रक्रिया शुरू करना थी और जब कोई एजेंसी मिल जाती, जो रैलिंग हटाने, डिवाइडरों को तोडऩे और उसे सडक़ लेवल में करने और बस स्टॉपों को भी हटाने का काम करती, तब कॉरिडोर पर आई बसों का संचालन बंद किया जाना था। मगर निगम के जनप्रतिनिधियों को वाहवाही लूटना थी, जिसके चलते जैसे ही हाईकोर्ट का आदेश बीआरटीएस को हटाने के संबंध में आया उसी रात को ताबड़तोड़ जीपीओ चौराहा से शिवाजी वाटिका और राजीव गांधी प्रतिमा की तरफ लगी रैलिंग को हटाना शुरू कर दिया, ताकि इसका प्रचार-प्रसार हो सके। उसके बाद जब यह समझ में आया कि 11 किलोमीटर के इस कॉरिडोर को हटाना कोई दो-चार दिन का काम नहीं है, बल्कि लम्बा समय लगेगा, क्योंकि दोनों तरफ की रैलिंग निकालने के बाद उसके डिवाइडर भी तोडऩा पड़ेंगे और सडक़ को समतल करने के साथ जो कॉरिडोर में बस स्टॉप निर्मित हैं, उन्हें भी हटाना पड़ेगा।
खुद महापौर ने मीडिया से चर्चा में यह कहा भी था कि इस पूरी प्रक्रिया में तीन से चार महीने का समय लगेगा और इस पूरे कार्य के टेंडर भी बुलाए जा रहे हैं। तो सवाल यह है कि फिर नगर निगम के इन कर्णधारों को इतनी जल्दी क्या थी थोड़े-से हिस्से की रैलिंग हटाकर पब्लिसिटी बटोरने की, जिसके चलते बीआरटीएस का एक बड़ा हिस्सा आई बसों के लिए बंद हो गया, क्योंकि हटाई गई रैलिंग और अन्य सामान कॉरिडोर पर ही पटक दिया, जिसके कारण आई बसों का संचालन इन हिस्सों में बंद हो गया और अब ये आई बसें दोनों तरफ के मिक्स लेन में चल रही है, जहां पर पहले से ही यातायात का अत्यधिक दबाव है और जिन आई बसों को कॉरिडोर से हटाया उन्हें अब मिक्स लेन में दौड़ाया जा रहा है, जिसके चलते पीकऑवर में और भी यातायात जाम हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ निरंजनपुर और सत्यसांई चौराहा पर फ्लायओवर निर्माण के चलते भी पहले से ही कॉरिडोर में आई बसों का संचालन बंद हो गया था। अब शिवाजी वाटिका, जीपीओ चौराहा की तरफ भी आई बसें कॉरिडोर में नहीं चल पा रही हैं। अब पता नहीं कब टेंडर जारी होंगे और मंजूरी के बाद बीआरटीएस टूटेगा और मिक्स लेन के वाहन चालकों को राहत मिलेगी। मगर जनता का कहना है कि तब तक तो आई बसें कॉरिडोर के भीतर ही चलने दी जाती। हड़बड़ी में आधी-अधूरी तोडफ़ोड़ क्यों की गई?
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