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बसपा को भी मिले इंदौरी मुसलमानों के वोट

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दौर। भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी ने भले ही पूरे देश में सबसे अधिक मतों से जीत का रिकॉर्ड बनाया हो मगर उनके इस रिकॉर्ड पर नोटा का जो दाग लगा है, वह इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। दूसरी तरफ उनकी जीत में नाम वापस लेने वाले अक्षय बम को भी श्रेय मंत्री द्वारा दे दिया गया, वहीं 209 मतदान केन्द्रों यानी बूथ ऐसे निकले, जहां पर नोटा ने लालवानी को पराजित कर दिया। दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का प्रदर्शन भी अत्यंत दयनीय रहा। वे पूरे प्रदेश में एक भी सीट कांग्रेस को नहीं जिता पाए, वहीं अपने गृह क्षेत्र में ही बुरी तरह से हारे हैं।

इंदौर लोकसभा के इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी 11 लाख 75 हजार 92 वोट से चुनाव जीते और उनकी यह जीत निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के संजय सोलंकी से हुई है, क्योंकि नोटा को प्रतिद्वंदी उम्मीदवार नहीं माना जाता है। लालवानी की यह जीत पूरे देश में नम्बर वन तो रही मगर उनका मुकाबला मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल यानी कांग्रेस के प्रत्याशी से नहीं हुआ। लिहाजा यह बड़ी जीत भी अधिक मायने नहीं रखती है। दूसरी तरफ इंदौरियों ने 2 लाख 18 हजार से अधिक नोटा को वोट दिए हैं, जिसमें 209 केन्द्र ऐसे हैं जहां पर भाजपा उम्मीदवार लालवानी से ज्यादा वोट नोटा के खाते में गए।

इसमें सर्वाधिक 96 बूथ इंदौर विधानसभा 5 के, तो 36 बूथ विधानसभा-1 के और 25 बूथ विधानसभा-4 के, 19 बूथ राऊ विधानसभा के, जो कि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का गृह क्षेत्र है। हालांकि पिछला विधानसभा चुनाव वह भाजपा के मधु वर्मा से हार गए थे, वहीं सांवेर विधानसभा के 3 बूथ और देपालपुर के एक बूथ पर भी नोटा भारी रहा, लेकिन विधानसभा-2 एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है, जहां पर भाजपा प्रत्याशी को ही हर बूथ पर नोटा से ज्यादा वोट मिले। दूसरी तरफ बसपा प्रत्याशी ने भी 51486 वोट हासिल कर रिकॉर्ड बनाया। आज तक इंदौर के किसी भी चुनाव में कांग्रेस-भाजपा उम्मीदवारों के अलावा किसी अन्य दल या निर्दलीय को भी इतनी संख्या में वोट नहीं मिले हैं। दरअसल, इंदौरी मुस्लिमों ने नोटा के साथ-साथ बसपा को भी वोट दिए हैं और खजराना, आजाद नगर, नायतामुंडला, साउथतोड़ा, हाथीपाला, बम्बई बाजार, गुलजार कॉलोनी से लेकर मुस्लिम बहुल इलाकों के बूथों पर भी नोटा को ज्यादा वोट मिले हैं। चूंकि कांग्रेस प्रत्याशी सामने था ही नहीं इसलिए मुस्लिमों ने नोटा और बसपा को भी वोट दिए, तो कांग्रेसियों के अलावा प्रबुद्ध वर्ग ने भी नोटा का बटन दबाया है। जब भी इंदौर लोकसभा चुनाव की बात होगी, तब नोटा का रिकॉर्ड हमेशा सुर्खियों में रहेगा और लालवानी की बड़ी जीत में उसका डेंट यानी दाग कायम रहेगा।

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